रैना उवाच: अपने समय की आहट को भले से पहचानती हैं ग्लूक की कविताएँ

गजानन रैना साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अक्सर लिखते रहते हैं। इस बार नोबेल पुरस्कार विजेता लुईस ग्लूक की कविताओं पर उन्होंने अपने खास अंदाज में लिखा है। आप भी …

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रैना उवाच: इस सफर में नींद ऐसी खो गई हम न सोये,रात थक कर सो गई

1 सितंबर को मशहूर लेखक राही मासूम रजा का जन्मदिन पड़ता है। राही मासूम रजा जी का जन्म 1 सितंबर 1927 को गाजीपुर जिले के गंगोलीं गाँव में हुआ था। …

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रैना उवाच: लेखक और उनके लेखकीय ‘टेल’

गजानन रैना जब लिखते है अनूठा लिखते हैं। साहित्य को देखने की उनकी अपनी एक नजर है। आज उन्होंने लेखकीय टेल पर कुछ लिखा है। आप भी पढ़ें: ********   …

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रैना उवाच: खरीदी कौड़ियों के मोल

‘खरीदी कौड़ियों के मोल’ एक विरल ढंग का उपन्यास है। नायक दीपंकर के पिता संपन्न किसान थे। उनकी हत्या होने के बाद जमीन हड़पने के लिए दीपंकर और उसकी माँ …

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रैना उवाच: कविता

गजानन रैना जिसके पास कोई रोजगार नहीं, वो प्रापर्टी डीलर का काम कर ले और जो कुछ नहीं लिख सकता, कविता लिख ले।  बुरी दशा है कविता की, आइ सी …

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गजानन रैना

रैना उवाच: दो पसंदीदा कहानियाँ – स्मृतियाँ और तदुपरांत

गजानन रैना साहित्यानुरागी है और साहित्य के अलग अलग पहलुओं  और साहित्यिक कृतियों पर बात करने का उनका अपना अलग अंदाज है। रैना उवाच के नाम से वह यह टिप्पणियाँ …

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