पुस्तक अंश: कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन - अथनास किसपोट्टा

पुस्तक अंश: कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन – अथनास किसपोट्टा

अथनास किसपोट्टा की पुस्तक कोरोया फूल: जन ,जंगल ,जीवन छोटा नागपुर इलाके के आदिवासियों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का दस्तावेज है। अपने इन संस्मरणों और लेखों से लेखक ने वहाँ की संस्कृति और उसमें होते बदलावों को दर्शाने का प्रयास किया है। एक बुक जर्नल पर पढ़िए पुस्तक कोरोया फूल में मौजूद एक लेख ‘गोंगो’।

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लीलाधर मंडलोई की आत्मकथा 'जब से आँख खुली हैं' पर विचारगोष्ठी का आयोजन

लीलाधर मंडलोई की आत्मकथा ‘जब से आँख खुली हैं’ पर विचारगोष्ठी का आयोजन

राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोई की आत्मकथा ‘जब से आँख खुली हैं’ पर गुरुवार शाम सिविल सेवा अधिकारी संस्थान (CSOI) में बातचीत का आयोजन किया गया।

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डॉ. निर्मला जैन की स्मृति में सभा का आयोजन

डॉ. निर्मला जैन की स्मृति में सभा का आयोजन

डॉ. निर्मला जैन की स्मृति में 23 अप्रैल की शाम साहित्य अकादेमी सभागार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन राजकमल प्रकाशन और हंस मासिक पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।

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पद्म सिंह शर्मा के साथ तीन दिन - प्रेमचंद

पद्म सिंह शर्मा के साथ तीन दिन – प्रेमचंद

पद्म सिंह शर्मा हिंदी के निबंधकार, आलोचक थे। प्रेमचंद के साथ इनके प्रगाढ़ सम्बन्ध थे। 1932 में पद्म सिंह शर्मा देहावसान के पश्चात प्रेमचंद ने यह लेख उनकी याद में लिखा था। आप भी पढ़ें:

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राजकमल के सहयात्रा उत्सव में 28 को होगा ‘भविष्य के स्वर’ कार्यक्रम का आयोजन

राजकमल के सहयात्रा उत्सव में 28 को होगा ‘भविष्य के स्वर’ कार्यक्रम का आयोजन

26 फरवरी, 2025 (बुधवार) नई दिल्ली। राजकमल प्रकाशन के 80वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को ‘भविष्य के स्वर’ विचार-पर्व का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में कला और साहित्य के क्षेत्र …

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कहानी: चूड़ीवाली - जयशंकर प्रसाद

कहानी: चूड़ीवाली – जयशंकर प्रसाद

विलासिनी नगर की प्रसिद्ध नर्तकी की कन्या थी। आजकल वो रोज बाबू विजयकृष्ण, जिन्हें लोग सरकार कहते थे, की अट्टालिका पहुँच जाया करती थी। वह चूड़ीवाली बनकर उनके यहाँ जाती और सरकार की पत्नी को चूड़ियाँ पहनाया करती। वह आख़िरकार ऐसा क्यों कर रही थी? जानने के लिए पढ़ें जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘चूड़ीवाली’।

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एक रात - रांगेय राघव

एक रात – रांगेय राघव

‘एक रात’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है। इसमें उन्होंने अकाल के समय के बंगाल की स्थिति को दर्शाया है। आप भी पढ़ें यह मार्मिक रिपोर्ताज:

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मरेंगे साथ, जिएँगे साथ - रांगेय राघव

मरेंगे साथ, जिएँगे साथ – रांगेय राघव

‘मरेंगे साथ, जिएँगे साथ’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है। एक डॉक्टरी दल के साथ जब वो गाँव में टीका लगाने गए तो वहाँ की क्या हालत थी और उधर उनके क्या अनुभव रहे यह वह इधर बता रहे हैं। आप भी पढ़ें:

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बाँध भँगे दाओ -रांगेय राघव

बाँध भँगे दाओ -रांगेय राघव

‘बाँध भँगे दाओ’ रांगेय राघव का लिखा रिपोर्ताज है जिसमें उन्होंने कलकत्ते से कुष्टिया नामक कस्बे में आगमन के विषय में बताया है। बंगाल के अकाल और महामारी के बाद उन्होंने यहाँ का दौरा किया था। इस दौरान कैसे वहाँ जमाखोरी हो रही थी और जनता उससे कैसे लड़ी इसी का ब्योरा उन्होंने इधर दिया है। आप भी पढ़ें:

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कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘दियासलाई’ का लोकार्पण कल

कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘दियासलाई’ का लोकार्पण कल

29 जनवरी, 2025 (बुधवार) नई दिल्ली/जयपुर। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के पहले व्यक्ति कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘दियासलाई’ का लोकार्पण गुरुवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में होगा। …

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सहारनपुर के खोजीदल - कुमार विक्रांत

पुस्तक अंश: सहारनपुर के खोजी दल – कुमार विक्रांत

‘सहारनपुर के खोजी दल’ लेखक कुमार विक्रांत की किशोर हास्यकथा है। एक बुक जर्नल पर पढ़ें दिप्पे, चित्तू, पल्लू, डब्बू और टीनू की इस कहानी का एक अंश।

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कहानी: नदी का इश्क जिंदा था - दिव्या शर्मा | कहानी संग्रह: कैलंडर पर लटकी तारीखें

कहानी: नदी का इश्क जिंदा था – दिव्या शर्मा

‘नदी का इश्क ज़िंदा था’ लेखिका दिव्या शर्मा की कहानी है। यह कहानी उनके कथा संग्रह ‘कैलंडर पर लटकी तारीखें’ में संकलित है।

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