“जब भी किताबों के पन्ने पलटता हूँ ,
कई किरदारों से रूबरू हो जाता हूँ ,
कुछ में अपनों को कुछ में दूसरों को पाता हूँ,
एक किताब के जरिये न जाने कितनी जिंदगियाँ जी जाता हूँ। “
– विकास ‘अंजान’
2012 में मैं जब हिन्दी साहित्य की तरफ आकृष्ट हुआ था तो उस समय हिन्दी साहित्य के ऊपर ऑनलाइन साइट्स पर कम ही लिखा जाता था। जो कुछ लिखा भी जाता था वो काफी अकादमिक होता था जिससे मेरे जैसा आम पाठक जुड़ाव कम ही महसूस कर पाता था।
वहीं ऑनलाइन विक्रेताओं की साईट में भी हिन्दी की किताबें मौजूद तो होती थी लेकिन उस किताब की कहानी क्या है? उसका विषय क्या है? ऐसे सवाल, जो कि एक आम पाठक के मन में किसी किताब को देखकर आते हैं, के जवाब अक्सर नदारद रहते थे। ऐसे में मुझे किताब का शीर्षक देखकर ही यह अंदाजा लगाना पड़ता था कि अमुक किताब मुझे लेनी चाहिए या नहीं। कई बार मैं नाम देखकर ही किताब मँगाता था और कई बार नाम देखकर ही किताब न खरीदने का मन बना लेता था। ऐसे में न जाने कितनी अच्छी किताबों से मैं महरूम रह गया होऊँगा।
उस वक्त मेरे मन में यही आता था कि मेरे जैसे कई पाठक होंगे जो कि इस परेशानी से गुजर रहे होंगे। ऐसे में अगर मैं अपने विचारों को कहीं पर रखने लगूँ तो हो सकता है उनकी नजर इस पर पड़े और उनकी कुछ मदद हो सके। लेकिन चूँकि हिन्दी मैंने दसवीं के बाद से नहीं पढ़ी थी तो एक तरह की झिझक भी मन में थी। इस कारण 2012 से 2013 की तक मैं इधर अंग्रेजी में ही लिखता था। हिन्दी किताबों के विषय में अंग्रेजी में लिखना मुझे जँचता नहीं था इसिलए अंग्रेजी में नहीं ही लिखता था। 2013 के अंत में मैंने हिन्दी के कुछ उपन्यासों पर लिखा और फिर यह सिलसिला अब तक अनवरत जारी है।
वैसे यह साईट बन तो 2012 में गयी थी लेकिन इसमें निरंतरता 2013 के बाद आई है। इसी समय मैंने हिन्दी के उपन्यासों पर ज्यादा लिखना शूरु किया और अब तक यह इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि हिन्दी साहित्य के कारण ही यह साइट वह बन पायी है जो यह अब है। ऐसा नहीं है कि मैं इसमें अंग्रेंजी में लेख नहीं डालता हूँ। वह भी मैं डालता रहता हूँ लेकिन मेरा ध्यान ज्यादातर हिन्दी की किताबों के ऊपर होता है।
मेरी यह कोशिश रहती है कि जिन लोगों तक मेरी पहुँच है वो मेरे माध्यम से उन हिन्दी किताबों से परिचित हो सके जिनसे वो अब तक अंजान थे।
उम्मीद है यह साइट आपको पसंद आएगी और इस साईट में मौजूद लेखो पर आप अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देकर अपनी राय से मुझे वाकिफ करवाएँगे।
नोट: 2024 के मध्य तक आते आते मुझे लगा कि इस वेबसाइट को बुक ब्लॉग के रूप में रखना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि मैं काफी कुछ इसमें करना चाहता था। ऐसे में फैसला किया कि एक बुक जर्नल को बुक ब्लॉग की जगह एक वेब पत्रिका के रूप में परिवर्तित किया जाए। अब एक बुक जर्नल में मेरे अतिरिक्त अन्य लोगों के विचार तो प्रकाशित होते ही हैं साथ ही रचनाकारों से साक्षात्कार, पुस्तकों के अंश, कहानियाँ भी प्रकाशित होती हैं। इसके अतिरितक जितना सम्भव हो पाता है उतना साहित्य से जुड़ी खबरे भी यहाँ प्रकाशित करने की कोशिश करता हूँ। आप भी अपनी रचनाएँ, अपनी समीक्षाएँ, साहित्य से जुड़े अपने लेख भेजकर इस मुहिम में योगदान दे सकते हैं।
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