मिडनाइट क्लब – सुरेन्द्र मोहन पाठक

रेटिंग: ५/५
उपन्यास पढ़ा गया: 6 मार्च से  8 मार्च

संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : ३५२
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स
सीरीज  : जीतसिंह #६

मिडनाइट क्लब (जीसिंह सीरीज #६)

पहला वाक्य :
गुरुवार उन्तीस जनवरी को तारदेव थाने के एस एच ओ गोविलकर का टिम्बर बन्दर के करीब के उजाड़ मैदान में क़त्ल हुआ जिसने कि पुलिस के महकमे में नीचे से ऊपर तक हड़कम्प मचा दिया।

मिडनाइट क्लब जीत सिंह सीरीज का छंटवाँ (6)  और सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का २६७ वाँ उपन्यास है। जीत सिंह  एक नामी गिरामी वाल्ट बस्टर है और कई चोरियों को अंजाम दे चुका। ऐसे  मामले में  उसे कभी कभार अपनी जान की रक्षा के लिए दूसरे की जान भी लेनी पड़ी है। इस उपन्यास में ही पाठक को ये पता चलता है कि वो अब तक १२ लोगों की हत्या चाहे अनचाहे कर चुका है। ये जीत सिंह का दूसरा कारनामा था जो मैंने पढ़ा। इससे  पहले मैं कोलाबा कांस्पीरेसी पढ़ चुका हूँ जो कि मिडनाइट  क्लब के बाद  प्रकाशित हुआ था।

उपन्यास की शुरुआत में हमे पता चलता है कि जीत सिंह को सुपर सेल्फ सर्विस स्टोर की डकेती के मामले में सबूतों की कमी के कारण रिहा कर दिया जाता है। उसके केस की सुनवाई के लिए गोवा से उसका दोस्त और मेंटर एडुआर्डो भी आया हुआ था। रिहाई की ख़ुशी को मनाने के लिए दोनों मुबई में बार होप्पिंग का प्लान बनाते हैं। बारों के चक्कर लगाते लगाते दोनों दादर के पैरामाउंट बार में पहुँचते हैं। उधर जीते को डिम्पल मिलती है। इसके बाद जीते एडुआर्डो को बार में छोड़कर डिंपल के साथ चला जाता है।  वो उसे अपने फ्लैट की चाबी और वहाँ का पता बताकर निकलता है।

फिर अगली सुबह जब वो अपने फ्लैट पर पहुँचता है तो एडुआर्डो वो वहाँ न पाकर उसे हैरानी होती है।  वो हर जगह पता करता है लेकिन उसे एडुआर्डो का पता नहीं लगता।  बस पता है तो इतना कि आखरी बार उसे पैरामाउंट में पत्ते खेलते हुए देखा था। किधर गया एडुआर्डो? वो जिधर भी पता करता है उधर यही अंदेशा लगता है कि एडुआर्डो या तो किसी अस्पताल में मिलेगा या तो किसी मोर्ग में ? क्या हुआ था एडुआर्डो को ? क्या जीता उसका पता लगा पाया ? कौन था एडुआर्डो के गायब होने  के पीछे ? ये सब जानने के लिए आपको उपन्यास को पढ़ना पड़ेगा।

मिडनाइट क्लब (Midnight Club) एक तेज रफ़्तार से चलने वाला उपन्यास है। ये एक थ्रिलर है और पाठक को निराश नहीं करता है। उपन्यास के दो भाग हैं। पहले भाग में तो हम जीते को एडुआर्डो का पता लगाते देखते हैं। एडुआर्डो जीते के लिए पिता समान है और जीता उसकी बहुत इज्जत करता है। वो एडुआर्डो के गायब हो जाने से चिंतित हो जाता है।
उपन्यास का  दूसरा भाग एडुआर्डो के पता लगने के बाद शुरू होता है। इस दूसरे भाग में जीता उन प्रतिद्वंदियों के साथ लड़ता दिखता है जो कि एडुआर्डो कि हालत के लिए जिम्मेदार थे।
दोनों ही भाग में उपन्यास के कथानक ने मुझे अपने तरफ खींच कर रखा और ध्यान भटकने नहीं दिया।
पहला हिस्सा जहाँ रहस्य और मिस्ट्री है जो कि सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर एडुआर्डो का क्या हुआ? पढ़ते समय पाठक भी अपने आप को इस बाबत कयास लगाने से नहीं रोक पाता है।जिस तरीके से जीतसिंह तहकीकात करता है उससे उपन्यास में एक डिटेक्टिव फिक्शन का पुट आता है।
वहीँ दूसरे हिस्से में  जीत सिंह के प्रतिद्वंदी के रूप में खड़ा होता है गणेश महाडिक। वो क्रूर है, ताकतवर है और अपनी ताकत का इस्तेमाल करने में उसे कोई गुरेज नहीं है। इस बात का सबूत पाठक को देखने को मिलता है जब उसे ये बताया जाता है कि कैसे उसने अपने ड्राईवर को बर्बाद कर दिया था केवल इसलिए कि वो वक़्त पर गाड़ी का दरवाज़ा खोलना भूल गया था। वहीं उसका अपने वेटर से डील करने का तरीका भी उसे एक खतरनाक प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रस्तुत करता है। जीतसिंह कैसे इस खूंखार आदमी का सामना कर पायेगा जो कि खुले आम एक नाजायज़ क्लब चला रहा है (ये साबित करता है कि पुलिस भी इसके जेब में हैं।)। ये विचार ही पाठक को रोमांचित कर देता है कि क्या जीतसिंह ऐसे प्रतिद्वंदी का सामना कर पायेगा?
दूसरा ये कि क्योंकि जीतसिंह हाल ही में बरी हुआ है तो वो खुल्ले आम कुछ भी नहीं कर सकता। उसे सारे काम अपनी पहचान छुपा के करने हैं, जो कि वो बड़ी अच्छी तरह से करता है। उपन्यास का ये हिस्सा ऐसा है कि अगर यहाँ तक पाठक पहुंचे तो फिर उसे उपन्यास को खत्म करे बिना छोड़ने में काफी इच्छशक्ति का प्रयोग करना पड़ेगा।
उपन्यास मुझे काफी अच्छा लगा और पूरा पैसा वसूल लगा। जीतसिंह के साथ क्लब्स में घूमना भी एक जीवंत अनुभव था। जीतसिंह के दिमागी तिकड़म भिड़ाने के तरीके ने मुझे प्रभावित किया। और उपन्यास के कथानक ने रोमांचित किया। इसके इलावा मेरी तो एक थ्रिलर उपन्यास से कोई दूसरी माँग नहीं होती है। मेरे लिए ये उपन्यास एक उम्दा थ्रिलर उपन्यास है जिसे मैं आगे चलकर दोबारा पढ़ूँगा। आपको ये उपन्यास कैसा लगा ये नीचे दिए गये टिपण्णी बक्से में लिखना न भूलियेगा। अगर आपने इसे नहीं पढ़ा है तो आप निम्न जगहों से इसे इस उपन्यास को मंगवा सकते हैं :

राजकॉमिक्स
pustak.org


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *