लालच का फल दर्शाती पठनीय चित्रकथा है हॉरर संगीत | प्रिंस कॉमिक्स | टीकाराम सिप्पी

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पैपरबैक | पृष्ठ संख्या: 14 | प्रकाशक: प्रिंस कॉमिक्स | लेखक: टीकाराम सिप्पी | चित्रांकन एवं इंकिंग: जय खोहवाल | सुलेख एवं रंग: एन बाबू | इफेक्टस: मोईन खान | संपादक: मोहित मिश्रा

समीक्षा: हॉरर संगीत | प्रिंस कॉमिक्स | टीकाराम सिप्पी

कहानी 

डेनियल पाल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक जाना माना नाम था। हॉरर फिल्मों का संगीत देने में उसका कोई सानी नहीं था। 

लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जो वह कब्रिस्तान में संगीत बजाने के लिए विवश हो गया। 

क्या डेनियल पाल का ऐसा करने के पीछे कोई मकसद था? 

आखिर क्यों बजा रहा था वह कब्रिस्तान में अपना हॉरर संगीत?

विचार

हॉरर फिल्मों का नाम आए तो बरबस ही मेरे मन मस्तिष्क में रामसे बंधुओं का नाम उभर कर आ जाता है। बचपन में उनकी बनाई हॉरर फिल्म काफी डर डर कर हम लोग देखा करते थे। वह फिल्मे कम बजट की जरूर रहती थी लेकिन जहन में ऐसी छाप छोड़ती थी कि एक फिल्म देखने के बाद दूसरी फिल्म देखने के लिये एक हफ्ते का ब्रेक तो लेना पड़ता ही था। आज इस पोस्ट में हॉरर फिल्मों की बात इसलिए क्योंकि प्रिंस कॉमिक की डार्क फिक्शन शृंखला का प्रस्तुत कॉमिक हॉरर संगीत का मुख्य पात्र डेनियल पाल ऐसी ही हॉरर फिल्मों में संगीत देता है। वह एक ऐसा संगीतकार है जिसके संगीत के बिना हिंदी हॉरर फिल्म पूरी नहीं मानी जाती है। 
हॉरर संगीत की कहानी  टीकाराम सिप्पी ने लिखी है जिनके खाते में प्रेत अंकल सीरीज और कई हॉरर थीम पर आधारित कॉमिक बुक्स आती हैं। कॉमिक बुक की शुरुआत डेनियल की वर्तमान परिस्थिति से होती है जहाँ वह कब्रिस्तान में संगीत बजाने को विवश है। इसके बाद कहानी फ्लेशबैक में जाती है और पाठक को 14 पृष्ठों के कथानक में यह पता चलता है कि मशहूर संगीतकार डेनियल की वर्तमान हालत क्योंकर हुई? 
कहते हैं फिल्म लाइन में कोई किसी का नहीं होता है। यह जरूरत के हिसाब से रिश्ते बनते हैं, वादे किए जाते हैं और फिर जरूरत न रहने पर वह रिश्ते और वादे ऐसे भुला दिये जाते हैं  जैसे अब कभी रिश्ते कभी बने या वादे कभी किए ही न गए हों। ऐसा आम जीवन में भी काफी होता है लेकिन फिल्म लाइन इसके लिए ज्यादा बदनाम है और इसी प्रवृत्ति को इस कॉमिक्स में दर्शाने की कोशिश की गयी है। कहानी साधारण है फिर भी पठनीय है। 
हाँ, कॉमिक बुक में डेनियल को किसी कार्य के लिए संगीत रिकार्ड करना होता है। वह यह कार्य सोनापुर के जंगलों में मौजूद एक कब्रिस्तान में करता है। यह कार्य वह वहाँ ही क्यों करता है इसका कोई पुख्ता कारण कॉमिक में नहीं दिया गया है। अगर कोई पुख्ता कारण दिया होता तो शायद बेहतर होता। वहीं चूँकि डेनियल एक संगीतकार है तो एक बार संगीत बनाने के बाद उसे इतनी जानकारी तो होगी कि वह उसे दोबारा स्टूडियो में बना सके। ऐसे में उसके वापिस उसी कब्रिस्तान में वापिस लौटकर संगीत बजाने के पीछे कोई कारण दिया जाता तो बेहतर होता। ऐसा दर्शाया जा सकता था कि उसने कोशिश की और जब वह विफल हुआ तो कब्रिस्तान में गया। 
कॉमिक बुक में एक ट्विस्ट भी है लेकिन उसका हल्का हल्का अंदाजा हो ही जाता है लेकिन फिर भी आप कॉमिक अपनी पठनीयता नहीं खोती है। शायद इसमें कॉमिक बुक के कलेवर का छोटा होना भी एक कारण है। 
कॉमिक बुक का आर्ट वर्क जय खोहवाल का है जो कि मुझे पसंद आया। चित्रांकन, रंग और इफेक्टस मिलाकर एक अच्छा माहौल बना रहे हैं। किरदारों एक चेहरों पर उभरने वाले भाव फिर वह हैरत हो या डर या गुस्सा सभी अच्छे से दर्शाये गए हैं। हाँ, कुछ पैनल्स में कंकाल भी हैं। इन कंकालों में बाल भी मौजूद हैं लेकिन मुझे लगता है अगर इन कंकालों में हड्डी के साथ आधा सड़े हुए माँस वाले कंकाल भी होते तो उनसे भय ज्यादा लगता। गुणवत्ता के मामले में कॉमिक बुक किसी से भी कम नहीं है। लेकिन चूँकि कलेवर छोटा है तो उसका रेट 90 रुपये काफी ज्यादा प्रतीत होता है। मुझे फेनिल कॉमिक्स से यह सेट लेने पर 5 कॉमिक्स का सेट 399 यानि प्रति कॉमिक 80 रुपये के करीब पढ़ा है जो कि सामग्री के हिसाब से मुझे तो ज्यादा प्रतीत होता है। मूल्य थोड़ा और कम हो सकता था।
अंत में यही कहूँगा कि 14 पृष्ठों की यह कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है। कहानी छोटी है पर संतुष्ट करती है। 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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