संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 32
प्रकाशक: राज कॉमिक्स
आईएसबीएन: 8184915462
सीरीज: सुपर कमांडो ध्रुव #7
कथा और चित्र: अनुपमन सिन्हा
बर्फ की चिता |
कहानी:
तेरह हजार फुट की ऊँचाई पर बना हुआ चिनार गुल बाँध अचानक तबाह हो गया था। इस बाँध के तबाह होने से काफी इलाके बाढ़ की चपेट में आ चुके थे। सभी के दिमाग में यह प्रश्न था कि इतनी ऊँचाई पर बना बाँध अचानक कैसे टूट गया?
गड़बड़ की आशंका थी और वह आशंका सही साबित हुई। वैज्ञानिको की माने तो बाँध में तबाही अचानक से पिघली बर्फ के कारण हुई थी। वहीं उन्हें कुछ ऐसे सबूत भी मिले थे जिससे पता लगता था कि उधर कुछ न कुछ गड़बड़ हो रही थी।
यह इलाका संवेदनशील था और इस गड़बड़ का पता लगाना बेहद जरूरी था। लेकिन वो कहते हैं न कि जब मुसीबत आती है तो एक साथ नहीं आती। यही इधर भी हुआ था। भारतीय फौज का वो विशेष दस्ता जो मिशन को अंजाम दे सकता था, सियाचीन में फँसे होने के कारण दो दिन से पहले उस जगह पर नहीं पहुँच सकता था।
हालात बुरे थे क्योंकि उधर किसी का होना बेहद जरूरी था।
अब कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए था जो फौज के आने तक उधर के हालात का पता कर उसे सम्भाल सके। ऐसे में कमांडर वर्मा को केवल एक ही नाम सूझा और वो था सुपर कमांडो ध्रुव।
आखिर चिनार गुल बांध की तबाही के पीछे क्या राज था?
क्या ध्रुव ऐसे हालातों का सामना करने के लिए सक्षम था?
हिमालय की उन निर्जन पहाड़ियों पर ध्रुव को किन तकलीफों का सामना करना पड़ा?
ऐसे ही कई प्रश्नों का उत्तर आपको इस कॉमिक में पढ़ने को मिलेगा।
मेरे विचार:
बर्फ की चिता सुपर कमांडो ध्रुव का सातवाँ कॉमिक्स है। जो संस्करण मैंने अभी पढ़ा वो मैंने अपनी मामाजी से लेकर पढ़ा। यह संस्करण जब प्रकाशित हुआ था तो उस वक्त इसकी कीमत पाँच रूपये थे। नया संस्करण अब अगर आप लेने जायेंगे तो आपको वह पचास पृष्ठ का मिलेगा। नेट पर पता चला कि यह कॉमिक पहली बार 1987 के करीब प्रकाशित हुआ था। यानी यह कॉमिक मेरे से भी पुराना है।
कॉमिक्स की बात करूँ तो कॉमिक्स मुझे पसंद आया। राज के शुरूआती कॉमिक्स काफी अच्छे रहे हैं और यह कॉमिक भी निराश नहीं करता है।
कहानी की शुरुआत एक त्रासदी से होती है जिसका पता लगाने के लिए ध्रुव को हिमालय की पहाड़ियों में जाना पड़ता है। वहाँ जाकर घटनाक्रम रोमांच और तेजी दोनों में बढ़ता चला जाता था। कथानक में एक रहस्य सुलझता है तो दूसरा रहस्य उसकी जगह ले लेता है। लोग एक दूसरे को धोखा देते हैं और पाठक के रूप में आप इसके पीछे का कारण समझने के लिए कहानी को पढ़ते चले जाते हैं। यानि 32 पृष्ठों का यह कथानक शुरू से लेकर अंत तक आपका मनोरंजन करने में पूरी तरह सफल होता है।
कहानी के एक दो सीन हास्य भी पैदा करते हैं। कॉमिक में दुश्मन देश के रूप में चीन का इसमें जिक्र है। यहाँ मैं बस इतना ही कहूँगा क्योंकि इससे ज्यादा कहना स्पोईलेर देना होगा। हाँ, मैंने चीन को दुश्मन के रूप में दर्शाए जाने वाली कहानियाँ काफी कम पढ़ी हैं। जब हमारी पीढ़ी बढ़ी हो रही थी तो मेजर दुश्मन के रूप में पाकिस्तान को दर्शाया जाने लगा था। चीन से जुडी कहानियाँ आनी कम हो गयी थी। वैसे इसी सन्दर्भ में मुझे मनोहर मलगाओंकर के उपन्यास स्पाई इन एम्बर की याद आ गयी। वह 70 के दशक में लिखा गया था और उसमें भी चीन को दुश्मन दर्शाया गया था। अगर फ़िल्मी जासूसी उपन्यास आपको पसंद आते हैं तो आपको उसे जरूर पढ़ना चाहिए। उपन्यास अंग्रेजी में लिखा गया है।
वैसे बचपन में कॉमिक पढ़ना और बड़े होकर कॉमिक पढ़ना भी एक अलग अनुभव होता है। मुझे इसका अहसास अब जाकर काफी मौकों में होता रहता है। मुझे डोगा के कॉमिक्स अब जरूरत से ज्यादा हिंसक लगते हैं। बचपन में उन्हें पढ़कर मजा आता था। इस कॉमिक का एक सीन है जिसमें ध्रुव गिर रहा होता है और उसके हाथ में रस्सी का टुकडा होता है जिसे वो एक उभरी हुई चट्टान इस तरह से फँसाता है कि दोनों हाथों में उसके रस्सी एक दो सिरे होते हैं और वो झूल रहा होता है। इस सीन को देखते वक्त मेरे दिमाग में सबसे पहला ख्याल यही आया था कि इसके हाथ उस रस्सी से छिल गये होंगे। ध्रुव इतने ऊपर से गिर रहा था कि वो इतनी तेजी से नीचे आएगा कि रस्सी को चट्टान पर फँसा कर थमने के कारण जो झटका उसे लगेगा उससे उसके हाथ छिलेंगे ही छिलेंगे। चित्र देखकर एक पल को उस दर्द को महसूस कर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी थी। मैं हाथ छिलने के उस दर्द को महसूस कर सकता था। बचपन में भी शायद मैंने यह कॉमिक पढ़ा था लेकिन तब मैंने इस पर ध्यान नहीं था। क्या आपके साथ भी अब ऐसा होता है? कुछ चीजों ऐसी हैं जिनका असर आपको बचपन में कॉमिक पढ़ते हुए नहीं होता था लेकिन अब होता है। अगर ऐसा है तो मुझसे जरूर साझा कीजियेगा।
कॉमिक के आवरण चित्र में ध्रुव को एक यति खाई से नीचे फेंकता हुआ दिखता है। यह यति कौन है और क्यों ध्रुव को फेंक रहा है यह तो आप कॉमिक पढ़कर जानेंगे तो बेहतर रहेगा। अभी इतना ही कहूँगा कि कहानी में यति वाला कोण मुझे पसंद आया। हम मनुष्यों ने चीजो का इस तरह दोहन किया है कि कई प्रजातियों को नष्ट कर दिया है। ऐसे में यातिराज द्वारा किये गये कार्य को मैं एक बार को समझ सकता था। कॉमिक का यह हिस्सा हमे यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हमारी भूख कब शांत होगी। हम सब कुछ खाए जा रहे हैं और अब ऐसी हालत में आ चुके हैं कि हमारी इस भूख का असर हमारे बच्चों को दिखने लगा है। यह हमारी भूख का ही असर है बच्चों के पास न खेलने को जमीन बची है, न साँस लेने को हवा और न पीने को स्वच्छ पानी। हम अपनी अगली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ रहे हैं ये हमे सोचना चाहिए।
अंत में यही कहूँगा बर्फ की चिता मुझे पसंद आया। कथानक शुरुआत से लेकर अंत तक रोमांचक है और पाठक का मनोरंजन करता है। अनुपम सिन्हा जी का आर्ट वर्क भी क्लासिक है।
अगर आपने इस कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
रेटिंग: 4/5
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अमेज़न
राज कॉमिक्स
कुछ प्रश्न:
प्रश्न 1: इस कॉमिक में यति नाम का मिथकीय जीव है। ऐसे कौन से मिथकीय जीव हैं जिन्हें आप असल में दुनिया में विचरण करते हुए देखना चाहेंगे?
प्रश्न 2: पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सभी को प्रयत्नरत रहना चाहिए। अपने जीवन में अगर हम छोटे छोटे बदलाव भी करके हम पर्यावरण के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। आप पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने जीवन में ऐसे कौन से छोटे छोटे कदम उठाते हैं?
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सुपर कमांडो ध्रुव
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© विकास नैनवाल ‘अंजान’
ऐसे मुझे बचपन मे कॉमिक या कोई भी उपन्यास पढ़ने नही मिला पर हा कार्टून और Anime(जापानी एनिमेशन) जो देखे थे बचपन मे, उन्हें अब दुबारा देखकर ऐसा लगता है।
जैसे प्रसिद्ध अमेरिकी कार्टून Tom&Jerry
उसमे कई बार Tom को कटते हुए दिखाया गया था पर बचपन मे मुझे वह मज़ेदार लगता था।
कुछ वर्ष पहले एक लेख पढ़ा था जिसमे कुछ भारतीय अभिभावक tom&jerry को ban करवाना चाहते थे। उनका कारण था इस कार्टून मे दिखाई गई हिंसा, जो बच्चो के दिमाग पर असर डाल सकती थी।
फिर मुझे एहसास हुआ कि tom&jerry काफी हिंसात्मक कार्टून था।
ऐसे मुझपर कोई असर नही हुआ इन सब का, क्योंकि मुझे उन सब चीज़ों की समझ नही थी तब। भारतीय अभिभावक बेमतलब का टेंशन लेते है।
जी उनकी हिंसा इसलिए भी असर नहीं डालती है क्योंकि उस पर उनका कुछ गहरा असर होता नहीं दिखता है। कोई भी इन चीजों को इतनी संजीदगी से नहीं लेता है। हम देखने के बाद भी नहीं लेते थे। वरना रोडरनर तो टॉम एंड जेरी से ज्यादा खतरनाक कार्टून था। वैसे बचपन में मैं भी कॉमिक्स और पत्रिका तक सीमित था और वो भी भूले बिसरे ही मिलते थे मुझे। हाँ, मेरे मामा के पास कॉमिक बुक्स का कलेक्शन था तो सर्दियों की छुट्टियों में जब हम लोग उनके यहाँ जाते थे तो मेरे मज़े हो जाते थे। बहुत कॉमिक पढता था उधर। यह कॉमिक भी पहली बार वहीं पढ़ा था।
कई कॉमिक बुक्स पढ़ी हैं जिनमें पर्यावरण सन्तुलन का संदेश होता है और बुराई पर अच्छाई का महत्व भी । ऐसी बुक्स फैंटम की भी हैं । सुपर कमांडो ध्रुव की यह बुक पढ़ी हुई है जो अच्छी लगी थी । मेरा मानना है ध्रुव को हम मानव की श्रेणी का वह व्यक्तित्व मानते है जो विलक्षण गुणों से सम्पन्न है । इसलिए कहीं दुख दर्द के अनुभव को अपने करीब पाते हैं । जबकि नागराज,डोगा और फाइटर टोड्स जैसे कैरेक्टर्स अतिमानवीय लगते हैं कहीं यान्त्रिक टाइप ।
जी ये भी है। पर शायद एक कारण यह भी है कि छोटे में हम फंतासी की दुनिया में ही रहते हैं तो यह चीजें इतना असर नहीं डालती हैं। हमारा तर्क वाला हिस्सा भी इतना विकसित नहीं हुआ होता है। बचपन की मासूमियत भी रहती है। वैसे मैंने फैंटम का नाम तो काफी सुना है लेकिन उसकी एक भी कॉमिक पढ़ने का मौका नहीं मिला।