गुरुकुल में तीन दिन - प्रेमचंद

गुरुकुल में तीन दिन – प्रेमचंद

1927 के आषाढ़ में प्रेमचंद गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय गये थे। वह तीन दिनों तक उधर रुके रहे। वहाँ उनके जो अनुभव थे उसे उन्होंने इस वृत्तांत में लिखा है। यह वृत्तांत माधुरी पत्रिका के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

गुरुकुल में तीन दिन – प्रेमचंद Read More
सरयूपार की यात्रा - भारतेंदु हरिश्चंद्र

सरयूपार की यात्रा – भारतेंदु हरिश्चंद्र

भारतेंदु हरीशचंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता माना जाता है। उनके लिखे नाटक प्रसिद्ध हैं। ‘सरयूपार की यात्रा’ में भारतेंदु हरीशचंद्र ने अयोध्या की यात्रा के दौरान हूए अनुभव का वर्णन किया है। आप भी पढ़ें:

सरयूपार की यात्रा – भारतेंदु हरिश्चंद्र Read More
संस्मरण: मनोज पॉकेट बुक्स में मेरा पहला कदम - योगेश मित्तल

संस्मरण: मनोज पॉकेट बुक्स में मेरा पहला कदम – योगेश मित्तल

लेखक योगेश मित्तल ने अपने समय के अधिकतर प्रकाशकों के साथ कार्य किया है। मनोज पॉकेट बुक्स में भी उन्होंने लगातार लेखन किया। मनोज पॉकेट बुक्स में वो कैसे जुड़े यह वह अपने इस संस्मरण में बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

संस्मरण: मनोज पॉकेट बुक्स में मेरा पहला कदम – योगेश मित्तल Read More
दैनिक जागरण बेस्ट सेलर लिस्ट हुई जारी; इन किताबों ने सूची में बनाई जगह

2025 की तीसरी तिमाही की दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची हुई जारी, इन पुस्तकों ने बनाई कथेतर श्रेणी में जगह

दैनिक जागरण द्वारा वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई से सितम्बर के बीच सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची जारी की जा चुकी है। कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता श्रेणी में यह सूची जारी की गयी है। कथेतर श्रेणी में जिन पुस्तकों ने जगह बनाई है वह निम्न हैं:

2025 की तीसरी तिमाही की दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची हुई जारी, इन पुस्तकों ने बनाई कथेतर श्रेणी में जगह Read More
दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा - प्रेमचंद

दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा – प्रेमचंद

सन् 1934 में हिंदी प्रचार सभा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेमचंद मद्रास गये थे। मद्रास से वह मैसूर गये और वहाँ से बेंगलुरू गये। अपनी यात्रा के दौरान उनके जो अनुभव थे उन्होंने इस लेख में उन अनुभवों के विषय में लिखा है। आप भी पढ़ें:

दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा – प्रेमचंद Read More
साहित्य का आधार - प्रेमचंद

साहित्य का आधार – प्रेमचंद

साहित्य क्या है? साहित्य और प्रोपागैंडा में क्या फर्क है? वह क्या है जो साहित्य से प्रोपोगैंडा को जुदा करता है? इन्हीं सब बातों को साफ करते हुए प्रेमचंद ने 1932 में ये लेख लिखा था। आप भी पढ़ें:

साहित्य का आधार – प्रेमचंद Read More
बातचीत करने की कला - प्रेमचंद

बातचीत करने की कला – प्रेमचंद

बातचीत करना भी एक कला है। हर कोई सुरुचिपूर्ण बातें न कर पाता है और न बातों से श्रोताओं को बाँध ही पाता है। कैसे इस कला का धीरे-धीरे लोप हो रहा है और इसके क्या नुकसान होते हैं। किस तरह इस कला में प्रवीण बना जा सकता है और इसके क्या फायदे हो सकते हैं ये दर्शाते हुए प्रेमचंद ने यह लेख लिखा था। आप भी पढ़ें:

बातचीत करने की कला – प्रेमचंद Read More
अज्ञानता का आनंद - विनय प्रकाश तिर्की

अज्ञानता का आनंद – विनय प्रकाश तिर्की

अज्ञानता में वैसे तो आनंद है लेकिन कभी कभी इस कारण तगड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अपने ऐसे ही एक अनुभव को लेखक इस आलेख में साझा कर रहे हैं। आप भी पढ़ें विनय प्रकाश तिर्की का यह संस्मरण ‘अज्ञानता का आनंद’:

अज्ञानता का आनंद – विनय प्रकाश तिर्की Read More
कार गयी खाई में… …और कहानी खत्म - योगेश मित्तल

कार गयी खाई में… …और कहानी खत्म – योगेश मित्तल

दत्त भारती के उपन्यास पाठकों की पसंद रहते थे। योगेश मित्तल भी उनके प्रशंसकों में से एक थे। दत्त भारती असल जीवन में कैसे थे और किस तरह उनके एक उपन्यास की कहानी बनी यह वह इस लेख में बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

कार गयी खाई में… …और कहानी खत्म – योगेश मित्तल Read More
कहानीकला - प्रेमचंद

कहानी कला – प्रेमचंद

कहानी कैसी होनी चाहिए? कहानी लिखते समय कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? यही लेखक प्रेमचंद द्वारा अपने इस लेख में बताया गया है। आप भी पढ़ें:

कहानी कला – प्रेमचंद Read More
निबंध: भय - आचार्य रामचंद्र शुक्ल

निबंध: भय – आचार्य रामचंद्र शुक्ल

किसी आती हुई आपदा की भावना या दुख के कारण के साक्षात्‍कार से जो एक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्‍तम्भ-कारक मनोविकार होता है उसी को भय कहते हैं। क्रोध दुख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए आकुल करता है और भय उसकी पहुँच से बाहर होने के लिए।

निबंध: भय – आचार्य रामचंद्र शुक्ल Read More
उपन्यास रहस्य - महावीर प्रसाद द्विवेदी

उपन्यास रहस्य – महावीर प्रसाद द्विवेदी

उपन्यास किस तरह का होना चाहिए। उसकी रचना करते हुए किन किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इन सब बातों पर महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा यह लेख लिखा गया था। लेख काफी हद तक आज भी प्रासंगिक है। आप भी पढ़ें:

उपन्यास रहस्य – महावीर प्रसाद द्विवेदी Read More