पाठक को अंत तक बांधकर रखता है शोस्टॉपर | राज कॉमिक्स | नितिन मिश्रा

 संस्करण विवरण

फॉर्मैट: ईबुक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्लैटफॉर्म: किंडल | शृंखला: सुपर कमांडो ध्रुव |  प्रकाशक: राज कॉमिक्स | लेखक: नितिन मिश्रा | चित्रांकन: हेमंत कुमार | इंकिंग: विनोद कुमार | इफ़ेक्ट्स: मोहन प्रभु | कैलीग्राफी,सह संपादक: मंदार गंगेले | संपादक: मनीष गुप्ता 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न 

शोस्टॉपर | राज कॉमिक्स | नितिन मिश्रा

कहानी 

ध्रुव ने अपनी आँखें खोली तो खुद कों जुपिटर सर्कस में पाया। जुपिटर सर्कस जहाँ पर उसके माता पिता ज़िंदा थे और वह था एक शो स्टॉपर। 
ध्रुव ने अपने मन में न जाने की कितनी बार यह कल्पना की थी। यह उसकी दिली इच्छा था जो कि अब पूरी हो गयी थी। सब कुछ असलियत सा लग रहा था लेकिन फिर भी कहीं कुछ न कुछ खटक रहा था। उसका शक तब और गहरा हो गया जब उसे जुपिटर सर्कस में वह साया दिखाई दिया। 
क्या ध्रुव की मन की इच्छा आखिरकार पूर्ण हो चुकी थी? 
ध्रुव जुपिटर सर्कस में आखिर क्या कर रहा था? 
उसके माता पिता जीवित कैसे हो गए थे? 
आखिर वह साया कौन था? और वह जुपिटर सर्कस में क्या कर रहा था?

मेरे विचार

कहते हैं इंसान गलतियों का पुतला होता है पर मेरा मानना है इंसान गलतियों ही नहीं अधूरी इच्छाओं और पछतावों का पुतला भी होता है। जीवन भर गलतियाँ, पछतावे और अधूरी इच्छाएँ उसके दामन से चिपकी रहती हैं। आदमी कितना भी सफल हो जाए उसके अंदर कभी न कभी किसी चीज को लेकर शायद एक पछतावा रहता है और वह सोचता जरूर है कि काश उस वक्त ऐसा न करके वैसा कर लिया होता तो शायद मेरा जीवन बेहतर होता। ऐसा होना सामान्य बात है। लेकिन क्या अगर वह इच्छाएँ पूरी हो जाए तो वह सच में ज्यादा खुश रहेगा?  या वह उस सब से भी हाथ धो देगा जो उसने अब तक कमाया है? यह ऐसी चीज है जिसके विषय में कोई सोचता नहीं है। इस विषय पर सुपर कमांडो ध्रुव ने भी नहीं सोचा था लेकिन इस कॉमिक के कथानक ने उसे इस पर सोचने को मजबूर कर दिया।
कथानक की शुरुआत ध्रुव के उठने से होती है और वह अपने को जुपिटर सर्कस में पाता है। वो जुपिटर सर्कस जो वर्षों पहले भस्म हो गया था। वह पाता है कि न केवल जुपिटर सर्कस अच्छी हालत में चल रहा है बल्कि उसके माता पिता भी ज़िंदा हैं और वह इस सर्कस का शो स्टॉपर बन चुका है। अपने कारनामों  से उसने राजनगर में अपना एक अलग स्थान बना लिया है लेकिन अब न वह कमांडो है और न उसकी कोई कमांडो फोर्स मौजूद है। लेकिन फिर भी उसे सब कुछ याद है। याद है कमांडो फोर्स के बारे में, उन खलनायकों के बारे में जिनके दाँत उसने खट्टे किए थे और उन लोगों के बारे में जो उसकी जिंदगी में महत्वपूर्ण स्थान रखते है। 
लेखक ने इस कथानक को इस तरह से लिखा है कि पाठक के तौर पर आप भी वही सब महसूस करते हो जो कि ध्रुव करता है। कथानक की शुरुआत में ध्रुव के साथ साथ आप भी संशय में रहते हो। एक बार लगता को है क्या ये व्हाट इफ सिनारियों के तहत लिखी कॉमिक है जिसमें  चीजों को उलट कर यह दर्शाया जाता है कि अगर हीरो के जीवन की महत्वपूर्ण घटना न हुई होती तो उसके जीवन पर क्या असर पड़ता। लेकिन जैसे जैसे कथानक आगे बढ़ता है आपको और ध्रुव को साथ ही यह अहसास होता है कि कुछ तो गड़बड़ इधर जरूर हो रही है। यह गड़बड़ क्या है और क्यों हो रही है? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर जानने के लिये ध्रुव जितना व्याकुल है, उतना ही व्याकुल आप भी रहते हो और कॉमिक के पृष्ठ पलटते चले जाते हो। कॉमिक बुक आपको अंत तक बाँधकर रखता है। असल में क्या हो रहा है इस बात का भान होने पर  भी यह सब कुछ क्यों हो रहा है यह प्रश्न आपको बाँधकर रखता है। अंत में जब सब कुछ खुलता है तो आपको एक संतुष्ट करने वाले कथानक पढ़ने का अहसास होता है। 
हाँ, कई बार ऐसा लगता है कि आपको खलनायक के विषय में कुछ क्लू लेखक को देना चाहिए था लेकिन मुझे लगता है जो व्यक्ति ध्रुव के कॉमिक्स को घोट कर पी चुका है उसके लिए शायद कुछ संकेत खलनायक का पता लगाने के लिए काफी हों। चूँकि मैंने ये कॉमिक एक तो सिलसिलेवार नहीं पढ़ें हैं और फिर पूरे भी नहीं पढ़ें हैं तो मैं उन संकेतों को भाँप नहीं पाया। 
कहानी में एक्शन और रहस्य तो है ही साथ-साथ ध्रुव के जीवन से जुड़े भावनात्मक पहलुओं को भी कॉमिक में बीच में और अंत में लेखक ने दर्शाया है। कॉमिक बुक का अंत भी ऐसा है जो आगे किसी खतरनाक कथानक आने की उम्मीद जागृत करता है। 
कॉमिक बुक में अगर कोई कमी है तो बस इसके चित्रांकन के एक भाग में है। कॉमिक के कथानक में एक नकाबपोश कहानी में ध्रुव को बेहोश कर देता है और वह जिस चीज से उसे बेहोश करता है वह कहानी के अंत में बहुत महती भूमिका निभाता है लेकिन जब ध्रुव बेहोश से होश में आता है वह चीज दर्शाई नहीं गयी है। यहाँ इतना ही कहूँगा कि अगर कोई व्यक्ति किसी डिब्बे को मारकर मुझे बेहोश करेगा और फिर जब मैं होश में आऊँगा तो मेरे मन में ये सवाल जरूर आएगा कि उस डिब्बे में क्या है? वहीं अगर मेरे दोस्त मुझे बेहोशी से होश में लाएंगे तो वह उस डिब्बे का जिक्र जरूर करेंगे लेकिन चित्र में ऐसा करते नहीं दिखाया गया है।  अगर दिखाया जाता तो बेहतर होता। इसके अलावा आर्टवर्क मुझे पसंद आया। कथानक के साथ न्याय करता है। 
अंत में यही कहूँगा कि नितिन मिश्रा ने ध्रुव के जीवन के सबसे बड़े पछतावे को लेकर एक अच्छा कथानक बुना है जो कि पाठक को अंत तक बाँध कर रखता है। मुझे तो कॉमिक बुक काफी पसंद आया। 
हम सभी अपनी अपनी जिंदगी में कुछ पछतावे लेकर जी रहे हैं। लेकिन यकीन मानिए हमें जो जीवन में मिला है वह अपनी गलतियों के चलते ही मिला है। हो सकता है अगर हम वो गलतियाँ न करते तो शायद हमारे जीवन में जो कुछ अच्छा है वह भी न होता। हम अपनी पुरानी गलतियों से सीख जरूर सकते हैं और उन्हें न दोहराने का संकल्प  ले सकते हैं लेकिन उनके विषय में सोच सोचकर अपने वर्तमान और भविष्य को खराब न करें तो बेहतर होगा। 
क्या आपने इस कॉमिक को पढ़ा है? आपको यह कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे अवगत जरूर करवाइएगा। 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

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