‘नयन ग्रह’ के लेखक मनमोहन भाटिया से एक छोटी सी बातचीत

'नयन ग्रह' के लेखक मनमोहन भाटिया से एक छोटी सी बातचीत

लेखक मनमोहन भाटिया नये नये विषयों पर अपनी कलम चलाते रहते हैं। उनका आने वाला उपन्यास  नयन ग्रह विज्ञान गल्प और फंतासी का मिश्रण है। अपने इस उपन्यास में वह एक ऐसे ग्रह की कल्पना करते हैं जो विज्ञान के क्षेत्र में धरती से कई गुना आगे है। नयन ग्रह धरती के लोगों के लिए तो अदृश्य है लेकिन उनकी नजर धरती के ऊपर लगातार बनी हुई है। 

चूँकि हिन्दी में फंतासी और विज्ञान गल्प उपन्यासों की कमी है तो उनके इस नये उपन्यास ने हमारी उत्सुकता को  जागृत किया और हमने उनसे नयन ग्रह के ऊपर एक छोटी सी बातचीत की है। उम्मीद है यह छोटी सी बातचीत आपको पसंद आएगी।

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प्रश्न: नमस्कार सर, सबसे पहले तो आपको आपके आने वाले उपन्यास नयन ग्रह के लिए हार्दिक बधाई। नयन ग्रह के विषय में पाठकों को बताएं? यह लिखने का विचार कब और कैसे बना?

उत्तर: धन्यवाद विकास जी। नयन ग्रह एक फंतासी उपन्यास है, जो फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स से प्रकाशित है। फ्लाईड्रीम्स का केंद्रबिंदु हॉरर, फंतासी, विज्ञान गल्प जैसे विषयों में कुछ हटकर किताबों के प्रकाशन का रहा है, जिनकी हिंदी साहित्य में बहुत कमी है। इस रिक्तस्थान को भरने के लिए फ्लाईड्रीम्स का प्रयास सराहनीय है। फंतासी लिखने की प्रेरणा फ्लाईड्रीम्स के संस्थापक जयंत बलोच और मिथिलेश गुप्ता को जाता है, जिन्होंने बार-बार मुझे आग्रह किया। 2020 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेला के दौरान बातचीत में इस उपन्यास की नींव पड़ी। मार्च 2020 के मध्य में महामारी कोरोना के कारण एक लंबे समय तक लॉक डाउन रहा। उस समय मैंने उपन्यास को लिखा। 

प्रश्न: जहाँ तक मुझे पता है नयन ग्रह से आप पहली बार विज्ञान गल्प और फंतासी जॉनर में कदम रख रहे हैं। यह उपन्यास लिखते हुए आपने किन किन विशेष बातों का ध्यान रखा?

उत्तर: जी आपका अंदाज एकदम सही है। नयन ग्रह से मैंने विज्ञान गल्प और फंतासी जॉनर में कदम रखा है। 

उपन्यास लिखते समय मेरा मुख्य ध्यान एक ऐसे विषय पर लिखना था, जिस पर ना के बराबर लिखा गया हो। अतः मैंने एक ऐसे विषय को चुना, जो एकदम नया हो। मैं पाठकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाना चाहता हूँ, जिसकी कल्पना हर व्यक्ति करता है। उपन्यास पढ़ने के पश्चात हर पाठक की यही ख्वाहिश होगी, वह नयन ग्रह पर बसना चाहता है, जहाँ ना तो भ्रष्टाचार है, ना अपराध है और ना कोई कर लगता है। जहाँ बजट सरप्लस रहता है और निवासियों को लाभांश बाँटा जाता है।

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प्रश्न: क्या आपने इस उपन्यास को लिखने से पहले वैज्ञानिक पहलुओं पर कार्य करने के लिए  कोई शोध भी किया था?  अगर हाँ तो पाठकों को उसके विषय में बताएं। 

उत्तर: मेरा मुख्य शोध राम और कृष्ण युग से रहा। हमारे ग्रंथों के अनुसार वह युग स्वर्णीय था। हमारे पास सुपरहीरो (विशेषकर हनुमान) भी थे, ऐसे चिकित्सक थे, जो मृत को जीवित कर देते थे, ऐसे शिल्पकार थे, जो रातों रात लंका का पुर्ननिर्माण कर सकते थे। औषधियाँ थी। उस युग में विमान थे, अस्त्र और दिव्य अस्त्र थे, जो इच्छा अनुसार चलते थे। ऐसी सीमा थी (लक्ष्मण रेखा) जिसको लाँघा ही नहीं जा सकता था। इच्छा मृत्यु वरदान प्राप्त दिव्य पुरुष थे, तिलिस्म और मायावी शक्ति थीं। इन्हीं को मद्देनजर रखते हुए मैंने उपन्यास के पात्रों के नाम रखे और उनपर लिखा।

प्रश्न:  नयन ग्रह आपका अभी तक प्रकाशित पुस्तकों में सबसे वृहद कलेवर (316 पृष्ठ) का उपन्यास है।  इतने बड़े उपन्यासों में पाठक की रोचकता बनाये रखने के लिए लेखक को अधिक जतन करने पड़ते हैं। आप इस विषय में क्या सोचते हैं? क्या आपने ऐसे कुछ विशेष बिन्दुओ का ध्यान रखा है जिससे पाठकों के लिए यह उपन्यास पढ़ना रोचक हो?

उत्तर: पाठकों की रोचकता के लिए उपन्यास में भरपूर एक्शन है। दुष्टों, अपराधियों, आतंकवादियों को पकड़ने के समय जबरदस्त एक्शन और युद्ध जैसे दृश्यों को लिखा गया है। उनको जिंदा पकड़कर सजा के रूप में गोरिल्ला गुफा में ऐसी यातनाएँ दी जाती हैं, जिनकी कल्पना से रौंगटे खड़े हो जाएँ। 

उपन्यास में देशभक्ति है तो दूसरी और भ्रष्ट मंत्री और भ्रष्ट अफसरों का तंत्र भी है। विदेश की बुरी नजर भी है। प्रेम भी है, युद्ध के मध्य प्रेम भी मजबूती प्रदान करता है। कपट भी है, दो ग्रहों के मध्य भीषण युद्ध भी है। शत्रु को उसके उसके घर में घुसकर परास्त किया है। इन सब के मध्य भारत की राजनीति, न्याय, स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली पर कटाक्ष भी है और सब का समाधान भी है।

प्रश्न: इस उपन्यास में कई किरदार होंगे। क्या आप ऐसे किसी किरदार का नाम बता सकते हैं जिसे लिखते हुए आपको सबसे ज्यादा मज़ा आया हो? इसके आलावा क्या उपन्यास का कोई किरदार ऐसा था जिसे रचने में आपको बाकियों से ज्यादा परेशानी हो?

उत्तर: सबसे अहम किरदार सम्राट कृष्णदेव और जामवंत हैं। जैसा मैंने आपको बताया, मेरा पूरा शोध राम और कृष्ण युग पर रहा और किरदारों के नाम भी वहीं से चुने हैं। इन पात्रों को लिखने के पश्चात मुझे स्वयं को ऐसा लगा, वे सचमुच के कृष्ण और जामवंत लग रहे हैं। संपादक अनुराग जी ने भी पहला प्रश्न यही किया, क्या ये इंसान हैं या भगवान। इन दोनों पात्रों को भगवान तुल्य दर्शाया है और बाकी पाठकों के विवेक पर छोड़ दिया है, वे उपन्यास के केंद्रबिंदु को समझते हुए उन्हें भगवान माने, तो अच्छा रहेगा क्योंकि आज के कलयुग में जहाँ चारों ओर भ्रष्टाचार, अत्याचार, आतंकवाद और बढ़ते अपराध हैं, वहाँ एक आम इंसान का जीवन भगवान के हाथ में है।

इस उपन्यास में दो किरदारों को गढ़ने में सबसे अधिक मजा आया। पहला विपुल काल्या और दूसरा क्रिस्टोफर का है। कैसिनो में आमने सामने बैठकर जुआ खेलना, काल्या का क्रिस्टोफर को हिंदी बोलकर उकसाना और फिर उनके बीच लड़ाई के दृश्य आपको भी रोमांचित करेंगे।

मेरी सबसे बड़ी कशमकश सजा के प्रावधान पर रही, अपराधियों को क्या सजा दी जाए। मैंने जो सजा दी है, पाठकों को अवश्य पसंद आएगी। जांबाज अर्जुनदेव को कर्तव्य और प्रेम के कश्मकश से निकालने का प्रसंग भी चुनौतीपूर्ण रहा।

प्रश्न: हाल ही में आपकी प्रकाशित पुस्तकों में काफी विवधता दिखाई दी है। आपने अदृश्यम के रूप में हॉरर उपन्यास  पाठकों को दिया , तो  जीवन के कई पहलुओं को दर्शाते कहानी संग्रह (फासले, रसरंग, हौसले, पुरानी डायरी इत्यादि) भी उन्हें पढ़ने को दिए। अब आप विज्ञान गल्प और फंतासी पाठकों के लिए लाये हैं। पाठकों के लिए आगे क्या कुछ नया आने वाला है? आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स के विषय में बताएं?

उत्तर: हास्य शैली में उपन्यास लिखा है, जिसमें परिस्थितियों से हास्य उत्पन्न होता है। एक जांबाज पुलिस इंस्पेक्टर जो भ्रष्ट मंत्री से उलझ जाता है, उसकी जीवनी पर उपन्यास लिखा है। एक उपन्यास में माइथोलॉजी के साथ फंतासी का मिश्रण है। प्राइवेट कॉरपोरेट ऑफिस जो लाला टाइप होते हैं, उसपर लिखने का प्रयास है। नयन ग्रह के अगले भाग को लिखने की योजना है। अदृश्यम के अगले भाग में हॉरर के साथ फंताशी का मिश्रण है। एक मर्डर पर उपन्यास लिखने का प्रयास कर रहा हूँ, जो मर्डर मिस्ट्री या जासूसी उपन्यास नहीं होगा, उसमें कोर्ट रूम ड्रामा होगा, जेल का वर्णन और सुधार का वर्णन होगा। कुछ मेलोड्रामा भी लिख कर रखे हुए हैं। एक गृहिणी के साध्वी बनने तक के सफर पर भी उपन्यास लिखा है। सभी अभी प्रकाशन के लिए पेंडिंग पड़े हैं। मुझे आशा है, अगले तीन वर्ष में कम से कम दस उपन्यास आपके हाथों में होंगे।

अब मैं सेवानिवृत्त हूँ, अपने समय का सदुपयोग साहित्यिक सेवा के लिए आरक्षित रखा हुआ है।

प्रश्न: मनमोहन जी एक बुक जर्नल को वक्त देने के लिए हार्दिक आभार। उम्मीद है पाठक आपकी इस किताब को उतना ही प्रेम देंगे जितना वो बाकी किताबों को देते आये हैं। अंत में बातचीत समाप्त करने से पहले आप पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?

उत्तर: फ्लाईड्रीम्स का विश्वास और पाठकों का प्रेम मुझे और अधिक लिखने को प्रेरित करता है। मेरा पाठकों से सिर्फ एक अनुरोध है, वे सभी विधा में लिखी पुस्तकों को पढ़ें। इससे उनका बौद्धिक विकास होगा। जैसे हम एक सब्जी हर रोज नहीं खाते हैं, लंच और डिनर का मेनू जुदा होता है, वैसे आप अपने को सिर्फ एक श्रेणी की किताबों तक सीमित मत रखिए। हर रंग और मौसम का आनंद लीजिए।

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तो यह थी लेखक मनमोहन भाटिया के साथ एक बुक जर्नल की छोटी सी बातचीत। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आई होगी। बातचीत के विषय में अपनी राय से हमें जरूर अवगत करवाईयेगा।

उपन्यास नयन ग्रह प्री आर्डर के लिए तैयार है।  आप इसे फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन के फेसबुक पृष्ठ से सम्पर्क स्थापित कर प्राप्त कर सकते हैं।


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

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12 Comments on “‘नयन ग्रह’ के लेखक मनमोहन भाटिया से एक छोटी सी बातचीत”

  1. आपसे बातचीत करके अति प्रसन्नता हुई। नयन ग्रह में भगोड़ों को कैसे पकड़ा जाए, इसका दो बार वर्णन है, मैंने तो कल्पना की थी, आज मेरी कल्पना सत्य हो गई। सुंदरी रसिक मेहुल चोकसी गर्ल फ्रेंड के चक्कर मे पकड़ा गया। जिस प्रकार बैंक एकाउंट्स हैक हुए और उनको गोरिल्ला गुफा की सजा मिली, हर पाठक की यही तमन्ना रहेगी।

    1. जी बातचीत करने के लिए आभार। कहते हैं आर्ट इमिटेटस लाइफ लेकिन कई बार इसका उल्टा भी हो जाता है। कल्पना का साकार होकर दिखना भी लेखक के लिए अलग अनुभव होता है। अच्छा लगा जाकर कि आपकी कल्पना इस तरह से दिख रही है। उम्मीद है उपन्यास को पाठकों का भरपूर प्यार मिलेगा।

    1. चर्चाअंक में साक्षात्कार को शामिल करने के लिए आभार….

  2. साक्षात्कार जरुरी है..और इसे वाकई चर्चा में स्थान मिलना चाहिए…।

  3. बहुत सुंदर साक्षात्कार। साक्षात्कार पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि उपन्यास जरूर लाजबाब होगा।

    1. साक्षात्कार आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा, मैम।

  4. बहुत शानदार उपन्यास है नयन गृह। मैंने हाल ही मैं पढ़ना शुरू किया है।

    1. वाह!! यह जानकर अच्छा लगा। मैं भी जल्द ही पढ़ने वाला हूँ।

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