किताब परिचय
मुझसे दिल्लगी की बाते न कर, मुझसे इश्क की साजिशें न कर,
मैं काफिर इश्क की, मुझसे वफ़ा की उम्मीद न कर ।
कहते हैं मोहब्बत तय कर के नहीं होती, बस यूँ ही हो जाती है। प्यार की सच्चाई से बेरुख रिया और प्रेम-गुरु अजय जब मिले, तब क्या हुआ?
अश्क या इश्क!
आधुनिक रहन सहन सिर्फ हमारे जीवन को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि कभी कभी हमारे मन तक में ऐसा कुठाराघात कर जाता है जिसके घाव समय के साथ नहीं भरते। ऐसे ही घावों से घिरी रिया खुराना और प्यार को धर्म और ईमान की तरह पूजने वाला अजय चौहान की नई प्रेम कहानी।
अजय की ज़ुबान में समझें तो, “कहते हैं लोग, प्यार का पहला अक्षर अधूरा होता है। प्यार करके देखो, क्या पता! वह खुद अधूरा रहकर तुम को पूरा कर दे।”
तो क्या प्यार का पहला आधा अक्षर रिया और अजय को पूरा करेगा या…
पुस्तक लिंक: अमेज़न
पुस्तक अंश
चैप्टर : 1
बंद कमरे से रोने और चीखने चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। कमरे के बाहर हॉल में 11 साल की बच्ची जिसका नाम रिया खुराना था। वह अपने हाथ मे गुड़िया लिए खड़ी थीं। उसने गुड़िया को कसकर पकड़ा हुआ था। उसके चेहरे पर डर ने अपना घर बना रखा था। वह जानती थी कि उस बंद दरवाजे के अंदर क्या हो रहा होगा। वह कमरे की तरफ डरते डरते आगे बढ़ी। जैसे जैसे वह कमरे के पास आ रही थी वैसे वैसे उसे आवाजें तेज और साफ सुनाई दे रही थी। उसने बड़ी हिम्मत करके बंद कमरे का दरवाजा खोला तो उसने देखा कि उसके पिता सुनील हाथ में पट्टा लिये हुए हैं और उसकी माँ ममता फर्श पर गिरी हुई हैं। तभी सुनील ने ममता पर पट्टे से वार किया और यह देखकर उस मासूम सी बच्ची के मुँह से चीख निकल गई – “मम्मी” !
यह आवाज़ सुनकर सुनील रुक गया और उसने अपनी बेटी की तरफ देखा। ममता भी अपनी बच्ची को वहाँ पर देखकर उसके पास दौड़ी चली आई और मुस्कुराते हुए बोली- “बेटा आप अभी तक सोये नहीं? कल स्कूल है ना, जाओ आप सो जाओ।”
ममता के चेहरे पर घाव के निशान थे और आँखे भी सूजी हुई थी और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वो अपनी माँ के आँसू पोछते हुए बोली-
“पापा ने आपको मारा ना ? पापा बहुत गंदे है।”
सुनील ने चिल्लाते हुए रिया को बाहर जाने को कहा पर वह मासूम अपनी माँ को छोड़कर कही नही जाना चाहती थी और वह अपनी माँ से लिपट गई और ना में सिर हिला दिया। यह देखकर सुनील को बहुत गुस्सा आया और वह रिया की तरफ बढ़ा। ममता अपनी बेटी को बचाने के लिए बीच में आई तो सुनील ने उसे धक्का देकर फर्श पर गिरा दिया और रिया को कमरे से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया। वह मासूम अपनी माँ के पास जाने के लिए तड़पती रही, उछलती रही पर सुनील ने दरवाजा नहीं खोला और ममता को पीटता रहा और वह बच्ची मम्मी को मत मारो कहते हुए दरवाज़े पर ही रोती रही और उसी दरवाज़े पर ही ना जाने कब वो सो गई। ममता जब आधी रात को कमरे से बाहर आई और उसने अपनी बच्ची को उसी दरवाज़े पर सोते हुए देखा तो उसे उठाकर अपने कमरे मे ले गई।
सुनील और ममता ने लव मैरिज की थी। सुनील का अपना छोटा सा बिज़नस था। शादी के 5 साल सब ठीक चला पर बाद में बिज़नस में अधिक नुकसान होने की वजह से सुनील की कंपनी दिवालिया घोषित हो गई। तब से उसके अंदर कई बदलाव आने लगे जिनमे शराब पीना भी शामिल था। वह रोज रात को शराब पीकर आता और अपनी नाकामयाबी का सारा गुस्सा अपनी बीवी ममता पर उतारता। उसके साथ मार पीट करता और वहीं ममता अपनी बेटी और सुनील से अधिक प्यार के खातिर यह ज़ुल्म चुपचाप सहती रहती।
ममता ने अपनी बच्ची को बेड पर सुलाया और उसका सर चूमकर वह टेबल के पास गई और उसने ड्रॉवर (दराज) खोलकर उसमें से गन निकाली। तभी रिया जाग गई। उसने अपनी माँ के हाथ मे गन देखी पर वह कुछ कह पाती उससे पहले ही ममता ने अपने सर पर गन रखी और आई लव यू सुनील कहकर ट्रिगर दबा दिया और रिया ‘मम्मीsss ‘ चिल्लाते हुए जाग गई।
इस घटना को 10 साल हो चुके थे पर आज भी वह दुर्घटना सपना बनकर रिया को सोने नहीं देती थी । इसलिये वह हर रात सोने के लिए नींद की गोलियाँ लेती थी। उसने पास वाली टेबल पर से नींद की गोलियाँ उठाई और पानी पीने के लिए ग्लास उठाया तो ग्लास खाली था। वह पानी भरने के लिए जग उठाकर कमरे से बाहर गई।
रिया खुराना अपनी माँ के आत्महत्या करने के बाद अपनी नानी के यहाँ पली बढ़ी। माँ की मौत ने रिया के जीवन को पूरी तरह बदलकर रख दिया था। उसे जिन्दगी और मोहब्बत दोनों से नफरत सी हो गई थी। इसलिए उसका न तो कोई दोस्त था और न ही नानी के अलावा कोई अपना कहने वाला। बस अपने आप में खोई हुई सी रहती थी। हाल मे वह मुम्बई की एक यूनिवर्सिटी मे एम.बी.ए कर रही थी और वहाँ की कन्या छात्रवास ( गर्ल होस्टल ) में रह रही थी।
रिया पानी भरने हॉल मे पहुँची तो उसने देखा सीढ़ियों पर उसकी सहेली निधि थी (पूरी यूनिवर्सिटी में यही रिया की एकमात्र सहेली थी) और वह बार-बार किसी को फोन करने की कोशिश कर रही थी। रिया ने अपनी घड़ी में देखा तो रात के 1:30 बज रहे थे। वह निधि के पास गई। निधि फ़ोन लगाने की कोशिश में इतनी व्यस्त थी कि उसे रिया की मौजूदगी का ख्याल भी नहीं था। तभी रिया ने कहा –
“हाई निधि ! ( निधि ने रिया की तरफ देखा )। इतनी रात को तू यहाँ क्या कर रही है ? और किसे फ़ोन कर रहीं थी ?”
“तुम यहाँ कब आई ?” निधि ने सवालो के जवाब देने के बदले सामने से सवाल किया।
“बस पानी भरने आई थी तो तुझे देखा तो यहाँ चली आई , पर तूने मेरे सवालो का जवाब नहीं दिया ?”
“कुछ नही बस यूँ ही नींद नहीं आ रही थी तो बस बाहर टहलने चली आई।”
रिया ने उसे गौर से देखा तो निधि की आँखे सूजी हुई थी मानो वह घंटे भर रोई हो। रिया ने कहा –
“झूठ मत बोल, तेरी आँखे सबकुछ बयाँ कर रही है। ऐसा क्या हुआ है जिसके कारण तू रो रही थी ?”
निधि ने बात टालने की कोशिश की पर रिया के सामने एक न चली आखिर में निधि ने मुँह खोला –
“राज और मेरा ब्रेकअप हो गया है। पता नही क्यों पर पिछले 5 दिन से वो मेरे किसी भी कॉल का जवाब नहीं दे रहा। मैं उससे मिलने भी गई थी पर मिलना तो दूर उसने दरवाजा तक नहीं खोला। घण्टो तक मैं दरवाजे पर रोती रही पर उसने एकबार भी दरवाजा खोलकर नहीं देखा।” यह कहकर वह रो पड़ी।
रिया ने उसे रोते हुए देख चुप कराने के बदले कहा – “यह तो होना ही था। प्यार एक बीमारी है जिसे अक्सर लोग खुदा का घर मान लेते है ( निधि ने उसके तरफ घूरते हुए देखा)। इस तरह मत देख। सही कह रही हूँ। यह प्यार, मोहब्बत, जीने मरने की कसमें, सात जन्मों का साथ, यह सब फिल्मों और कहानियों मे ही अच्छा लगता है। असल जिंदगी मे यह बस एक कोरी कल्पना है जिसका हकीकत से कोई लेना देना नहीं। यह बस लोगों को बर्बाद करता है।”
“नहीं, रिया प्यार होता है। प्यार ही इंसान को इंसान बनाए रखता है। प्यार के बिना जिंदगी अधूरी है।”
रिया ने उसकी बात काटते हुए कहा – “ओ प्यार की कबूतर, हिंदी फिल्में ज्यादा देखना बन्द कर। तेरा प्यार भूख और प्यास नही मिटा सकता। प्यार के बिना भी जिंदगी है। अच्छा एक बात बता – तेरे और राज के बीच सेक्स हो चुका है ?”
यह सुनकर निधि झेपसी गई और नजरें चुराने लगी।
रिया ने उसके चेहरे को पढ़ लिया और आगे बोली– “अक्सर कुछ लोग जिस्म की भूख को प्यार का नाम दे देते है। भूख खत्म तो प्यार भी खत्म हो ही जाता है। राज की भी भूख मिट चुकी होगी इसीलिए उसका प्यार भी तेरे लिए खत्म हो चुका है। देख इन सारी झूठी चीजो में अपनी जिंदगी बर्बाद न कर और अपनी जिंदगी सँवार, कुछ बन जा। यह प्यार सिर्फ जान लेता है , जैसे मेरी मम्मी की जान” आगे के शब्द उसके हलक में ही रह गये। आगे वह कुछ न बोली और वहाँ से चली गई और निधी बस उसे जाते हुए देखती रही।
*****
पुस्तक लिंक: अमेज़न
लेखक परिचय
आर्यन सुवाड़ा हाल में सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के हिंदी भवन के विद्यार्थी है जो हिंदी में एम. ए. कर रहे है और उनका खुद का एक ब्लॉग भी है। बचपन से ही उनको कहानियाँ पढ़ने का बेहद शौक था जो कि राइटिंग करियर शुरू करने की पहली सीढ़ी रही। अपना बचपन उन्होंने किताब न्यूज पेपर के कटिंग्स वगेरह के बीच गुजारा।
आर्यन नवोदय के विद्यार्थी रह चुके है। छठी कक्षा में नवोदय की परीक्षा उतीर्ण कर वे जवाहर नवोदय विद्यालय जामनगर में दसवीं तक पढ़ाई की बाद में 11वी में वे जवाहर नवोदय विद्यालय पोरबंदर में आर्ट्स की पढ़ाई के लिए आये।
अपनी कलम से अब तक वे शोर्ट स्टोरीज़ व उपन्यास लिख चुके है। सामाजिक, रहस्यमय, क्राइम थ्रिलर कहानी लिखने में माहिर है। फिलहाल अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘ मृत्युंजय द प्रिंस ऑफ वैम्पायर’ पर काम कर रहे है।
नोट: ‘किताब परिचय’ एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:
contactekbookjournal@gmail.com
Post Views: 9
कोई इतनी हैवानियत कैसे….? बच्ची क्या कोई भी सहमत जाए। बहुत बढ़िया उपन्यास है। आप दोनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जी अंश आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा।
धन्यवाद मैडम आशा करता हूं आपको किताब भी पसंद आए।
धन्यवाद सर