संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई बुक | पेज काउंट: 34 | एएसआईएन: B08RWC8NRQ
किताब लिंक: किंडल
पहला वाक्य:
‘इट्स शुभाशीष फ्रॉम व्योम एयरो डेफ अगेन’ – फोन पिक करते ही दोसरी तरफ से आवाज़ आई – ‘सॉरी टू बोदर यू अगेन।’
कहानी:
आशीष एक साइबर क़ानून विशेज्ञ है जो कि साइबर अपराध से जुड़े मामलों से दो चार होता रहता है। उसका पेशा ऐसे मामलों से जूझ रहे लोगों को अपनी प्रोफेशनल राय देना है और उनकी मुसीबतों का हल ढूँढना है।
इसीलिए अपने दफ्तर के काम से फारिग होकर घर की तरफ बढ़ते हुए आशीष को जब व्योम एयरो डेफ नामक कम्पनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर शुभाशीष का फोन आया तो आशीष को लगा ही था कि हो न हो कोई बड़ी बात हो गयी है। शुभाशीष चाहता था कि आशीष उसी वक्त व्योम ऐरो डेफ के ऑफिस में पहुँचे और उनकी मुसीबत का आँकलन कर उन्हें अपनी राय दे।
आखिर व्योम एयरो डेफ को किस मुसीबत से आ घेरा था?
क्या आशीष मामले का पता लगा पाया?
मेरे विचार:
पुष्पक विशी सिन्हा द्वारा लिखी गयी एक कहानी है। 34 पृष्ठों में फैली हुई इस कहानी का विषय साइबर अपराध है। विशी सिन्हा खुद इस पेशे में हैं तो उन्होंने अपने पेशे के कारण मिली जानकारियों का इस कहानी में बाखूबी इस्तेमाल किया है।
यह 21वीं सदी इनफार्मेशन टेकनोलोजी की सदी है। आज हर चीज कंप्यूटर के माध्यम से करना सम्भव है। आज कंप्यूटर के माध्यम से कई चीजें चुटकियों में हो जाती हैं। और इन सभी सुविधाओं को आपके हमारे पास लाने के लिए कई कम्पनियाँ लगातार काम करती रहती हैं। कई बार एक ही चीज के ऊपर कई लोग काम करते रहते हैं और ऐसे में कौन किस चीज पर कार्य कर रहा है यह जानकारी और वह कार्य काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। कई लोग इसमें सेंध मारने की फिराक में होते हैं लेकिन कम्पनियों द्वारा नियुक्त कंप्यूटर एक्सपर्ट इन सेंधों से डाटा बचाने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन कई बार कोशिशों के बाद भी डाटा लीक हो जाता है। ऐसे में यह पता लगाना जरूरी हो जाता है कि यह कार्य किसने किया है और कैसे किया है। और इसीलिए लोग कई तरह के साइबर विशेषज्ञों की मदद लेते हैं।
विशी सिन्हा द्वारा लिखी गयी यह कहानी ऐसी ही एक तहकीकात को दर्शाती है। कहानी एक ही बैठक में पठनीय है।
एक अच्छी रहस्यकथा वह होती है जो कि परत दर परत खुलती है और उस में कई संदिग्ध होते हैं। उपन्यास में यह करना आसान होता है क्योंकि आपके पास यह सब करने के लिए जगह काफी होती है लेकिन कई बार कहानी में ऐसा करना मुमकिन नहीं हो पाता है। परन्तु पुष्पक में विशी सिन्हा यह काफी हद तक कर पाए हैं। जहाँ एक तरफ पाठकों के समक्ष एक से ज्यादा संदिग्ध प्रस्तुत किये गये हैं वहीं दूसरी तरफ कहानी में नायक किस तरह से मसले की जड़ तक पहुँचता है और क्या क्या करके अपने कार्य को पूरा करता है यह देखना रोचकता को बढ़ाता है।
कहानी की कमी की बात करूँ तो इसकी मुझे एक ही कमी लगी। कहानी में जो भी जासूसी होती है वह काफी तकनीकी है। अगर कोई आम पाठक है जिसकी कंप्यूटर की समझ ऊपरी ही है तो वह शायद इसमें दर्शाई जासूसी का उतना मजा न ले पाए जितना कि एक कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की समझ रखने वाला व्यक्ति ले पायेगा। मैं इधर शायद इसलिए लगा रहा हूँ क्योंकि हो सकता है जब कहानी में दर्ज नई जानकारी ऐसे अनजान पाठक के सामने खुले तो वह कंप्यूटर को एक नये तरीके से देखने लगे और कंप्यूटर में उसका रुझान हो जाए।
आखिर में यही कहूँगा कि यह एक रोचक कहानी है जो कि मुझे कहानी पसंद आई। आप लोग एक बार इसे पढ़ सकते हैं। अगर आप कंप्यूटर के विषय में कुछ नहीं जानते हैं तो आपको कुछ नया जानने को मिलेगा वहीं अगर आप कंप्यूटर की समझ रखते हैं तो आप इसे ज्यादा बेहतर तरीके से एन्जॉय कर पाएंगे।
मेरी उम्मीद है लेखक अगली बार बड़े कलेवर के कथानक के साथ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत होंगे। विषय साइबर क्राइम ही रहे तो सोने पर सुहागा हो जाये क्योंकि हिन्दी में अभी ऐसे कथानकों की कमी है।
किताब लिंक: किंडल
(किंडल अनलिमिटेड धारक पुष्पक को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के पढ़ सकते हैं।)
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
बढ़िया समीक्षा…..
जी आभार हितेष भाई….
बढ़िया समीक्षा, कहानी पढ़ने की उत्सुकता जगाने में सफल, जो कि समीक्षा की सफलता का माप है
जी आभार….
बहुत अच्छी समीक्षा , पुस्तक किंडल में एड कर ली है जल्द ही पढ़ कर राय देता हूँ ।
जी आभार,अंकुर भाई…. उम्मीद यह कहानी आपका उतना ही मनोरंजन करेगी जितना कि इसने मेरा मनोरंजन किया….
बढ़िया।👌🏻👏🏻👌🏻👏🏻👌🏻
जी आभार….