संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ईबुक | प्लेटफॉर्म: किंडल
पुस्तक लिंक: अमेज़न
लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक की ब्लाइंड डील 7 जून 2022 को सीधे किंडल पर प्रकाशित हुई थी। ‘कातिल कौन’ के बाद यह दूसरा मौका था जब लेखक द्वारा कोई किताब पहले ई बुक के रूप में प्रकाशित की गई थी। ‘ब्लाइंड डील’ में पाठकों के लिए लेखक द्वारा एक विस्तृत लेखकीय, एक उपन्यास ब्लाइंड डील और चार कहानियाँ परोसी गई हैं।
उपन्यास पर विचार आप निम्न लिंक पर् जाकर पढ़ सकते हैं:
प्रस्तुत लेख में हम केवल लेखकीय और कहानियों पर बात करेंगे।
सुरेंद्र मोहन पाठक जितने अपने उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं उतने ही उनके लेखकीय भी उनके प्रशंसकों के बीच प्रसिद्ध हैं। अपने लेखकीय के माध्यम से न केवल वो किताब से जुड़ी जानकारी और पुरानी प्रकाशित किताबों के ऊपर मिली पाठकों की राय पाठक के साथ साझा करते हैं पर साथ साथ कई दूसरी रोचक जानकारियाँ भी पाठक के साथ साझा करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में मौजूद लेखकीय भी ऐसा ही है। इसमें इस पुस्तक में मौजूद कहानियों के लिखने का प्रयोजन पाठक साहब साझा करते हैं। यह कहानियाँ क्यों लिखी गई और किसके लिए प्रथम बार लिखी गई इसका पता पाठक को लेखकीय पढ़कर लगता है। साथ ही उस समय की पत्रिकाओं और पत्रिका के ट्रेड से जुड़ी कुछ और जानकारियाँ भी पाठक जान पता है। इसके अलावा पुस्तकों और पुस्तकों की महिमा के साथ साथ भारत में जासूसी साहित्यकारों के साथ होते बर्ताव के विषय में भी लेखक लिखते हैं। वहीं यह जानकारी भी देते हैं कि उन्हें क्यों किंडल पर किताब प्रकाशित करनी पड़ी। कहानियों की जानकारी के अलावा लेखक गैंग ऑफ फोर के बारे में मिली पाठकों की राय साझा करते हैं और साथ साथ लग्जरी गाड़ियों विशेषकर रोल्स रॉयस कार से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ भी पाठक के साथ साझा करते हैं।
लेखकीय पठनीय है और किताब का एडेड अट्रैक्शन है। अगर आप पाठक साहब के लेखकीय पसंद करते हैं तो यह भी आपको पसंद आएगा।
पुस्तक में मौजूद कहानियों की बात करें तो इस पुस्तक में चार कहानियों को प्रकाशित किया गया है। लेखक की यह चारों ही कहानियाँ करीब बयालीस साल पहेली के तौर पर पत्रिका में प्रकाशित हुई थी और अब कई वर्षों बाद कहानी के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। चारों ही कहानियों में पाठक साहब मौजूद हैं जो कि अपने दोस्त इंस्पेक्टर एन एस अमीठिया के कहने पर मामले से जुड़ते हैं और असल कातिल तक पहुँचते हैं। चूँकि यह कहानियाँ पहले पहेली की तरह लिखी हुई थी तो जाहिर है ज्यादा जटिल इन्होंने नहीं होना था। साथ ही कथानक में ऐसे कुछ क्लूज का होना लाजमी था जिन्हें पहचानकर अपराधी तक पहुँचा जा सकता था। ऐसे में कुछ कहानी के क्लूज से आसानी से यह पता लगाया जा सकता है कि असल अपराधी कौन है।
इन चारों कहानियों की बात करूँ तो पहली दो कहानियाँ मर्डर मिस्ट्री हैं और आखिर की दो कहानियों में रहस्य तो है लेकिन कत्ल नहीं होता है।
संग्रह में मौजूद पहली कहानी ठाकुर हरनाम सिंह का कत्ल है। जैसे कि नाम से जाहिर है इसमें ठाकुर हरनाम सिंह नामक व्यक्ति का कत्ल होता है और मौकाय वारदात पर मिले सबूतों के आधार पर किस तरह असल कातिल तक पहुँचा जाता है यह देखने को मिलता है। कहानी रोचक है और मनोरंजन करने में सफल होती है। कहानी में मौजूद क्लूज आसानी से पकड़ में नहीं आते हैं।
दूसरी कहानी पब्लिसिटी स्टंट है। जाना माना गीतकार और संगीत निर्देशक कमल देव अमीठिया के पास मदद के लिए पहुँचा था। उसका कहना था कि उसकी टीम के बाँसुरी वादक राजेंद्र नाथ का कहना था कि उसके परिवार में जिस किसी ने भी राग जयजयवंती बजाया वो ही स्वर्गवासी हो गया। अब कमल देव ने भी इसी राग पर आधारित एक गीत लिखा था जिसकी रिकॉर्डिंग होनी थी। कमल को लगता था कि कहीं ये रिकॉर्डिंग राजेंद्र की मौत का बायस न बन जाए। क्या कमल का डर लाजमी था? क्या राग से मृत्यु की बात सच थी या फिर एक पब्लिसिटी स्टंट था।
यह रोचक कहानी है जिसमें हिंट के बावजूद कत्ल कैसे हुआ ये पता लगाने में थोड़ा दिक्कत होती है। क्लू आसानी से मिस हो जाता है। मुझे मजेदार लगी।
तीसरी कहानी विष के व्यापारी हैं। युवाओं के बीच ड्रग्स एक ऐसी बीमारी के तौर पर फैला हुआ जिससे कई युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद हो गई है। यह कहानी भी इसी समस्या को केंद्र में लेकर लिखी गई है। इन्स्पेक्टर अमीठिया के कहने पर पाठक साहब को अपने दोस्त मनीष की उन पार्टियों में शामिल होना पड़ता है जहाँ ये ड्रग्स परोसी जाती हैं। अमीठिया चाहता कि पाठक सहाब मनीष के डीलर का पता लगाएँ ताकि पुलिस ड्रग्स की इस कड़ी को तोड़ सके। यह काम लेखक कैसे करते हैं यही कहानी बनती है। कहानी ठीक ठाक है। इसमें कुछ क्लूज मौजूद हैं जिससे आपको एक किरदार के बयान में सच्चाई है या नहीं ये पता लगाना होता है। क्लूज अच्छे हैं लेकिन रहस्य के तत्व कमजोर है। पहेली के रूप में कहानी अच्छी थी। लेकिन अगर इसमें रोमांच और रहस्य के तत्व और अधिक होते तो बेहतर होता।
ओपन एंड शट केस इस संकलन में मौजूद आखिरी कहानी है। जैसा कि नाम से जाहिर है यह एक ओपन एण्ड शट केस ही है जिसमें अपराधी कौन है उसे पता लगाना बहुत आसान है। कहानी की खासियत यही है कि पाठक साहब ने इसमें अपने कान की दिक्कत और अपने डरपोक होने का जिक्र किया है और यह दर्शाया है कि लेखक और उसके किरदार दो अलग चीजें होती हैं और लेखक अपने किरदारों जैसा ही होगा यह गलतफहमी पाठकों को नहीं पालनी चाहिए। यह कहानी मुझे चारों में से सबसे कमजोर लगी। कहानी थोड़ा जटिल होती और कुछ ट्विस्ट इसमें होते तो बेहतर होता।
अंत में यही कहूँगा कि संकलित हुए कहानियों में से पहली दो कहानियाँ रोचक हैं और दो कहानियाँ ऐसी हैं जिनमें और काम होता तो बेहतर होता। लेखकीय और पहली दो कहानियाँ आपका मनोरंजन करने में सफल होंगी ऐसा मुझे लगता है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
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