गुरुकुल में तीन दिन - प्रेमचंद

गुरुकुल में तीन दिन – प्रेमचंद

1927 के आषाढ़ में प्रेमचंद गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय गये थे। वह तीन दिनों तक उधर रुके रहे। वहाँ उनके जो अनुभव थे उसे उन्होंने इस वृत्तांत में लिखा है। यह वृत्तांत माधुरी पत्रिका के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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सरयूपार की यात्रा - भारतेंदु हरिश्चंद्र

सरयूपार की यात्रा – भारतेंदु हरिश्चंद्र

भारतेंदु हरीशचंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता माना जाता है। उनके लिखे नाटक प्रसिद्ध हैं। ‘सरयूपार की यात्रा’ में भारतेंदु हरीशचंद्र ने अयोध्या की यात्रा के दौरान हूए अनुभव का वर्णन किया है। आप भी पढ़ें:

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दैनिक जागरण बेस्ट सेलर लिस्ट हुई जारी; इन किताबों ने सूची में बनाई जगह

2025 की तीसरी तिमाही की दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची हुई जारी, इन पुस्तकों ने बनाई कथेतर श्रेणी में जगह

दैनिक जागरण द्वारा वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई से सितम्बर के बीच सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची जारी की जा चुकी है। कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता श्रेणी में यह सूची जारी की गयी है। कथेतर श्रेणी में जिन पुस्तकों ने जगह बनाई है वह निम्न हैं:

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साहित्य का आधार - प्रेमचंद

साहित्य का आधार – प्रेमचंद

साहित्य क्या है? साहित्य और प्रोपागैंडा में क्या फर्क है? वह क्या है जो साहित्य से प्रोपोगैंडा को जुदा करता है? इन्हीं सब बातों को साफ करते हुए प्रेमचंद ने 1932 में ये लेख लिखा था। आप भी पढ़ें:

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बातचीत करने की कला - प्रेमचंद

बातचीत करने की कला – प्रेमचंद

बातचीत करना भी एक कला है। हर कोई सुरुचिपूर्ण बातें न कर पाता है और न बातों से श्रोताओं को बाँध ही पाता है। कैसे इस कला का धीरे-धीरे लोप हो रहा है और इसके क्या नुकसान होते हैं। किस तरह इस कला में प्रवीण बना जा सकता है और इसके क्या फायदे हो सकते हैं ये दर्शाते हुए प्रेमचंद ने यह लेख लिखा था। आप भी पढ़ें:

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अज्ञानता का आनंद - विनय प्रकाश तिर्की

अज्ञानता का आनंद – विनय प्रकाश तिर्की

अज्ञानता में वैसे तो आनंद है लेकिन कभी कभी इस कारण तगड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अपने ऐसे ही एक अनुभव को लेखक इस आलेख में साझा कर रहे हैं। आप भी पढ़ें विनय प्रकाश तिर्की का यह संस्मरण ‘अज्ञानता का आनंद’:

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कार गयी खाई में… …और कहानी खत्म - योगेश मित्तल

कार गयी खाई में… …और कहानी खत्म – योगेश मित्तल

दत्त भारती के उपन्यास पाठकों की पसंद रहते थे। योगेश मित्तल भी उनके प्रशंसकों में से एक थे। दत्त भारती असल जीवन में कैसे थे और किस तरह उनके एक उपन्यास की कहानी बनी यह वह इस लेख में बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

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कहानीकला - प्रेमचंद

कहानी कला – प्रेमचंद

कहानी कैसी होनी चाहिए? कहानी लिखते समय कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? यही लेखक प्रेमचंद द्वारा अपने इस लेख में बताया गया है। आप भी पढ़ें:

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निबंध: भय - आचार्य रामचंद्र शुक्ल

निबंध: भय – आचार्य रामचंद्र शुक्ल

किसी आती हुई आपदा की भावना या दुख के कारण के साक्षात्‍कार से जो एक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्‍तम्भ-कारक मनोविकार होता है उसी को भय कहते हैं। क्रोध दुख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए आकुल करता है और भय उसकी पहुँच से बाहर होने के लिए।

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पुस्तक टिप्पणी: बेगमपुल से दरियागंज - यशवंत व्यास

बेगमपुल से दरियागंज: एक पुस्तक जो बेहतर से बेहतरीन बनते-बनते रह गयी

‘बेगमपुल से दरियागंज: देसी पल्प की दिलचस्प दास्तान’ हिंदी लोकप्रिय साहित्य पर यशवंत व्यास द्वारा लिखी पुस्तक है। इस पुस्तक पर लेखक पराग डिमरी ने यह संक्षिप्त टिप्पणी लिखी है। आप भी पढ़ें:

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निबंध: उपन्यास रचना - प्रेमचंद

निबंध: उपन्यास रचना – प्रेमचंद

उपन्यास लेखन करते समय किन बातों का खयाल रखना चाहिए? उपन्यास कितने तरह के होते हैं और क्या चीज इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती है। उपन्यास में प्लॉट का क्या महत्व है? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनसे हर लेखक कभी न कभी जूझता है। कथासम्राट प्रेमचंद द्वारा इस विषय पर लिखा यह निबंध ‘उपन्यास रचना’ इन सभी प्रश्नों के उत्तर देता है। आशा है यह पाठकों और लेखकों के काम आएगा। आप भी इसे पढ़ें:

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हिंदी निबंध: गालियाँ - प्रेमचंद

गालियाँ – प्रेमचंद

समाज में किस तरह गालियाँ व्याप्त हैं इस पर प्रेमचंद ने उर्दू में यह निबंध लिखा था। यह निबंध मूल रूप से उर्दू में प्रकाशित हुआ था और उर्दू मासिक पत्रिका ‘ज़माना’ के दिसंबर 1909 के अंक में प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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