कहानी: राजकुमारी हिमांगिनी - महावीर प्रसाद द्विवेदी

कहानी: राजकुमारी हिमांगिनी – महावीर प्रसाद द्विवेदी

राजकुमारी हिमांगिनी बहुत सुंदर थीं और उन्हें लगता था कि इतनी सुंदर होने के नाते उन्हें सामान्य जीवों के साथ नही रहना चाहिए। यही कारण था उन्होंने पर्वत के सबसे ऊँचे शिखर पर अपना घर बनाया। पर काफी समय गुजरने के बाद वो साथ के लिए तरसने लगीं। वह विवाह करना चाहती थीं। क्या उनकी यह चाहत पूरी हुई? पढ़ें महावीर प्रसाद द्विवेदी की कहानी ‘राजकुमारी हिमांगिनी’।

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कहानी: चतुरी चमार - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

कहानी: चतुरी चमार – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

कथावाचक उन दिनों गाँव में रहने लगा था। उसके घर के नज़दीक ही चतुरी रहता था जो कि जूते का काम करता था। कौन था ये चतुरी चमार? कथावाचक से उसके और गाँव के अन्य सदस्यों के साथ कैसे सम्बंध थे? जानने के लिए पढ़ें सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कहानी ‘चतुरी चमार’।

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कहानी: रूपी - राहुल सांकृत्यायन

कहानी: रूपी – राहुल सांकृत्यायन

मधुपुरी की नगरी अपनी खूबसूरती के लिए प्रख्यात थी। कहा जाता है जितनी खूबसूरत यह मधुपुरी थी उतनी ही खूबसूरत यहाँ की तरुणियाँ थीं। रूपी भी ऐसी ही युवती थी जिसे अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता था। लेकिन फिर उसे अपने शरीर को बेचने पर मजबूर होना पड़ा। रूपी को ऐसा क्यों करना पड़ा और इसका उसे क्या खामियाजा चुकाना पड़ा? जानने के लिए पढ़ें राहुल सांकृत्यायन की कहानी ‘रूपी’:

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कहानी: मूल्य - आचार्य चतुरसेन शास्त्री

कहानी: मूल्य – आचार्य चतुरसेन शास्त्री

आमला के पिता नवीन के कर्जदार थे। ऐसे में जब आमला की शादी नवीन से हुई तो आमला को लगा था उसे कर्ज के बदले नवीन द्वारा खरीदा गया था। नवीन को जब यह बात पता लगी तो उसने आमला से कहा कि वह उसका दिल जीत लेगा। और आमला का मन था कि वह किसी तरह नवीन का कर्जा उतारकर खुद का मूल्य चुका दे। क्या दोनों की यह इच्छाएँ पूरी हुईं? जानने के लिए पढ़ें आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कहानी ‘मूल्य’।

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कहानी: भग्नावशेष - सुभद्रा कुमारी चौहान

कहानी: भग्नावशेष – सुभद्रा कुमारी चौहान

कथावाचक ने एक कवि सम्मेलन में उन्हें देखा था और उनकी कविताओं का प्रशंसक बन गया था। पर फिर उनकी कविताएँ आनी बंद हो गयी। आखिर ऐसा क्यों हुआ? पढ़ें सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी ‘भग्नावशेष’।

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कहानीकला - प्रेमचंद

कहानी कला – प्रेमचंद

कहानी कैसी होनी चाहिए? कहानी लिखते समय कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? यही लेखक प्रेमचंद द्वारा अपने इस लेख में बताया गया है। आप भी पढ़ें:

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उपन्यास रहस्य - महावीर प्रसाद द्विवेदी

उपन्यास रहस्य – महावीर प्रसाद द्विवेदी

उपन्यास किस तरह का होना चाहिए। उसकी रचना करते हुए किन किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इन सब बातों पर महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा यह लेख लिखा गया था। लेख काफी हद तक आज भी प्रासंगिक है। आप भी पढ़ें:

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निबंध: उपन्यास रचना - प्रेमचंद

निबंध: उपन्यास रचना – प्रेमचंद

उपन्यास लेखन करते समय किन बातों का खयाल रखना चाहिए? उपन्यास कितने तरह के होते हैं और क्या चीज इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती है। उपन्यास में प्लॉट का क्या महत्व है? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनसे हर लेखक कभी न कभी जूझता है। कथासम्राट प्रेमचंद द्वारा इस विषय पर लिखा यह निबंध ‘उपन्यास रचना’ इन सभी प्रश्नों के उत्तर देता है। आशा है यह पाठकों और लेखकों के काम आएगा। आप भी इसे पढ़ें:

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कहानी: एक्सीडेंट - सुभद्रा कुमारी चौहान

कहानी: एक्सीडेंट – सुभद्रा कुमारी चौहान

कुसम की गाड़ी उस दिन प्राणनाथ की गाड़ी से टकरायी तो ऐसे उनकी जान-पहचान हुई। प्राणनाथ अपने दुश्चरित्र के कारण पूरे शहर में बदनाम था लेकिन कुसम को लगा कि वो उतना बुरा नहीं है जितना बनने की कोशिश करता है। क्या ये सच बात थी? आखिर प्राणनाथ ऐसा क्यों करता था। जानने के लिए पढ़ें सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी ‘एक्सीडेंट’।

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कहानी: मुंडमाल - शिवपूजन सहाय

कहानी: मुंडमाल – शिवपूजन सहाय

महाराणा राजसिंह के सरदार चूड़ावतजी औरंगज़ेब से युद्ध करने जा रहे थे। पर उनका मन रह रह कर उनकी पत्नी पर जा रहा है जिनसे कुछ दिन पहले ही उनका विवाह हुआ है। वह आखिरी बार अपनी पत्नी से मिलने जाते हैं और उनसे अपने दिल का हाल कहते हैं। आगे क्या हुआ ये जानने के लिए पढ़ें लेखक शिवपूजन सहाय की यह कहानी ‘मुंडमाल’।

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कहानी: प्रवासी - रांगेय राघव

कहानी: प्रवासी – रांगेय राघव

गोपालन मंदिर का पुजारी था। उसने कोमल को देखा तो वह उसके मन में बस गयी लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। और फिर ऐसा कुछ हुआ कि गोपालन को घर छोड़कर प्रवासी बनना पड़ा। आखिर उसे ऐसा क्यों करना पड़ा? जानने के लिए पढ़ें रांगेय राघव की लिखी यह लम्बी कहानी ‘प्रवासी’।

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साहित्य और भाषा - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

साहित्य और भाषा – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

साहित्य की भाषा कैसी होनी चाहिए? सरल या क्लिष्ट। यह एक ऐसा विषय है जिस पर बहस निरंतर चलती रहती है। इस विषय पर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा भी लिखा गया था। आप भी पढ़ें:

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