अमावस रिटर्न्स | फिक्शन कॉमिक्स | आशुतोष सिंह राजपूत | के. गोविंद थान्वी

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 20 | प्रकाशक: फिक्शन कॉमिक्स | शृंखला: अमावस #2 | कथानक: के गोविंद थान्वी | लेखक: आशुतोष सिंह राजपूत | चित्रांकन: विकास सतपथी | कलर्स: अमित शर्मा | कैलीग्राफी: विकास सिंह ठाकुर | कहानी सलाहकार: गौरव शर्मा

समीक्षा: अमावस रिटर्न्स | फिक्शन कॉमिक्स | आशुतोष सिंह राजपूत | के. गोविंद थान्वी

कहानी

अमावस से जूझे हुए उन्हें अब दस साल हो चुके थे। इन दस सालों में काफी कुछ बदल गया था। देव, प्रियंका, विश्वास और अनुजा अपनी-अपनी जिंदगियों में काफी आगे बढ़ गए थे। 

लेकिन सुमीत को आज भी अमावस की यादें सपने में कचोटती थीं। दस साल पहले अमावस में उसके शरीर पर काबू पाकर जो किया उसके लिए आज भी वह खुद को माफ नहीं कर पाया था। 

वहीं विश्वास और अनुजा के गाँव में हत्याओं का सिलसिला दस साल बाद फिर शुरू हो चुका था। अब तक तीन औरतों का कत्ल हो चुका था और कोई भी पता नहीं लगा पाया था कि इन जवान औरतों को कौन मार रहा था। 

वहीं दूसरी तरफ देव और प्रियंका अपने बच्चों के साथ एक बार फिर विश्वास के गाँव पहुँच चुके थे।

आखिर कौन कर रहा था औरतों की हत्या?
सुमीत ने अपनी ग्लानि से पार पाने का क्या तरीका खोजा?
देव और प्रियंका का इस बार फिर गाँव आना उनके जीवन में क्या तूफान लेकर आएगा?

विचार

‘अमावस रिटर्न्स’  फिक्शन कॉमिक्स (Fiction Comics) द्वारा प्रकाशित अमावस शृंखला (Amawas series) का दूसरा कॉमिक बुक है। कहते हैं कि बुराई कभी मरती नहीं है वो पुनः पुनः लौटकर आपके समक्ष आती रहती है। अमवास शृंखला का यह दूसरा कॉमिक बुक भी ऐसी ही बुराई की कहानी है जो कि किरदारों की जिंदगी जहन्नुम बनाने को लौटकर आता है। 

कॉमिक बुक की कहानी पिछले कॉमिक अमावस की कहानी के दस साल बाद से शुरू होती है। दस साल पहले सुमीत, अनुजा, विश्वास, प्रियंका और देव की जिंदगी में अमावस ने उथल पुथल मचाई थी लेकिन सुमीत को छोड़कर बाकी सब अब उस सदमें से उभर चुके हैं। उन्हें विश्वास है कि अमावस जा चुका है और इसलिए जब विश्वास के गाँव में हत्याओं का सिलसिला फिर चल पड़ता है तो शुरुआत में वो अमावस से इसे जोड़ नहीं पाता है। 

इसी दौरान उसके दोस्त प्रियंका, देव और उनका बच्चा रोहित विश्वास के गाँव लौटकर आते हैं और फिर जो कुछ होता है वही कॉमिक का कथानक बनता है। 

लेखक ने इस कथानक में भी ट्विस्ट देने की कोशिश है और जब वह ट्विस्ट खुलता है तो कथानक ऐसा मोड़ ले लेता कि आप देखना चाहते हो कि आगे क्या होने वाला है। 

जहाँ कथानक में ट्विस्ट और रोमांच है वहीं लेखक ने सुमीत के किरदार से यह भी दर्शाया है कि अक्सर दर्दनाक घटनाक्रम से गुजरे व्यक्ति के मन में वह घटनाएँ कैसा असर डाल सकते हैं। वहीं सुमीत और प्रियंका के बीच की बातचीत रोचक है।  मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने इस पहलू के बारे में बोला है क्योंकि ऐसा होना लाजमी था। यह चीज यह भी दर्शाता है कि लेखक केवल निर्वस्त्र किरदारों को परिपक्व ऑडिएंस को मानने के बजाए अब किरदारों के मनःस्थिति पर भी विचार करने लगे हैं। मुझे लगता है यह अच्छा कदम है। 

बाकी किरदारों की मनस्थिति को भी इसी तरह उभारा होता तो अच्छा रहता। मसलन अगर मैं किसी ऐसे सदमे से गुजर होऊँगा जिससे देव, प्रियंका, विश्वास और अनुजा गुजरे थे तो अपने बच्चों के प्रति थोड़ा ज्यादा सजग रहूँगा। कहीं न कहीं बच्चों को लेकर मेरे मन में यह ख्याल आएगा कि उन्हें बचाना चाहिए या उनसे खुद बचना चाहिए। यह चीज अगर यह चारों एक पैनल में आपस में डिस्कस करते तो बेहतर रहता। 

वहीं एक आदमी के साथ कोई खतरनाक घटना घटती है तो वह उधर से जाने की सोचता है। विश्वास और अनुजा उसी गाँव में रुके रहे। ऐसा उन्होंने क्यों किया इसको भी किसी बातचीत में लेकर आते तो बेहतर होता। वहीं विश्वास और अनुजा को लेकर  एक और चीज है जो मुझे खटकती है। अनुजा और विश्वास पढ़े लिखे युगल हैं। ऐसे में वह गाँव में अपना जीवन यापन करने के लिए करते क्या है इस बिन्दु पर अभी तक प्रकाश नहीं डाला गया है। उनका लाइफ स्टाइल भी अच्छा ही है तो इसे बनाए रखने के लिए वो करते क्या हैं?  मसलन बिजनेस है तो देव विश्वास से उसके बिजनेस के बारे में पूछ सकता था। हो सकता है यह किसी को नुक्ताचीनी लगे लेकिन मुझे लगता है यह छोटी सी बात उन किरदारों के किसी सेट में होने के भाव को खत्म कर असल जीवन जीने के भाव को थोड़ा मजबूत कर देगा।  रोजमर्रा की बातें भी किरदार करें (प्रियंका विश्वास से उनकी बेटी के विषय में पूछने पर यह करती है लेकिन इसके अलावा भी थोड़ा और चाहिए था मुझे) तो बेहतर रहता है। 

ऊपर लिखी सभी बातें कथानक को बेहतर से बेहतरीन बनाने की तरफ बढ़ाएँगी ऐसा मुझे लगता है। 

वापस कथानक में आए तो अमावस की एंट्री दमदार बनी है और हमारे किरदारों को  उससे जूझते देखना रोमांचित करता है।

हाँ, कॉमिक का अंत यह दर्शाता है कि यह चक्र अभी आगे चलता रहेगा तो मुझे लगता है इन चारों को एक तगड़ा नुकसान अंत में होते दिखाते तो बढ़िया रहता है। यह नुकसान किसी किरदार के अमावस के हाथों मरने या किसी तरह बुरी चोटिल होने के इर्द गिर्द होता तो बढ़िया होता।

कॉमिक बुक का आर्ट वर्क विशेषकर महिलाएँ चित्ताकर्षक है।  यह आपको रोकर चीजों को पढ़ने को विवश करता है। 

हाँ, एक सीन है जहाँ पर तांत्रिक क्रियाएँ हो रही है और उस व्यक्ति के आगे जो किताब रखी है उस पर काला जादू लिखा है। मुझे लगता है किताब पर ये काला जादू लिखने से बचा सकता था क्योंकि खोपड़ी बगल में रखकर ये जाहिर है कि कोई प्रेम कहानी की किताब तो नहीं ही खोलेगा।  

वहीं कॉमिक के अंत में एक महिला किरदार है जिसकी एक आँख का रंग दूसरी आँख से अलग है जो कि यह दर्शाता है कि उस पर अमावस का साया है। पर वह किरदार प्रियंका और अनुजा में से कौन है यह उसे देखकर पता नहीं लगता है। उनके चेहरे को कोई विशेष क्वालिटी देते जो कि किरदारों को पहचानने में मदद करता तो बेहतर होता। यह हो सकता है मैं ही किरदार को न पहचान पा रहा हूँ। 

कॉमिक बुक के कुछ हिस्से में डायलॉग और कैप्शनों की प्लेसमेंट ऐसी थी कि पढ़ने के क्रम को लेकर थोड़ा संशय मन में रहा जिससे मेरा पढ़ने का फ्लो थोड़ा सा बिगड़ा। ये थोड़ा और स्पष्ट हो सकता था। 

अंत में यही कहूँगा ‘अमावस रिटर्न्स’ में कहानी को अच्छी तरह से बढ़ाया है और अंत ऐसा किया गया है कि अगले भाग के प्रति ये आपकी रुचि जगाता है। कॉमिक अच्छा है और इसे एक बार पढ़ सकते हैं। हाँ, अगर आप वृहद कथानक पढ़ने के आदि है तो शायद आपको लगे कुछ हिस्से जल्दी से खत्म किए गए हैं। 

मुझे लगता है अब फिक्शन को बड़े कथानकों की तरफ बढ़ना चाहिए। उसके कथानक अच्छे हैं बस पृष्ठ संख्या की कमी के चलते उतने खिल नहीं पाते हैं। उनके द्वारा प्रकाशित एक 32 पेज या 64 पेज का कथानक मैं जरूर पढ़ना चाहूँगा।  

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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