संस्कार विवरण:
फॉर्मैट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: डोगा
टीम
लेखक: संजय गुप्ता, तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: मनु
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
डोगा और लोमड़ी को छकाकर पावर टूल्स और लेब्रा भागने में सफल हो गए थे। पुलिस के आ जाने से डोगा और लोमड़ी को ही उधर से कूच करना पड़ा था।
पर जाने से पहले लोमड़ी लेब्रा के विषय में जान चुकी थी।
आखिर कौन था लेब्रा?
रंगा की गैंग का अगला कदम क्या होने वाला था?
क्या लोमड़ी डोगा की पहचान जान पायी?
मेरे विचार
राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित ‘लोमड़ी’ ‘चीख डोगा चीख‘ का दूसरा भाग है। इसकी कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पर ‘चीख डोगा चीख’ की कहानी खत्म होती है।
चीख डोगा चीख में कुछ प्रश्न थे जिनका उत्तर मिलना था। यह प्रश्न थे: लेब्रा कौन है? शहर में कुत्तों को कौन मार रहा है? लोमड़ी डोगा की पहचान जानने में सफल होती है या नहीं?
‘चीख डोगा चीख’ इन बातों को स्थापित करने का काम बखूबी करता है लेकिन अक्सर दो भागों में विभाजित चीजों के साथ ये होता है कि पहला भाग तो अच्छा होता है लेकिन दूसरा भाग पहले भाग के सामने फीका पड़ पाता है। यही लोमड़ी के साथ भी होता है। कॉमिक बुक में कुछ बातें ऐसी थीं जो कि मुझे लगा बेहतर हो सकती थी या फिर उन्हें होना नहीं चाहिए था। अब इन पर ही बात करूँगा।
इस कॉमिक बुक में फ़्लैश बैक के लिए दो पृष्ठ रखे गए हैं। व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि यह पृष्ठों की बर्बादी थी। इससे बेहतर फ्लैशबैक को एक पैराग्राफ में निपटा देना चाहिए था। यह इसलिए जरूरी था क्योंकि 28 पृष्ठों के कॉमिक में वैसे ही जगह कम होती है। ऐसे में फ्लैश बैक के लिए 2 पृष्ठ जाया करने के बजाय कथानक के उन बिंदुओं पर लगाए जाते जिन्हें जल्दबाजी में निपटा दिया गया तो बेहतर होता। यह बिन्दु क्या हैं इन पर आगे बात करूँगा।
कॉमिक बुक में तीन पृष्ठों का एक प्रसंग है जिसमें इंस्पेक्टर चीता की कमिश्नर से मुलाकात होती दिखती है। यह मुलाकात इंस्पेक्टर चीता और कमिश्नर सिन्हा के बीच के समीकरण को दर्शाती है। थोड़ा हास्य भी इधर पैदा होता है। पर मुझे लगता है कि इसकी इस कहानी में जरूरत नहीं थी। ऐसा इसलिए क्योंकि कहानी में आगे इंस्पेक्टर चीता की कोई भूमिका नहीं है। फिर ऐसे में उसके प्रसंग को इधर दिखाने का औचित्य मुझे नहीं दिखा। हो सकता कि आगे आने वाले भागों के लिए यह भूमिका रची जा रही हो लेकिन इसे फिर आगे के भाग में ही इसे दर्शा सकते थे।
इस तरह से 28 पृष्ठों में से 5 पृष्ठ मुझे लगता है जाया किए गए जिनको निम्न बिंदुओं पर खर्च किया जा सकता था।
कॉमिक बुक में एक महत्वपूर्ण बिन्दु लेब्रा की पहचान थी। इस पहचान को जिस तरह उजागर किया गया वह मुझे नहीं जँचा। डोगा तहकीकात करने की कोशिश करता है लेकिन कर नहीं पाता है। वहीं जो किरदार पहचान उजागर करता है उसे बस पता होता है। अगर पहचान स्थापित करने के लिए कोई तहकीकात करते दिखाते तो बेहतर होता पर ऐसा कुछ नहीं होता है।
कॉमिक बुक में रंगा की गैंग और लेब्रा से किस तरह डोगा निपटेगा यह देखना भी रोचक होता लेकिन इधर उसमें भी जल्द बाजी सी ही की गई। अगर डोगा इन्हें ढूँढकर इन तक पहुँचता तो बेहतर होता लेकिन ऐसा नहीं किया। जो किया उससे साफ जाहिर था कि क्लाइमैक्स तक कहानी को जल्दबाजी में ले जाया गया है।
मुझे लगता है कि ऊपर दिए गए बिंदुओं पर कार्य किया गया होता और कुछ और पृष्ठ कॉमिक बुक में होते तो यह बेहतर कॉमिक बुक बन सकता था।
ऐसा नहीं है कि कॉमिक बुक में एक्शन नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि कॉमिक बुक जितना अच्छा हो सकता था उतना अच्छा यह बन नहीं पाया।
एक्शन के अलावा कॉमिक बुक में लोमड़ी और डोगा के बीच का समीकरण है। जिस तरह उनकी पहचान को लेकर मुलाकात होती है वह अच्छा था। वहीं कॉमिक बुक के अंत तक पहुँचते हुए जो अहसास मोनिका को होते हैं उससे यह जानने की इच्छा बलवती हो जाती है कि इन दो किरदारों के बीच का समीकरण आगे जाकर क्या होगा?
इसके अतिरितक दो बिन्दु कॉमिक बुक में हैं जिन्हें आगे के लिए छोड़ा गया है।
पहला कॉमिक बुक में मौजूद एक किरदार इंसाफचंद है। उसके साथ आगे क्या होगा यह देखने की इच्छा मेरे भीतर है।
दूसरा एक रहस्यमय किरदार कॉमिक बुक के अंत में आता है। यह किरदार कौन है यह भी मैं जानना चाहूँगा।
आर्ट वर्क की बात की जाए तो हमेशा की तरह मुझे यह कथानक से न्याय करता लगा।
अंत में यही कहूँगा कि ‘चीख डोगा चीख’ में जो अपेक्षाएँ जगी थी वह लोमड़ी में पूरी नहीं हुई। कॉमिक बुक पठनीय जरूर है लेकिन जितना बेहतर यह हो सकती थी उतना यह नहीं बन पायी है। अभी यह औसत के करीब ही रहा है जिसने पाठक के तौर पर निराश ही किया है। यही कहूँगा कि ‘चीख डोगा चीख’ के भाग के तौर पर इसे पढ़ा जा सकता है। अगर ‘चीख डोगा चीख’ आपने नहीं पढ़ी है तो इसे पढ़ने का कोई भी औचित्य नहीं है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न