साक्षात्कार: उपन्यास काबेरी की लेखिका हेमा श्रीवास्तव (रिया श्री) से बातचीत

मूलतः बुन्देलखण्ड से आने वाली हेमा श्रीवास्तव प्रतिलिपि के पाठकों और पॉकेट एफएम और कूकू एफएम के श्रोताओं के लिए एक जाना पहचाना नाम हैं। इन प्लैटफॉर्म्स में पाठकों और श्रोताओं का भरपूर प्यार उन्हें मिलता रहा है। हाल ही में उनका पारलौकिक उपन्यास काबेरी फ्लाइड्रीम्स प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।  

उनके इसी नव प्रकाशित उपन्यास पर एक बुक जर्नल ने उनसे बातचीत की है। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आएगी। 

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उपन्यास काबेरी की लेखिका हेमा श्रीवास्तव(रिया श्री) से बातचीत

प्रश्न: हेमा जी नमस्कार! सर्वप्रथम तो आपको अपने नवप्रकाशितत उपन्यास के लिए हार्दिक बधाई। इससे पहले आपका लघु उपन्यास ‘किस्सा हम लिखेंगे’ प्रकाशित हो चुका है जो कि प्रेम के इर्द गिर्द बुना गया था। ऐसे में ऐसिहासिक हॉरर थ्रिलर लिखने का विचार कैसे आया? 

उत्तर:  नमस्कार विकास जी , जी हाँ यह सच है कि इस हॉरर कहानी से पहले मैंने अपनी सारी कहानियों में सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही लिखा है।  ‘किस्सा हम लिखेंगे’ के दौरान मैं फ्लाइड्रीम पब्लिकेशन से जुड़ी। शायद आप भी जानते होंगे कि फ्लाइड्रीम पब्लिकेशन एक चमकता हुआ नाम बन गया है और उसकी टैग लाइन के अनुसार ‘किताबें जरा हटके’ इस लाइन ने भी मुझे कहीं ना कहीं प्रेरित किया और मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी कुछ हटके लिखूँ! तो बस एक छोटी सी घटना को उठाकर मैंने यह कहानी बुंदेलखंड से शुरू की। पर हाँ दूसरी कहानियों की तरह इस कहानी में भी हॉरर के साथ  रूह को छूने वाला एक प्रेम भी मौजूद है। हॉरर में प्रेम किस तरह गुँथा है यह जानने के  लिए आपको कहानी पढ़नी पड़ेगी!

प्रश्न: क्या आप पहले भी हॉरर जॉनर में कुछ लिख चुकी हैं? 

उत्तर: जी हाँ  पहले इस जॉनर में मैंने प्रतिलिपि पर  ‘मानो या ना मानो’  नाम से एक श्रंखला लिखी थी जिसमें 6- 7 छोटी-छोटी हॉरर कहानियाँ मौजूद हैं। 

प्रश्न: आपका नवीन उपन्यास काबेरी ऐतिहासिक शहर ओरछा में घटित होता है। इस शहर में उपन्यास बसाने का कोई विशेष कारण? 

उत्तर: देखिए कहानियाँ इस समाज और इतिहास को देखकर ही रची जाती हैं। अपनी इस कहानी में भी एक छोटी सी घटना को मैंने ओरछा शहर से ही लिया है। चूँकि वह घटना उधर घटित हुई थी तो उपन्यास में ओरछा आ गया।  अगर आप कहानी पढ़ेंगे तो आप ओरछा के इतिहास और उस घटना के बारे में जान पाएंगे।

प्रश्न: उपन्यास के ऐतिहासिक पक्ष को मजबूत करने के लिए क्या आपने कोई रिसर्च की थी? 

उत्तर: आपके इस सवाल का मुझे सच में बहुत इंतजार था । इस सवाल के बारे में बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो मैं आप सबसे शेयर करना चाहती हूँ।  मैंने इस किताब को लिखने से पहले बहुत मेहनत की है ,और मैं चाहती हूँ कि मेरी वह मेहनत किसी न किसी तरह पाठकों के सामने पहुँचे और लोगों को पता चले कि लेखक बनना इतना भी आसान नहीं है। हम सब बहुत मेहनत करते हैं किसी भी रचना को लिखने के लिए।

काबेरी लिखने के एक डेढ़ साल पहले से ही मैं इसकी रूपरेखा बनाने लगी थी।

मैं खुद बुंदेलखंड से बिलॉन्ग करती हूँ  इसलिए मुझे ओरछा के बारे में पहले से काफी कुछ पता था। मैं कई बार ओरछा जा चुकी हूँ लेकिन जब मैंने कहानी की शुरुआत की तो मुझे आज से 500 साल पहले जाना पड़ा। सन 1600 ई० से मैंने पिशाचों के महत्व को समझना शुरू किया।  इसके लिए गूगल सर्च किया। जॉन पॉली डोरी के उपन्यास के भी कुछ अंश पढ़े और मुझे पता चला कि ताजमहल के निर्माण के समय  यह बात सामने आई थी कि भारत में पिशाचों का महत्व है। और ठीक उसी समय से ओरछा के राजा की कहानी भी शुरू होती थी जो कहीं ना कहीं आपस में कुछ जुड़ी हुई थी। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए  मैंने अपने नॉवेल को आगे बढ़ाया ।

हम कहीं ना कहीं अपने बड़े लोगों से यह सारी बातें सुनते हैं जो कुछ समय बाद किवदंतियाँ बनकर हमारे सामने आ जाती हैं लेकिन इन्हीं किवदंतियों से जब कुछ घटनाएँ मेल खाने लगती हैं। 

तब हमें कहीं ना कहीं एहसास होता है कि हाँ यह नेगेटिव एनर्जी हमारे आस पास होती है।  कुछ बातें हम जानते हैं कुछ समझते हैं और कुछ बातों की हमें कल्पना भी करनी पड़ती है तभी हम घटनाओं को एक क्रम के रूप में उपन्यास की शक्ल दे पाते हैं ।

मैं बचपन से ही कल्पनाशील स्वभाव की रही हूँ पुरानी जगहों पर जाना, उनके बारे में पूछना , पढ़ना , मुझे आकर्षित करता रहा है और शायद इसी वजह से यह सारी कल्पनाएँ मेरे मन में कहीं ना कहीं इकठ्ठी होती रही, और मैं इसे काबेरी की कहानी में उतार पाई।  शायद आप लोगों को कुछ अजीब लगेगा पर मैं कुछ ऐसे लोगों से भी मिली हूँ जो भूत प्रेत बाधा और शैतानी शक्तियों के बारे में काफी कुछ जानते हैं और उनका मानना है कि यह सारी चीजें हमारे आसपास होती हैं क्योंकि जब तक हमारे पास किसी चीज का बेस नहीं होता हम उस में वजन नहीं ला सकते।  इन बातों पर विश्वास करना ना करना हमारे हाथ में है पर इन बातों को गहराई से जानने के लिए मैंने ऐसे लोगों से मिलकर भी काफी कुछ समझा है।   आज के आधुनिक दौर में मैं यह नहीं कह सकती कि हम किसी एक पक्ष को 100% सही करार दे पाए ,पर यह मेरा भी मानना है कि अगर सकारात्मकता हमारे आस पास है तो नकारात्मकता भी हमारे आसपास है। अगर भगवान है तो भूत भी है , और अगर इस दुनिया में अच्छाई  है तो उसको तोड़ने के लिए कुछ बुराइयाँ भी व्याप्त हैं। इसी सोच के साथ मैंने काबेरी को पूर्ण किया है। 

प्रश्न: उपन्यास में हॉरर के तत्व भी हैं। हर व्यक्ति को अलग अलग चीजें डराती हैं। व्यक्तिगत तौर पर आपको कौन सी चीजें हैं जो डराती हैं? 

उत्तर:  विकास जी अगर लेखन शैली दमदार हो तो हमें हर चीज डरा सकती है, चाहे दंगे हो, हॉरर हो, बीमारी हो मौत का डर हो कोई भी ऐसी बात जो व्यक्ति की दुखती रग पर हाथ रखती हो। जहाँ तक मेरे डर की बात है मुझे सबसे ज्यादा डर हॉस्पिटल से लगता है। भगवान करे कभी किसी को उधर ना जाना पड़े।

प्रश्न: मुख्य किरदार को छोड़कर उपन्यास का कौन सा ऐसा किरदार था जो आपको पसंद है और क्यों? वहीं मुख्य खलनायक को छोड़कर उपन्यास का कोई ऐसा किरदार है जो आपको नापसंद हो? अगर हाँ तो वो कौन सा किरदार है?

उत्तर: मुख्य किरदार तो काबेरी ही है यह तो शायद आप समझ ही गये  होंगे ।

मुझे शांतनु का किरदार बहुत पसंद आया पर आपने ऐसा विडंबना वाला सवाल पूछा है , कि दूसरे सवाल का उत्तर देना जरा मुश्किल होगा , क्योंकि दूसरे सवाल का जवाब शांतनु से ही जुड़ा है तो प्लीज इसके लिए तो आप सभी को यह उपन्यास पढ़ना होगा।

प्रश्न: आपने आने वाले प्रोजेक्ट्स कौन से हैं? क्या आप पाठकों को बतायेंगी?

उत्तर: जी जरूर बताऊंगी! अगर काबेरी को आप सबका भरपूर प्यार मिला और आपकी माँग हुई तो इसका अगला भाग लेकर आऊँगी । अभी प्रतिलिपि पर  ‘नौलखा’ का सेकंड सीजन लेकर आने वाली हूँ , और एक नई स्टोरी भी शुरू करूँगी  ‘निर्झरा- इंतजार कब तक’। इसे आप प्रतिलिपि पर पढ़ सकते हैं।

मेरा एक नया शो ‘डेस्टिनेशन वेडिंग सियापा’  कुकू एफएम पर लगातार चल रहा है आप इसे भी सुन सकते हैं। यह शो अब तक 9 लाख से ऊपर बार सुना जा चुका है। 

अंत में मेरी बातें लोगों तक पहुँचाने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद!

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तो यह थी लेखिका हेमा श्रीवास्तव से हमारी बातचीत। इस बातचीत के विषय में अपनी राय से हमें जरूर अवगत करवाइएगा। 

हेमा श्रीवास्तव का उपन्यास काबेरी अमेज़न पर उपलब्ध है। उपन्यास निम्न लिंक पर जाकर खरीदा जा सकता है:

काबेरी 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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7 Comments on “साक्षात्कार: उपन्यास काबेरी की लेखिका हेमा श्रीवास्तव (रिया श्री) से बातचीत”

  1. इस साक्षात्कार को पढ़ना अत्यन्त सुखद रहा विकास जी। आभार आपका और शुभकामनाएं हेमा जी को।

    1. साक्षात्कार आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा सर। आभार।

    2. सभी इंटरव्यू पढ़ने वाले लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें !😊 और अगर मुझसे जुड़े कोई सवाल हो तो आप उसे भी पूछ सकते हैं

    1. I think you mistook the interview for a reivew. Thanks for commenting though.

  2. काफी बढ़िया साक्षात्कार था । हेमा जी को शुभकामनायें !

    1. साक्षात्कार आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

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