संस्करण विवरण
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: नागराज
टीम
कथा: जॉली सिन्हा | चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विट्ठल कांबले | सुलेख व रंग: सुनील पाण्डेय | संपादक: मनीष गुप्ता
कहानी
रवि मेनन एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे जिन्होंने अपने संगीत के बल पर कई असंभव कार्य संभव कर दिखाए थे। लेकिन पिछले दो माह से रवि गायब चल रहे थे। वो किधर गए थे किसी को इसका कुछ पता नहीं चला था।
और फिर एक दिन महानगर में सपेरा का आगमन हुआ।
सपेरा के पास संगीत की ऐसी ताकत थी जिसके चलते उसने नागराज को भी एक तगड़ी चुनौती दे दी थी।
क्या रवि मेनन का गायब होना और सपेरा के आने के बीच कोई संबध था?
संगीतज्ञ रवि मेनन क्यों गायब हुए थे?
आखिर कौन था ये सपेरा? उसका महानगर में आने का मकसद क्या था?
मेरे विचार
कहते हैं संगीत में बहुत शक्ति होती है। यह मन में उत्साह पैदा कर सकता है, व्यक्ति के आँखों में आँसू ला सकता है, उद्विग्न मनुष्य को शांति और सुकून भी प्रदान कर सकता है। यही नहीं हमारे लोककथाओं में संगीत से दिया जलाने और बारिश लाने की बातें भी कही गई हैं। संगीत की इसी शक्ति को केंद्र बनाकर प्रस्तुत कॉमिक बुक की रचना हुई है।
कॉमिक बुक की शुरुआत होती है एक युवती नीलोफर के इंटरव्यू से। नीलोफर प्रसिद्ध संगीतज्ञ रवि मेनन की बेटी है और राज और निशा उससे उसके पिता के गायब होने के चलते उसका इंटरव्यू लेने आते हैं। संगीतज्ञ को गायब हुए एक माह से ऊपर हो चुका है और वो अब तक नहीं मिले हैं।
वहीं अपने सर्पों से खतरे की खबर पाकर नागराज जब एक जगह पहुँचता है तो वहाँ उससे सपेरा टकराता है। कॉमिक्स के केंद्र में यही खलनायक सपेरा है जो कि संगीत की शक्तियों का प्रयोग कर कत्ल करने की ठाने हुआ है। वह यह काम क्यों कर रहा है? रवि किधर गायब हुआ? ये सब ऐसे प्रश्न हैं जिसका उत्तर कहानी में मिलता है।
कहानी एक्शन से भरपूर है। सपेरा एक ताकतवर खलनायक है जिसके कारण नागराज और उसकी भिड़ंत रोमांचक हो जाती है। इसके अतिरिक्त जद्दुशाह, पस्सु और मूस नामक किरदार भी कहानी में रोमांच बढ़ाते हैं। मूस विशेषतौर पर किरदारों को नाको चने चबा देता है।
कथानक की कमी की बात करूँ तो एक्शन तो इसमें भरपूर है लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें पढ़ते हुये आप खुद को ये सोचने से नहीं रोक पाते कि इन किरदारों ने ऐसा किया तो क्यों किया। वो भी तब जब दूसरे आसान विकल्प मौजूद थे। ऐसे मामलों की बात करूँ तो सपेरा और नागराज की पहली भिड़ंत इसका सबसे पहला उदाहरण है। यहाँ इतना ही कहूँगा कि जो काम एक फोन कॉल से हो जाता उसके लिए इतना लंबा कार्य किया गया। इससे दो नुकसान हुए। एक तो नागराज की मामले में दखलंदाजी बढ़ गई और दूसरा ये कि जिसे परेशान करने के लिए यह कार्य किया गया था वो सतर्क हो गया। अगर इतना सब न करके मुख्य लक्ष्य पर हमला किया जाता तो बेहतर न होता।
कहानी में एक जगह सपेरा को अपनी पहचान उजागर करनी पड़ती है। मुझे लगता है इसकी भी इतनी जरूरत नहीं थी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इससे कुछ फ्रेम पहले उसकी पहचान उजागर करने के चक्कर में एक किरदार को अपने होश गँवाने पड़ते हैं। वहाँ नागराज व्यस्त था, सपेरा का दूसरा प्रतिद्वंदी बेहोश था और उसका शिकार सपेरे के रहमोकरम में था। वह अपनी बात उगलवाने के लिए अपने शिकार को अपने साथ किसी अन्य जगह भी ले जा सकता था।
वहीं कॉमिक बुक में जो संगीतज्ञ के गायब होने के पीछे की वजह बताई गई है वह पढ़ते हुए मुझे थोड़ा कमजोर लगी थी लेकिन फिर आए दिन सौ पाँच सौ रुपये के लिए हत्या की बात सुनने में आती है तो वह इतना कमजोर भी नहीं लगता।
कॉमिक के आर्टवर्क की बात करूँ तो सपेरा का आर्ट अनुपम सिन्हा द्वारा बनाया गया है। यह टिपिकल अनुपम सिन्हा आर्टवर्क हैं। हाँ, सपेरा को जिस तरह दर्शाया गया है वह मुझे थोड़ा अजीब लगा। रवि के जितने चित्र हैं उसमें वह एक अधेड़ दिखता है जिसका वजन सामान्य से थोड़ा ज्यादा है। ऐसे में दो माह बाद उसका बॉडी बिल्डर बन जाना थोड़ा खटकता है। अगर अनुपम जी उसे सामान्य ही दिखाते तो सही रहता। यह दो माह में आए उसके अंदर इन अप्राकृतिक परिवर्तन का कारण भी देते तो बेहतर होता।
अंत में यही कहूँगा कि ‘सपेरा’ एक रोमांचक कहानी है जिसमें एक्शन और रोमांच पर तो काम हुआ है लेकिन कहानी के कुछ पक्षों को थोड़ा और मजबूत बनाते तो बेहतर होता। इससे कहानी और अच्छी हो जाती। अगर आपको एक्शन कॉमिक्स पसंद आते हैं तो सपेरा आपको पसंद आएँगे। कॉमिक बुक एक बार पढ़ी जा सकती है।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-04-2023) को "आम हो गये खास" (चर्चा अंक 4660) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
बरसों बाद कॉमिक्स की याद दिलाती अच्छी पोस्ट।
जी आभार मैम…
पुस्तक के बारे में सार्थक जानकारी।
सुंदर पोस्ट।
कॉमिक बुक पर लिखा ये लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। हार्दिक आभार।