रैना उवाच: खरीदी कौड़ियों के मोल
‘खरीदी कौड़ियों के मोल’ एक विरल ढंग का उपन्यास है। नायक दीपंकर के पिता संपन्न किसान थे। उनकी हत्या होने के बाद जमीन हड़पने के लिए दीपंकर और उसकी माँ …
रैना उवाच: खरीदी कौड़ियों के मोल Read Moreसाहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
‘खरीदी कौड़ियों के मोल’ एक विरल ढंग का उपन्यास है। नायक दीपंकर के पिता संपन्न किसान थे। उनकी हत्या होने के बाद जमीन हड़पने के लिए दीपंकर और उसकी माँ …
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गजानन रैना जिसके पास कोई रोजगार नहीं, वो प्रापर्टी डीलर का काम कर ले और जो कुछ नहीं लिख सकता, कविता लिख ले। बुरी दशा है कविता की, आइ सी …
रैना उवाच: कविता Read More
गजानन रैना सोशल मीडिया में रैना उवाच के नाम से अपने ख़ास अंदाज में अलग अलग विषयों पर अपनी टीप को प्रकाशित करते रहते हैं। आज एक बुक जर्नल में …
रैना उवाच: आवारा मसीहा की छवि और सामाजिक स्वीकृति की चाहत के बीच की खींचतान का नतीजा है अंतिम परिचय Read More
गजानन रैना साहित्यानुरागी है और साहित्य के अलग अलग पहलुओं और साहित्यिक कृतियों पर बात करने का उनका अपना अलग अंदाज है। रैना उवाच के नाम से वह यह टिप्पणियाँ …
रैना उवाच: दो पसंदीदा कहानियाँ – स्मृतियाँ और तदुपरांत Read More