चीख डोगा चीख | राज कॉमिक्स | संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही

 संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ईबुक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: डोगा

टीम 

लेखक: संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: मनु  

पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी 

कोई था जो शहर में कुत्तों को बेदर्दी से मार रहा था। वो कुत्ते जो कि डोगा के दोस्त हुआ करते थे। डोगा ने फैसला ले लिया था कि वह उस हैवान को ढूँढ निकालेगा और उसे उसके कर्मों की सजा देगा। 

वहीं दूसरी और डोगा के सामने खड़े थे  पावर टूल्स। उनके साथ ही था लेब्रा। एक ऐसा व्यक्ति जो कुत्ते की शक्ल के पीछे तो छुपा हुआ था लेकिन मुंबई की रात को अपराध की स्याह स्याही से रंगना चाहता था। 

इन्होंने फैसला कर दिया था कि वह डोगा की चीख निकाल कर रहेंगे।

वह कौन था जो कुत्तों की बेदर्दी से हत्या कर रहा था?

आखिर कौन थे ये पावर टूल्स? कौन था ये लेब्रा?

वह क्यों डोगा की चीख निकालने को तत्पर थे?

 

मेरे विचार

डोगा की कॉमिक बुक पिछले साल सितंबर में पढ़ी थी। इसके बाद अब डोगा की दुनिया में वापस होना हो रहा है। प्रस्तुत कॉमिक बुक ‘चीख डोगा चीख’ के विषय में मुझे ये पता है कि यह ‘आई लव यू’ सीरीज का भाग है जिसमें पाँच कॉमिक बुक हैं। यह सभी कॉमिक बुक 1996 में प्रकाशित हुई थीं। यह कॉमिक बुक हैं: चीख डोगा चीख, लोमड़ी, काली विधवा, खराब कानून, आई लव यू

फिलहाल ‘चीख डोगा चीख’ की बात करें तो इस कॉमिक बुक में कुछ ट्रैक एक साथ चल रहे हैं। पहला ट्रैक है उस रहस्यमय आपराधी का जो कि गली के कुत्तों को बेदर्दी से मार रहा है। यह व्यक्ति कौन हो सकता है इसके लिए  एक संदिग्ध भी खड़ा किया गया है। प्रस्तुत भाग में यह पता नहीं चलता है कि वह संदिग्ध ही वो व्यक्ति है या नहीं। 

कहानी में दूसरा ट्रैक है लेब्रा नामक व्यक्ति का जो कि कुत्ते का मास्क लगाकर चोरी कर रहा है। यह व्यक्ति बड़ा चोर बनना चाहता है और इसे भी कुत्तों से नफ़रत है। 

तीसरा ट्रैक है रंगा नाम के व्यक्ति का जो कि एक गैंग चला रहा है और उसके गैंग के सदस्य शहर में बड़ी बड़ी चोरियाँ कर रहे हैं। डोगा इन सदस्यों से भिड़ता दिखता है।  

और सबसे आखिरी ट्रैक है मोनिका का जो कि डोगा की पहचान जानने के लिए लोमड़ी बनने का फैसला करती है। वह कॉस्टयूम पहनकर लोमड़ी बनती है और डोगा की जान भी बचाती है। 

कहानी में ये चारों ट्रैक एक के बाद एक आते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि आप कॉमिक बुक के पृष्ठ पलटते रहें। इसके साथ साथ चूँकि कहानी 28 पृष्ठ की है तो कहीं भी भटकती नहीं हैं। कहानी तेज रफ्तार है और एक बार शुरू करने पर आप इसे खत्म किए बिना नहीं रहते हैं। 

चूँकि यह शृंखला का पहला भाग है तो यह भूमिका बाँधने का कार्य बखूबी करता है। कहानी में ऐसे प्रश्न मौजूद है जो कि आगे के भाग को पढ़ने की उत्सुकता आपके भीतर जागृत रखेंगे। 

कॉमिक बुक में ऐसी कोई कमी तो नहीं है लेकिन मुझे ये समझ नहीं आया कि लोमड़ी की पहचान पाठकों के सामने उजागर क्यों की गई। मुझे लगता है कि अगर लोमड़ी की पहचान को रहस्यमय रखा जाता तो कहानी में रहस्य का तत्व और बढ़ जाता। पाठक सोचते कि यह नया किरदार कौन है और क्यों डोगा की पहचान के पीछे पड़ा है। ऐसे में एक बड़ा रीवील करके पहचान उजागर करते तो शायद बेहतर होता। 

कॉमिक बुक का आर्ट मनु का है जो कि बेहतरीन है।  यह कथानक के साथ न्याय करता है। 

कॉमिक के अंत में प्रकाशक की एक चिट्ठी है जिसमें वह कहते हैं कि इस कॉमिक बुक से पहले उन्हें पाठकों की चिट्ठियाँ मिली थीं जिसमें उन्हें लगातार यह सुनने को मिल रहा था कि डोगा के कथानक कमजोर होते जा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने पाठकों की यह शिकायत दूर करने के लिए इस कॉमिक बुक पर अतिरिक्त कार्य किया है। यह मेहनत  इधर इसकी कहानी को देखकर दिखती है। अक्सर डोगा की एक कहानी में समानांतर कहानियाँ नहीं ही चल रही होती हैं। ऐसे में यह प्रयोग कैसे अपने अंत तक पहुँचता यह देखना बनता है। 

अंत में यही कहूँगा कि ‘चीख डोगा चीख’ एक रोचक कॉमिक बुक है जो कि आपका मनोरंजन करते हुए अगले भाग के प्रति उत्सुकता जगाने का कार्य पूरा करता है। अगर नहीं पढ़ा है तो पढ़कर देख सकते हैं। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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