‘8 डाउन’ सहारनपुर पैसेंजर – सौरभ (कुमार ल)

कहानी संग्रह मार्च  15, 2020 से अप्रैल 1,2020 के बीच पढ़ा गया


संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई बुक
पृष्ठ संख्या: 98
ए एस आई एन:  B07H6QYSJS

‘8 डाउन’ सहारनपुर पैसेंजर – सौरभ (कुमार ल)

8 डाउन सहारनपुर पैसेंजर सौरभ कुमार ल का कहानी संग्रह है। इस संग्रह में उनकी निम्न 7 कहानियाँ मौजूद हैं:

1) आँख के बदले आँख (2/5)
पहला वाक्य:
सफेद रंग की टैक्सी सीढ़ी हॉस्पिटल के पोर्च में आ कर रुकी। 

अदिति हॉस्पिटल पहुँच चुकी है। कोई है जिसे वो इधर देखना चाहती है, जिससे वह मिलना चाहती है। उसका एक मकसद है जिसे वो पूरा करना चाहती है।

अदिति अस्पताल में क्यों आई है? 
उसका मकसद क्या है? 
क्या वो अपने मकसद में कामयाब हो पाई?

आँख के बदले आँख जैसे की शीर्षक से ही जाहिर होता है एक बदले की कहानी है। कहानी का सेटअप मुझे पसंद आया। अदिति जो कर रही है वो क्यों कर रही है यह जानने की इच्छा बनी रहती है। कहानी में कुछ घुमाव भी है। अंत में कहानी थोड़ी कमजोर पड़ जाती है। कहानी को एक तगड़ा घुमाव देने के चक्कर में यह हुआ है।

2) ब्रेड, अंडे और मेरा प्लान (2.5/5)
पहला वाक्य:
 बड़ी ही अँधेरी और तूफानी रात थी। 

वह एक बड़ी कंपनी में एक सीनियर मैनेजर था। उसने अपने जिंदगी के लिए एक योजना बनाई हुई थी। इसी योजना के अनुरूप वह कार्य कर रहा था।

उसका हर कदम प्लान को पूरा करने के लिए ही उठा रहा था। लेकिन फिर एक दिन जिंदगी में उसे अनुभव करवाया कि प्लान जिंदगी पर लागू नहीं होते हैं।

आखिर उसके साथ ऐसा क्या हुआ? इस घटना का उसके जीवन पर क्या असर पड़ा?


हैरत इलाबाहदी का एक शेर है ‘आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं/ सामान सौ बरस का है पल की खबर नहीं’। इस शेर के माने यह है कि मनुष्य को अगले पल क्या होने वाला है इसकी खबर नहीं है लेकिन फिर भी भविष्य की सोच कर काफी कुछ चीजें इक्कठा कर देता है। यह कहानी भी ऐसे ही एक व्यक्ति की है। जो व्यक्ति यह कहानी सुना रहा है वो एक कम्पनी में एक सीनियर मेनेजर की पोजीशन पर कार्यरत है। वह योजनाओ पर चलना पसंद करता है लेकिन फिर एक दिन उसे अहसास होता है कि योजनाओं को तो वह बना सकता है लेकिन जीवन ऐसा है कि उन योजनाओं में कब पानी फेर दे किसी को कोई खबर है। उसे इस बात का अहसास किस तरह होता है और यह अहसास होते ही उसके जीवन में क्या बदलाव होता है यही इस कहानी में दर्शाया गया है।
आजकल की भाग दौड़ की ज़िन्दगी में हम सब कुछ पाना चाहते हैं। फिर जब हम कुछ पा जाते हैं तो हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जिनके पास हमसे भी बेहतर चीजें होती हैं और फिर हम उसे पाने के लिए दौड़ लगाने लगते हैं। यह भागना जिंदगी भर चलता रहता है और इसके चलते हम सुख चैन आराम सब खो देते हैं। एक तरह की असंतुष्टि हमारे मन में घर कर जाती है। इस कहानी से आप ऐसे ही एक व्यक्ति से रूबरू होंगे। क्या पता आप खुद के जीवन से जुड़े पहलू को भी उसमें देख ले और इससे कुछ सीख ले लें।

3) परछाइयाँ और खामोशी (3/5)
पहला वाक्य:
काफी देर हो चुकी थी। 

परछाइयाँ और खामोशी एक आर्थिक रूप से बेहद कमजोर  परिवार की एक दिन की कहानी है। इस परिवार में माँ और उसके दो बच्चे हैं। कहानी हम बेटे की नजर से देख रहे हैं जो कि अपनी माँ और बहन को बाहर से घर आते हुए देख रहा है। घर के अभावों से जूझते परिवार का बहुत मार्मिक चित्रण किया गया है। कहानी आखिर में एक घुमाव भी लेकर आती है लेकिन मुझे उसका हल्का सा अंदाजा हो गया था। कहानी रोचक है। मुझे पसंद आई।

4) 8 डाउन सहारनपुर पैसेंजर (3.5/5) 
पहला वाक्य:
यह कहना कि मुरु के पिछवाड़े में दर्द हो रहा था, काफी नहीं था। 

 अगस्त 1925 का दिन है और मुरु अपने घर में बैठा पढ़ने की कोशिश कर रहा है। मुरु को पढ़ना पसंद नहीं है और उसे पढ़ने में कोई औचित्य दिखाई नहीं देता है। वहीं मुरु के पिताजी चाहते हैं कि वह पढ़े लिखे और उसकी तरह हेडमास्टर बन कर न रह जाए। इसलिए साम दाम दंड  भेद सभी तरीकों से वह उसे पढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस बार उन्होंने उसे ढंग से पीटा है।

 अपने पिता को कोसता हुआ मुरु पढ़ने की असफल कोशिश करता रहता है। उसे इस बात का कोई भी अंदाजा नहीं है कि आज का दिन उसके जीवन में एक ऐसा बदलाव लायेगा कि उसके जीवन की दिशा बदल जाएगी।

क्या होगा इस दिन?

 8 डाउन सहारनपुर पैसेंजर एक तरह से ऐतिहासिक गल्प है। जब इतिहास में बड़ी बड़ी घटनाएं होती हैं तो उसी समय सामान्य लोग भी अपनी जिंदगी उन घटनाओं के इर्द गिर्द गुजार रहे होते हैं। इन घटनाओं का उनकी जिंदगी में कुछ न कुछ असर तो पड़ता ही होगा। इसी सोच के तहत लेखक ने यह कहानी लिखी है। मुझे कहानी का विचार पसंद आया। कहानी भी अच्छी है। अक्सर जब बड़ी घटनाएं होती हैं तो वह घटनाएं प्राथमिक और बाकि सब कुछ गौण हो जाता है। ऐसे ही गौण व्यक्ति के जीवन पर उस घटना का क्या असर हुआ यह लेखक ने दर्शाया है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि न जाने कितनी कहानियाँ ऐसी उस वक्त बिखरी होंगे। उन लोगों ने खुद के जीवन को इन बड़ी घटनाओं से जोड़ दिया होगा लेकिन खुद उनका जीवन भी कम रोचक नहीं रहा होगा।

 मुझे यह कहानी काफी पसंद आई।

5) यौद्धा (3/5)
पहला वाक्य:
चाँद आज अपनी पूरी रौनक के साथ चमक रहा था। 

आज उसकी पहरा देने की बारी थी। जंगल में मौजूद वह पहरा दे रहा था कि उसकी नजर उन दो मानवों पर पड़ी। इस रात गये इस निर्जन वन में मौजूद वह दो मानव कौन थे? उसके मन में उन मानवों के प्रति एक कौतहुल सा जगा।
क्या वो दुश्मनों के गुप्तचर थे या कोई और? उसके लिए जरूरी था कि वह बात की तह तक जाए।
वह कौन था? वह क्यों पहरा दे रहा था? वह दो मानव कौन थे?
यह कहानी रोचक लगी। इधर इतना ही कहूँगा कि हमारे एक महाकाव्य के एक प्रसंग को यह कहानी दर्शाती है। जैसे ही आप कहानी पढेंगे आपको यह अहसास हो जायेगा कि यह तीन किरदार कौन हैं?  ऐसा प्रसंग मैं इस संग्रह में होने की उम्मीद नहीं कर रहा था। मुझे प्रसंग पसंद आया।

6) शापित (3.5/5)
पहला वाक्य:
“चुप्प… लड़कियों!” मैं गाड़ी की अगली सीट से शायद करोड़वीं बार चिल्लाया। 

वह अपने परिवार के साथ अपने माँ बाप से मिलने जा रहा था। एअरपोर्ट से उसके माँ बाप के घर का सफर वैसे तो बहुत आसान होना चाहिए था लेकिन जिस तरह के हालात उसे दिखने लगे थे उससे उसे यह तो अंदाजा हो गया था कि कुछ तो गड़बड़ थी।
शायद शापितों का हमला होने वाला था। और उसे मालूम था कि अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए अपने परिवार को बचाना बहुत मुश्किल होगा।
आखिर कौन थे ये शापित?
कौन था यह व्यक्ति? वह अपने माँ बाप के पास क्यों जा रहा था? क्या वह शापितों से अपने परिवार को बचा पाया?
शापित एक डिसटोपियन कहानी है। मुझे इस तरह की कहानियाँ पढ़ने में मजा आता है तो इस कहानी को पढ़ना भी मेरे लिए काफी मनोरंजक था। कहानी प्रथम पुरुष में लिखी गयी है और एक परिवार के माध्यम से आपको ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ शापितों और इनसानों के बीच जीने को लेकर युद्ध चल रहा है। कहानी रोचक है और अंत तक मनोरंजन करती है। अगर आपको ऐसी कहानियाँ,जिसने दुनिया को तबाह होते हुए दिखाया जाता है, पसंद है तो यह भी पसंद आएगी। हाँ, इस कहानी को पढ़ते हुए कई बार लगता है कि जैसे आप अनुवाद पढ़ रहे हैं। पहले की कहानियों में यह चीज इतनी नहीं लगी थी।
उदाहरण के लिए:
दूसरी बार मैंने अपने परिवार को ढूँढ निकाला। उनका जो भी कुछ बचा हुआ था, उसे!!
इस वाक्य का वाक्य विन्यास इस तरह से है कि लगता है कि इसे शब्द दर शब्द अंग्रेजी से अनूदित किया है। इससे यह थोड़ा अटपटा लगता है। ऐसे कई वाक्य इसमें मौजूद हैं जिनसे अनुवाद होने का अहसास बढ़ता जाता है। अपनी इस कमी के बावजूद यह कहानी मुझे पसंद आई।

7) एक सितारे की चोरी (3/5)
पहला वाक्य:
सराय का दरवाजा खुला और मैंने अधमुंदी आँखों से उधर देखा। 

कबीर पैसों के लिए कुछ भी कर सकता था। बड़े बड़े काम करने का  माद्दा वह रखता था। सभी लोग यह जानते थे।

इसलिए जब ऐल्ब्रीट ग्रह के वजीर वीनिक ने उससे मिलने की इच्छा जगाई तो कबीर को लगा था कि वह जरूर कोई बड़ा काम उससे करवाना चाहता था।

वह काम बड़ा भी था। वीनिक एक सितारे को पाना चाहता था।
कबीर के लिए अच्छे पैसे कमाने का यह मौक़ा था। और उसने वीनिक का काम करने का मन बना लिया।


क्या कबीर सितारा चुरा पाया? उसने इस काम को कैसे अंजाम दिया?

सितारे की चोरी एक विज्ञान गल्प कथा है। यह एक मनोरंजक कहानी है।  लेखक ने एक रोचक संसार का निर्माण किया है। कबीर को लेकर लिखे वृहद कथानक को मैं पढ़ना चाहूँगा।

कहानी में घुमाव भी है तो रोचकता अंत तक बनी रहती है। हाँ, कई जगह पर कहानी ज्यादा तकनीकी हो जाती है जिससे कथ्य प्रभावित होता है। इसी के चलते कहानी के कुछ पहलुओं को लेकर मेरे मन में थोड़ा बहुत संशय है। अगर लेखक इसे थोड़ा कम तकनीकी रखते तो शायद कहानी के लिए बेहतर होता। साधारण पाठक आसानी से इससे जुड़ाव महसूस कर पाता।

इस कहानी संग्रह के विषय में अंत में यही कहूँगा कि रोचक कहानियों को लेखक ने इस कहानी संग्रह में संकलित किया है। कहानी अलग अलग परिवेश और अलग अलग कालखंड की हैं। रहस्यकथा, ऐतिहासक गल्प, सामयिक,विज्ञान गल्प, हॉरर हर तरह की कहानी लेखक ने इस संग्रह में पाठकों को देने की कोशिश की है। अपनी कोशिश में वह कामयाब होते हुए भी दिखते हैं। कुछ जगह ऐसा लगता है जैसे कहानी अनूदित हैं और अनुवाद पकड़ में आ जाता है। उधर वाक्य अप्राकृतिक लगते हैं। ऐसी जगहों पर सुधार करने की जरूरत है।  बाकि भाषा शैली आम बोल चाल की भाषा है। अगर आप भाषा शैली के लिए कहानी पढ़ते हैं और आम बोल चाल की भाषा से आपको परहेज है तो आपको हो सकता है इससे निराशा हो। मुझे आम भाषा पढ़ने में दिक्कत नहीं होती है।

संग्रह अपनी विविध विषय वस्तु के लिए एक बार पढ़ा जा सकता है।

रेटिंग: 3/5

अगर आपने इस कहानी संग्रह को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा?
अपने विचारों से मुझे अवगत जरूर करवाइयेगा।

अगर आपने इस संग्रह को नहीं पढ़ा है तो आप इसे  निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
किंडल

© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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