अजीब दास्ताँ जिंदगी: लुडविग जोसेफ जोहान विट्गेन्स्टाइन

गजानन रैना साहित्यानुरागी हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं पर लिखते रहते हैं। आज एक बुक जर्नल पर पढ़िए उनका लिखा आलेख जो कि एक ऐसे दार्शनिक की कहानी बताता है …

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बच्चे – प्रियंवद

गजानन रैना साहित्यानुरागी हैं। सोशल मीडिया पर अलग-अलग साहित्यिक रचनाओं में अपने खास अंदाज में लिखते हैं। उन्होंने लेखक प्रियंवद की कहानी ‘बच्चे’ पर कुछ लिखा है। आप भी पढ़िए।  …

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सभ्य कहे जाने वाले, पारिवारिक लोगों द्वारा होने वाली नोच खसोट का आख्यान है ‘जाँच अभी जारी है’

गजानन रैना सोशल मीडिया पर अपनी साहित्यिक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं। अपने विशेष अंदाज में वो साहित्य और साहित्यिक हस्तियों पर टिप्पणी करते हैं। आज पढ़िए सुप्रसिद्ध लेखिका ममता …

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रैना उवाच: हिंदी साहित्य के वो सितारे जिन्हें भुला देना सही नहीं

हिन्दी साहित्य में अक्सर साहित्यकारों को वह स्थान नहीं मिल पाता है जिसके वह हकदार होते हैं। कई बार उन्हें वह स्थान मिलता भी है तो आगे आने वाली पीढ़ी …

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स्मृति, विस्मृति और कथ्य की पृष्ठभूमि में बजते विषाद के एक सुर की रचना है ‘द अनकन्सोल्ड’

गजानन रैना साहित्यानुरागी है और साहित्य के अलग अलग पहलुओं  और साहित्यिक कृतियों पर बात करने का उनका अपना अलग अंदाज है। रैना उवाच के नाम से वह यह टिप्पणियाँ अपने सोशल मीडिया …

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रैना उवाच: क्लिष्ट दर्शन की एक सहज, सुबोध, प्रगीतात्मक शैली में कही कथा है, ‘सिद्धार्थ’

गजानन रैना साहित्यानुरागी है और साहित्य के अलग अलग पहलुओं  और साहित्यिक कृतियों पर बात करने का उनका अपना अलग अंदाज है। रैना उवाच के नाम से वह यह टिप्पणियाँ अपने सोशल मीडिया …

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रैना उवाच: अपनी आधुनिकता में भी अपनी जड़ों से जुड़ी हुईं थीं मन्नू भण्डारी

15 नवंबर 2021 को वरिष्ठ लेखिका मन्नू भण्डारी इस नश्वर संसार से चली गईं। 90 वर्ष का भरपूर जीवन जीने के पश्चात वह एक नवीन यात्रा पर चल पड़ीं। अपने …

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रैना उवाच: जरायम पर रची एक सार्थक कृति है ,’धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’

गजानन रैना साहित्यानुरागी है और साहित्य के अलग अलग पहलुओं  और साहित्यिक कृतियों पर बात करने का उनका अपना अलग अंदाज है। रैना उवाच के नाम से वह यह टिप्पणियाँ …

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रैना उवाच: अपने समय की आहट को भले से पहचानती हैं ग्लूक की कविताएँ

गजानन रैना साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अक्सर लिखते रहते हैं। इस बार नोबेल पुरस्कार विजेता लुईस ग्लूक की कविताओं पर उन्होंने अपने खास अंदाज में लिखा है। आप भी …

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रैना उवाच: इस सफर में नींद ऐसी खो गई हम न सोये,रात थक कर सो गई

1 सितंबर को मशहूर लेखक राही मासूम रजा का जन्मदिन पड़ता है। राही मासूम रजा जी का जन्म 1 सितंबर 1927 को गाजीपुर जिले के गंगोलीं गाँव में हुआ था। …

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रैना उवाच: लेखक और उनके लेखकीय ‘टेल’

गजानन रैना जब लिखते है अनूठा लिखते हैं। साहित्य को देखने की उनकी अपनी एक नजर है। आज उन्होंने लेखकीय टेल पर कुछ लिखा है। आप भी पढ़ें: ********   …

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रैना उवाच: खरीदी कौड़ियों के मोल

‘खरीदी कौड़ियों के मोल’ एक विरल ढंग का उपन्यास है। नायक दीपंकर के पिता संपन्न किसान थे। उनकी हत्या होने के बाद जमीन हड़पने के लिए दीपंकर और उसकी माँ …

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