कहानी: बूढ़ी काकी – प्रेमचंद
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही।
…पढ़ें लेखक प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘बूढ़ी काकी’: