संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ काउंट: 32
प्रकाशक: राज कॉमिक्स
आईएसबीएन: 9788184916362
कथा एवं चित्र: अनुपम सिन्हा,सम्पादक: मनीष चन्द्र गुप्त
श्रृंखला: सुपर कमांडो ध्रुव #14
उड़नतश्तरी के बंधक |
फ्लाइट 1314 अपने 225 यात्रियों के साथ अचानक से गायब हो गयी थी। किसी को पता नहीं लग रहा था कि उस प्लेन को आसमान निगल गया या जमीन खा गयी।
कण्ट्रोलरूम को मिले आखिरी संदेश के हिसाब से प्लेन के पायलट ने अपने संदेश में किसी उड़न तश्तरी का जिक्र किया था।
वही सुपर कमांडो ध्रुव भी इस फ्लाइट के गायब होने से परेशान था। इस फ्लाइट में उसकी बहन श्वेता और माँ मुंबई से वापस लौट रही थी। जब बहुत कोशिशों के बाद भी प्लेन नहीं मिला और न मिलने के आसार दिखे तो ध्रुव ने इस रहस्यमय गुत्थी को सुलझाने का फैसला किया।
आखिर प्लेन और उसमें बैठे यात्री किधर गायब हो गये थे?
क्या प्लेन के पायलट ने जो उड़नतश्तरी देखी थी वह सच थी या उसका भ्रम था? क्या इन यात्रियों के गायब होने के पीछे इसी उड़नतश्तरी का हाथ था?
क्या ध्रुव इस रहस्य का पता लगा पाया?
इस रहस्यमय गुत्थी को सुलझाने के लिए उसे किन मुसीबतों से दो चार होना पड़ा?
ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर आपको इस कॉमिक को पढ़ने के बाद मिलेंगे।
उड़नतश्तरी के बंधक जैसे की नाम से जाहिर है एक उड़नतश्तरी और उसके बंधकों के विषय में है। कॉमिक्स की कहानी एक प्लेन के गायब होने से शुरू होती है और उसके बाद ध्रुव कैसे इस रहस्य को सुलझाता है यह कॉमिक्स का कथानक बनता है।
कहानी रोचक है। जब कहानी में उड़नतश्तरी आई थी तो लगा था कि यह पराग्रहियों के विषय में होगी लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढती है इसमें टाइम ट्रेवल जुड़ जाता है। कहानी २५००० साल आगे बढ़ जाती है। उस वक्त हुए तकनीकी विकास और उसके इनसानों के ऊपर असर को देखना रोचक था। मुझे यह कांसेप्ट पसंद आया। इस दुनिया को पृष्ठभूमि लेकर अगर अनुपम जी ऐसा उपन्यास लिखें जिसमें मानवों के मेक मानवों में बदलने और विटलर(जो कि हिटलर से मिलता जुलता है) के तानाशाह बनने की कहानी हो तो मैं उसे जरूर पढ़ना चाहूँगा।
मुझे तो यह कहानी पसंद आई। कहानी तेज है और चीजें ऐसी घटित होती हैं कि पाठक इसे पढ़ता चला जाता है। मैंने शायद बहुत पहले इसे पढ़ा होगा लेकिन दोबारा पढ़ने में भी उतना ही मजा आया। कहानी में विटलर और खिलीट के किरदार रोचक लगे।
कहानी में एक प्रसंग है जिसमें जब ध्रुव पकड़ा जाने वाला होता है तो वह क्रूरता दिखाकर अपने मेक मानव होने का सबूत देता है। उस वक्त मैं सोच रहा था कि क्या मेक लैंड में अपराधी नहीं थे और अगर थे तो उनसे कैसे निपटा जाता? ध्रुव का यह कार्य क्या अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा? कहानी का यह बिंदु मुझे कमजोर लगा। ध्रुव इस परिस्थिति से अगर किसी और बेहतर तरीके से झूझता तो बेहतर रहता।
कहानी के अंत में होरमोन का जिस तरीके से इस्तेमाल ध्रुव ने किया वह भी मुझे थोड़ा अटपटा लगा। तरीका कुछ और रोचक हो सकता था।
अगर आपने इस कॉमिक को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
अब कुछ प्रश्न आपके लिए:
प्रश्न 1: अगर आपको टाइम मशीन मिले तो आप कौन से कालखंड में जाना पसंद करेंगे?
प्रश्न 2: क्या आपको परग्रहियों पर विश्वास है? आपके हिसाब से वो कैसे दिखते होंगे?
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राज कॉमिक्स
सुपर कमांडो ध्रुव के मैंने अन्य कॉमिक भी पढ़े हैं। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
सुपर कमांडो ध्रुव
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ⓒ विकास नैनवाल ‘अंजान’
कुछ वर्ष पहले पढ़ा थे एक रहस्यमई घटना के बारे मे, जिसमे एक विमान गायब हो गया था और उसमे सवार यात्रियों के अनुसार वह लोग वॉर्महॉल द्वारा भविष्य मे चले गए थे।
शायद यह कॉमिक इसी घटना से प्रेरित रहकर लिखा गया था।
पहले प्रश्न का उत्तर तो यह है कि मैं विक्टोरिया काल मे जाऊँगा यदि मुझे टाइम मशीन मिले तो।
मैने पिछले महीने एक ईबुक पढ़ी थी जैक द रीपर पर आधारित। जैक द रीपर आज भी दुनिया की सबसे बड़ी गुत्थियों मे से एक है।
मैं जैक द रीपर को पकड़ने की कोशिश करता।
और हाँ मुझे परग्रहीयो पर विश्वास है।
पर जरूरी नही वह वैसे ही दिखते हो जैसे फिल्मो मे होता है। हो सकता है वह फंगस की तरह हो और कई अन्य प्रकार के हो।
रोचक। यह कॉमिक तो 1991 में लिखा गया था। यह किस्से प्रभावित है इसके विषय में मुझे कोई आईडिया नहीं है।जैक रीपर के विषय में मैंने सुना है। यह कई लेखकों के लिए कोतुहल का विषय है। पराग्रहियों के विषय में आपकी सोच रोचक है।
ध्रुव के पहले के 32 पेज वाले कॉमिक का प्लांट जबरदस्त रहते थे इसके कुछ कॉमिक्स चैंपियन किलर और आखरी दांव उन्ही बेहतरीन प्लाट के कामिक्स थे ����♥️
और अगर मुझे टाइम मशीन मिले तो मैं पूरी सुबिधा से लेस होकर पृथ्बी के एकदम प्राम्भिक बिंदु पर जाना चाहूँगा
हा लगता है विस्वास परगरहिओ पर और लगता वो भी करोड़ो प्रकश वर्ष दूर जरूर हम जैसे होंगे
जी धीरे धीरे मैं भी पुराने कॉमिक्स की तरफ बढ़ रहा हूँ। टाइम मशीन लेकर पृथ्वी की शुरुआत देखना वाकई रोचक होगा। जी आपने सही कहा कि एलियंस जहाँ भी होंगे वो शायद हमारे जैसे ही हों या फिर कुछ अलग। इस ब्रह्माण्ड में हम ही अकेले हैं ये तो मुझे सम्भव नहीं लगता है।
बहुत रोचक काॅमिक्स है। किशोरावस्था में पढी थी। याद ताजा हो गयी।
जी सही कहा रोचक कॉमिक्स थी….इसीलिए लौटकर आ ही जाता हूँ इन्हें पढ़ने। आभार।
यह कॉमिक्स ध्रुव के स्वर्णिम काल की एक कॉमिक्स है। ऐसा मैं नहीं शुभम भाई कहते हैं। क्योंकि मैं तो इस फोन की कहानी तक भूल चुका हूं लेकिन आज आपका लेख पढ़ने के बाद इसे पढ़ने की इच्छा जाग उठी है।
कहानियाँ अक्सर मैं भूल जाता हूँ… पढ़िए यकीनन आपको मज़ा आएगा..