देहरादून, 26 नवंबर 2025। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में डॉ सुशीला पाल एवं डॉ राजेश पाल द्वारा संकलित हरिद्वार एवं देहरादून जिले की तराई में गाये जाने वाले लोकगीतों के संकलन की पुस्तक ‘उत्तराखंड के पहाड़ताली लोकगीत‘ का लोकार्पण किया गया तत्पश्चात इन लोकगीतों का लोक गायको द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया। यह पुस्तक समय साक्ष्य प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान पुस्तक पर चर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। चर्चा में उत्तराखंड के जाने-माने संस्कृतिकर्मी साहित्यकार डॉ नंदकिशोर हटवाल ने बताया कि यह पुस्तक हरिद्वार देहरादून जिलों के लोकगीतों की मौलिक पुस्तक है तथा उत्तराखंड के गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी लोकगीतों की परम्परा में मैदानी क्षेत्र के लोकगीतों का संकलन आ जाने से उत्तराखंड के लोकगीतों का एक समग्र अध्ययन सम्भव हो सकेगा।

चर्चा में भाग लेते हुए डॉक्टर सुरेंद्र दत्त सेमल्टी ने कहा कि यह लोकगीत इतने विविध और समृद्ध हैं जितने की हमारी अन्य भाषाओं के लोकगीत समृद्ध और विविध है।
चर्चा में लेखकीय वक्तव्य रखते हुए संकलनकर्ता डॉ. सुशीला पाल ने बताया कि हमारे लिए इन लोकगीतों पर कार्य करना उतना ही आवश्यक और रुचिकर रहा है जितना की जल और जंगल को बचाए रखना।
डॉ. राजेश पाल ने बताया कि लुफ्त होते यह गीत अपने अंदर एक वृहद संस्कृति को समेटे हुए हैं तथा इनका लुप्त होना निश्चित ही एक अमूल्य लोक निधि की अपूरणीय क्षति है। हम इन लोकगीतों को संकलित कर अपने भीतर एक संतुष्टि का अनुभव कर रहे हैं क्योंकि इन लोकगीतों का लुप्त होना एक अमूल्य संस्कृति का लुप्त होना है।
डॉ. सुशीला पाल राजकीय इंटर कॉलेज होरावाला में हिंदी की शिक्षिका है तथा डॉ राजेश पाल एक साहित्यकार हैं तथा डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में गणित के प्रोफेसर है।
इस अवसर पर डॉ. सुशीला पाल के साथ मिलकर रजनी नेगी, अनीता रायचमेली, पूनम पाल एवं प्रीति तोमर ने कई तरह के पहाड़ताली लोकगीतों को गाकर शानदार प्रस्तुति दी। जिसे उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। और अंत मेें धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर जाने माने कवि राजेश सकलानी, कथाकार जितेन ठाकुर, बिजू नेगी, एश्वर्य मिश्रा, डॉ.अरुण कुकसाल, अम्मार नकवी, दिनेश चंद्र जोशी, अरुण असफल, हिमांशु आहूजा, देवेंद्र कांडपाल, डॉ. लालता प्रसाद, कुल भूषण नैथानी, कुसुम नौटियाल, शमा खान, प्रेम बहुखंडी, प्रवीन भट्ट, सुंदर सिंह बिष्ट, हरि चंद निमेष,समदर्शी बड़थ्वाल, गजेन्द्र नौटियाल आदि अनेक लेखक, साहित्यकार, रंगकर्मी, युवा पाठक व अन्य साहित्य प्रेमी गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
(समय साक्ष्य प्रकाशन के फेसबुक पृष्ठ से साभार)
