2025 की तीसरी तिमाही की दैनिक जागरण बेस्ट सेलर सूची हुई जारी, इन पुस्तकों ने बनाई कथा श्रेणी में जगह

दैनिक जागरण बेस्ट सेलर लिस्ट हुई जारी; इन किताबों ने सूची में बनाई जगह

दैनिक जागरण द्वारा वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई से सितम्बर के बीच सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची जारी की जा चुकी है। कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता श्रेणी में यह सूची जारी की गयी है। कथा श्रेणी में जिन पुस्तकों ने जगह बनाई है वह निम्न हैं:

यार पापा – दिव्य प्रकाश दुबे
यार पापा - दिव्य प्रकाश दुबे

पुस्तक विवरण:

हारे हुए केस जीतना मनोज साल्वे की आदत ही नहीं शौक़ भी था। जब वह कोर्ट में दलील देने के लिए उठता तो जज भी अपनी कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठता। देश की लगभग सभी मैगज़ीन के कवर पर उसकी फ़ोटो आ चुकी थी। देश के सौ सबसे धारदार व्यक्तियों की सूची में उसका नाम पिछले दस साल से हिला नहीं था। देश का बड़े-से-बड़ा अभिनेता, नेता और बिज़नेसमैन सभी मनोज साल्वे के या तो दोस्त थे या होना चाहते थे। मनोज के बारे में कहा जाता था कि पिछले कुछ सालों में कोई भी उससे बड़ा वकील नहीं हुआ। ऐसे में जब लग रहा था कि मनोज के साथ कुछ ग़लत नहीं हो सकता है, ख़बर आती है कि मनोज की लॉ की डिग्री फ़ेक है। इस ख़बर को वह झुठला नहीं पाता। वो आदमी जो हर केस जीत सकता था, वह अपनी बेटी की नज़र में क्यों सबसे बुरा इंसान था? ऐसा क्या था कि उसकी बेटी साशा उससे बात नहीं कर रही थी? क्या मनोज अपनी पर्सनल लाइफ़, अपने करियर को फिर से पटरी पर ला पाएगा?

प्रकाशक: हिन्द युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न

कसारी मसारी – मनोज राजन त्रिपाठी
कसारी मसारी - मनोज राजन त्रिपाठी | एका

पुस्तक विवरण:

कसारी मसारी’ मनोज राजन त्रिपाठी का दूसरा उपन्यास है। यूपी के सबसे बड़े डॉन के बनने और बिखरने का पूरा आख्यान समेटे हुए है।

प्रकाशक: एका | पुस्तक लिंक: अमेज़न

चांदपुर की चंदा – अतुल कुमार राय
चाँदपुर की चंदा - अतुल कुमार राय

पुस्तक विवरण:

कुछ साल पहले पिंकी और मंटू का प्रेम-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और ऐसे वायरल हुआ कि उसे शेयर करने वालों में हाईस्कूल-इंटरमीडिएट के छात्र भी थे और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी। लेकिन उस छोटे से प्रेम-पत्र के पीछे की बड़ी कहानी क्या थी, यह किसी को नहीं मालूम। क्या था उन दो प्रेमियों का संघर्ष? ‘चाँदपुर की चंदा’ क्या उस मंटू और पिंकी की रोमांटिक प्रेम-कहानी भर है? नहीं, यह उपन्यास बस एक खूबसूरत, मर्मस्पर्शी वायरल प्रेम-कहानी भर नहीं है, बल्कि यह हमारे समय और हमारे समाज के कई कड़वे सवालों से टकराते हुए, हमारी ग्रामीण संस्कृति की विलुप्त होती वो झाँकी है, जो पन्ने-दर-पन्ने एक ऐसे महावृत्तांत का रूप धारण कर लेती है जिसमें हम डूबते चले जाते हैं और हँसते, गाते, रोते और मुस्कुराते हुए महसूस करते हैं। यह कहानी न सिर्फ़ हमारे अपने गाँव, गली और मोहल्ले की है, बल्कि यह कहानी हमारे समय और समाज की सबसे जरूरी कहानी भी है।

प्रकाशक: हिन्द युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न

यूपीएससी वाला लव – कैलाश मांजू बिश्नोई
यूपीएससी वाला लव - कैलाश मांजू बिश्नोई

पुस्तक विवरण:

इस उपन्यास की मुख्य किरदार एक आईएएस अधिकारी एंजल है। इस रचना के माध्यम से एंजल की जिजीविषा और संघर्ष के धागों से बुनी हुई कहानी को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसके आईएएस में चयनित हो जाने के बाद मसूरी के लबासना ट्रेनिंग माहौल को भी चित्रित करने की कोशिश की गई है। शुरुआती अध्यायों में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले चार अभ्यर्थियों के यारी दोस्ती के किस्से हैं। यह उपन्यास भारत के हर उस नवयुवक की कहानी है जो बड़े सपने देखता है और समाज और दोस्तों के ताने सुनकर भी अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहता है। साथ ही कोरोना काल में प्रतियोगी छात्रों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसका भी चित्रण किया है। इसके अलावा इस रचना के माध्यम से प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। इस कृति की लव स्टोरी छोटे शहरों की छोटी सोच से लड़ने की स्टोरी है। यह प्यार और आईएएस कैडर में से किसी एक को चुनने से जुड़ी हुई एक रोचक कहानी है। पैसा, पद, पावर, सामाजिक स्टेटस से ज्यादा अपने प्रेम को अहमियत देकर गिरीश और एंजल ने सामाजिक बंदिशों की छाया अपने रिश्ते पर नहीं पड़ने दी तथा हमेशा एक-दूसरे की ताकत बन खड़े रहे और आखिरकार एक दूसरे के हो गए। एक तरह से पूरी कहानी में मोहब्बत की सौंधी खुशबू बसी है।

प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस | पुस्तक लिंक: अमेज़न

फिर मिलोगी – मधु चतुर्वेदी
फिर मिलोगी - मधु चतुर्वेदी | हिंद युग्म

पुस्तक विवरण:

‘फिर मिलोगी’ सिर्फ़ एक प्रेम कहानी नहीं है, यह उस अनकहे मोह का आख्यान है जो जीवन की भीड़ में खोकर भी स्मृतियों में जीवित रहता है। वसुधा की शादीशुदा ज़िंदगी में सूनापन है, लेकिन उसका दिल एक ऐसे एहसास में उलझा है जो बरसों पहले किसी ट्रेन यात्रा में मिला था—एक ऐसा संयोग जो कल्पना-सी प्रतीत होता है, लेकिन दिल से मिटता नहीं।

मधु चतुर्वेदी की लेखनी संवेदना, सौंदर्य और स्त्री-मन की महीन परतों को गहराई से उकेरती है। उपन्यास भाषा में बहता है, दृश्य रचता है और पाठक के भीतर एक हूक छोड़ जाता है। यह किताब उन सबके लिए है जिन्होंने कभी किसी को खोया है, लेकिन भुला नहीं पाए।

प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न

यूपीएससी वाला लव – कलेक्टर साहिबा 2- कैलाश मंजू बिश्नोई
यूपीएससी वाला लव - कलेक्टर साहिबा 2- कैलाश मंजू बिश्नोई

पुस्तक विवरण:

जहाँ पहले भाग में, एंजल और गिरीश का प्रेम चरम पर पहुँचा था, वहीं दूसरे भाग में, एंजल IAS बनने के बाद करियर और प्यार के बीच उलझ जाती है और उसे सच्चे दिल से चाहने वाला गिरीश, आत्म-सम्मान और भावनाओं के बीच फंस जाता है। क्या एंजल ने अपने सपनों की ख़ातिर, अपने प्यार गिरीश को ही छोड़ दिया या उनके प्रेम ने समय की इस परीक्षा को पार किया? इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए पढ़ें उपन्यास, कलेक्टर साहिबा का यह दूसरा भाग। कलेक्टर साहिबा – 2 में एंजल और गिरीश के दृष्टिकोण से रिश्तों की पेचीदगियों और महत्त्वाकांक्षाओं के टकराव को दिखाया गया है। यह उपन्यास प्रेम, करियर और आत्म-सम्मान के ऊहापोह को ख़ूबसूरती से बुनता है; साथ ही, पाठकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या प्यार और करियर एक साथ निभाए जा सकते हैं या किसी एक की बलि चढ़ानी ही पड़ती है।

प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस | पुस्तक लिंक: अमेज़न

वर्चस्व – राजेश पांडेय
वर्चस्व - राजेश पांडेय

पुस्तक विवरण:

नब्बे के ही दशक में जब राजनेताओं के दिन-दहाड़े सरेआम मर्डर होने लगे तो ज़ाहिर है कि नेताओं के मन में ख़ौफ़ बैठ जाना ही था और नई पीढ़ी के वह लोग, जो देश के लिए राजनीति के सहारे कुछ करने की वाक़ई चाह रखते थे, उन्होंने इस राह पर चलने के अपने इरादों पर लगाम लगा दी। राजनीति को अपराधियों, हत्यारों, डकैतों और बलात्कारियों के हाथों में जाने देने का यह यथार्थ बड़ा भयावह था। बस, यही वह समय था जब बड़े-बड़े ख़ूँख़्वार अपराधियों के लिए राजनीति के प्रवेश द्वार पर स्वागत के लिए फूल मालाएँ लेकर ख़ुशी-ख़ुशी लोग नज़र आने लगे। राजनीति के अपराधीकरण या अपराध के राजनीतिकरण की यह शुरुआत धमाकेदार थी, उसमें ग्लैमर था, धन-दौलत थी और आधुनिक हथियारों को निहारने का मज़ा भी और जलवा अलग से। इन सियासी माफ़ियाओं की गाड़ियों का क़ाफ़िला जिधर से गुज़र जाता, सड़कें अपने आप ख़ाली हो जाया करती थीं। उन्हीं दिनों की पैदावार एक ऐसा अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला था जिसके आतंक ने यूपी और बिहार में सबकी नींदें उड़ा दी थीं। उसे किसी का भय नहीं था। आँखों में किसी तरह की मुरौवत नहीं थी। वह ऐसा बेदर्द इनसान था जिसने गोरखपुर में केबल के धंधे में पैर ज़माने के लिए एक हफ़्ते में ही एक-एक कर दर्जन भर लोगों को मार डाला था। श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे दुर्दान्त अपराधी को यूपी पुलिस की एसटीएफ़ ने दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद में मार गिराया।…इसी इनकाउंटर के इर्द-गिर्द घूम रही है इस किताब की पूरी स्क्रिप्ट… श्रीप्रकाश शुक्ला के इनकाउंटर की पूरी कहानी इसमें मौजूद है। यह किताब इस बेहद चर्चित मुठभेड़ की पूरी दास्तान बयान करती है।

प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न

रोमियो जूलियट और अँधेरा – कुणाल सिंह
रोमियो जूलियट और अँधेरा - कुणाल सिंह | लोकभारती प्रकाशन

पुस्तक विवरण:

भाषा, जाति, धर्म, नस्ल और क्षेत्र को दरकिनार करके किया गया प्रेम एक ताजी, भव्य, सम्मोहक और रोशन दुनिया की कोंपल अपने भीतर रखता है, पर जब हम भीतर और बाहर रोशनी से भर रहे होते हैं तो ठीक हमारे पीछे अँधेरा अपने ज़ंग लगे नाख़ूनों में धार दे रहा होता है। रोशनी और अँधेरे के बीच का यह आदिम खेल सभ्यता के कथित विकास के साथ और भी बर्बर होता गया है। ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’ पढ़ते हुए हम जानते हैं कि हमारे कोमलतम और सपनीले दिनों में बर्बरता सबसे अधिक हमारी ताक में रहती है। यहाँ दो युवा दिलों की मुहब्बत पर तमाम हत्यारी साज़िशों की भुतहा छायाएँ गिर रही हैं। यहाँ भाषा, नस्ल और स्थानीय बनाम बाहरी के द्वन्द्व हैं जिनकी शतरंजी बिसात पर राजनीतिक गोटियाँ सेंकी जा रही हैं, जिनकी गिरफ़्त में आने के बाद पीड़ित लोग अपने ही जैसे दूसरे पीड़ितों के प्रति ज़हर से भर रहे हैं। यहीं, इसी जगह से उपन्यास में अँधेरा प्रवेश करता है। असम की राजनीति में जो ताक़तें और तत्व आज निर्णायक होकर राज कर रहे हैं, उन सबकी गहरी पदचापें इस उपन्यास में सुनी और देखी जा सकती हैं। और यह सब यहाँ एक ऐसी सम्पन्न भाषा में दर्ज हो रहा है जो स्वाद, रंग, गन्ध, ध्वनियाँ, मौसम, रोशनी और अँधेरा सब कुछ को साकार कर देती है। जिसमें आप किसी कली का चटकना या फूल का मुरझाना सुन और देख सकते हैं। जिसमें असम की धरती का ताप दर्ज हुआ है। पढ़ते हुए एक भीषण आह के साथ हम जानते हैं कि हर भाषा के अपने दुख, मातम और अँधेरे हुआ करते हैं।

प्रकाशक: लोकभारती प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न

संयम – मानव कौल
संयम - मानव कौल | हिंद युग्म

पुस्तक विवरण:

‘हर पेंटिंग अपने भीतर एक चुप्पी छुपाए रखती है — और हर कलाकार, एक छुपी हुई कथा।‘

संयम एक ऐसे पेंटर की कहानी है, जो जीवन की भीड़ में भीतर से बिल्कुल अकेला है।

वह रंगों से अपनी दुनिया बनाता है, लेकिन जब वे भी चुप हो जाते हैं, तो उसे शब्दों का सहारा लेना पड़ता है।

उसकी एक दोस्त उसे कहती है—”लिखो। जो तुमने महसूस किया, जो कह नहीं पाए—उसे लिखो।”

यह उपन्यास उसी आत्म-संवाद की यात्रा है।

यह केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि एक चित्रकार के भीतर की वह आवाज़ है, जो कभी पेंटिंग के ज़रिए नहीं निकल पाई।

यह उस गहरी खामोशी की भाषा है, जिसे हम सब कभी न कभी महसूस करते हैं—चाहे हम कलाकार हों या नहीं।

क्या एक लेखक एक पेंटर को समझ सकता है? क्या हम कभी किसी के रंगों की भाषा पढ़ सकते हैं? यही प्रश्न इस किताब के हर पन्ने में झलकता है।

संयम मानव कौल का सबसे आत्मिक और अंतरंग उपन्यास है—जहाँ कैनवास शब्द बन जाता है, और अकेलापन कहानी।

प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न

तुम्हारी औकात क्या है – पीयूष मिश्रा
तुम्हारी औकात क्या है - पीयूष मिश्रा

पुस्तक विवरण:

यह पियूष मिश्रा की आत्मकथा है जिसे उन्होंने उपन्यास की तर्ज पर लिखा है। और लिखा नहीं; जैसे शब्दों को चित्रों के रूप में आँका है। इसमें सब कुछ उतना ही ‘परफ़ेक्ट’ है जितने बतौर अभिनेता वे स्वयं। न अतिरिक्त कोई शब्द, न कोई ऐसा वाक्य जो उस दृश्य को और सजीव न करता हो। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ‘अनयूजुअल’—से परिवार में जन्मा एक बच्चा चरण-दर-चरण अपने भीतर छिपी असाधारणता का अन्वेषण करता है; और क़स्बाई मध्यवर्गीयता की कुंठित और करुण बाधाओं को पार करते हुए धीरे-धीरे अपने भीतर के कलाकार के सामने आ खड़ा होता है। अपने आत्म के सम्मुख जिससे उसे ताज़िन्दगी जूझना है; अपने उन डरों के समक्ष जिनसे डरना उतना ज़रूरी नहीं, जितना उन्हें समझना है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास का नायक हैमलेट, यानी संताप त्रिवेदी यानी पीयूष मिश्रा यह काम अपनी ख़ुद की कीमत पर करता है। यह आत्मकथा जितनी बाहर की कहानी बताती है—ग्वालियर, दिल्ली, एनएसडी, मुम्बई, साथी कलाकारों आदि की—उससे ज़्यादा भीतर की कहानी बताती है, जिसे ऐसी गोचर दृश्यावली में पिरोया गया जो कभी-कभी ही हो पाता है। इसमें हम दिल्ली के थिएटर जगत, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के कई सुखद-दुखद पहलुओं को देखते हैं; एक अभिनेता के निर्माण की आन्तरिक यात्रा को भी। और एक संवेदनशील रचनात्मक मानस के भटकावों-विचलनों-आशंकाओं को भी। लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि इस किताब की इसका गद्य है। पीयूष मिश्रा की कहन यहाँ अपने उरूज़ पर है। पठनीयता के लगातार संकरे होते हिन्दी परिसर में यह गद्य खिली धूप-सा महसूस होता है।

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न

अन्य पुस्तकें जिन्होंने सूची में जगह बनायी:
  1. इब्नेबतूती – दिव्य प्रकाश दुबे | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  2. मुखबिर – सुशील तंवर | प्रकाशक: राजपाल एंड संस | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  3. शर्ट का तीसरा बटन – मानव कौल | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  4. वो कौन थी – रूपा श्रीकुमार | प्रकाशक: प्रकाश बुक्स | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  5. सरकारी चाय के लिए – प्रेम शंकर चरड़ाना, | प्रकाशक: पंक्ति प्रकाशन | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  6. आको बाको – दिव्य प्रकाश दुबे | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  7. लपूझन्ना – अशोक पांडे | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  8. 615 पूर्वांचल हॉस्टल -राघवेंद्र सिंह | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  9. अंतिमा – मानव कौल | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न
  10. किसी अजनबी के प्यार में – रेणु मिश्रा | प्रकाशक: हिंद युग्म | पुस्तक लिंक: अमेज़न


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