कैंसर | राज कॉमिक्स | हनीफ अजहर

संस्करण विवरण

फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 60 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: परमाणु, स्टील

टीम

लेखक: हनीफ अजहर | चित्रांकन: धीरज वर्मा | स्याहीकार: रिची तंवर | कैलीग्राफी: टी आर आजाद | संपादक: मनीष गुप्ता

पुस्तक लिंक: अमेज़न 

कहानी 

वह खुद को कैंसर कहता था। दिल्ली में आजकल वह लूट की वारदातों को अंजाम दे रहा था।

दिल्ली की आँख परमाणु भी उसे रोकने में विफल हो गया था। और अब जब इंस्पेक्टर स्टील दिल्ली में पहुँच गया था तो क्या परमाणु और स्टील कैंसर को पकड़ पाए??

आखिर कौन था है कैंसर? कहाँ से आया था और क्यों लूट रहा था?

मेरे विचार

‘कैंसर’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित का टू इन वन विशेषांक है। कॉमिक्स के केंद्र में परमाणु और इन्स्पेक्टर स्टील  हैं जो कि दिल्ली में कैंसर नाम के खलनायक से जूझते दिखते हैं। 

कैंसर एक सीधी सादी एक्शन स्टोरी है। कहानी की शुरुआत महानगर से होती है जहां अनीस को एक सपना आता है जिससे वह घबरा जाता है। और फिर वह दिल्ली जाने का फैसला कर लेता है। वहीं इंस्पेक्टर स्टील और सलमा एक मिशन से लौटकर अनीस को जाते देखते हैं तो हैरत में पड़ जाते हैं। अनीस किस चिंता में है जो उसे बुरा सपना आया है? यह बात पाठक को जल्द ही पता चल जाती है। वही अनीस क्यों दिल्ली जाना चाहता है यह जानने के लिए भी पाठक कॉमिक्स के पृष्ठ पलटने लगता है। 

वहीं दूसरी और दिल्ली में कैंसर नाम का व्यक्ति द्वारा लूट पाट करने  का सिलसिला शुरू कर चुका है। वह अपराधिक गतिविधि करने वालों को लूट रहा है और इस दौरान परमाणु से दो चार भी होता है और उस पर भारी भी पड़ता दिखता है।

कहानी तेज रफ्तार है। कैंसर कौन होगा या उसके साथ किसका जुड़ाव होगा इसका अंदाजा आपको पहले ही हो जाता है (कहानी पढ़ते हुए नाम से अंदाजा लगाना आसान है) लेकिन वो ऐसा क्यों कर रहा है यह जानने के लिए आप कॉमिक्स के पृष्ठ पलटते जाते हो। कहानी में एक्शन भरपूर है। परमाणु और स्टील को कैंसर अच्छी टक्कर देता है। हां, क्यों का जवाब आपको जिस तरह से दर्शाया गया है वह थोड़ा कमजोर लगा। अपराध कथाओं में स्वीकृति (कंफेश्न) के माध्यम से जब राज खुलता है तो मुझे उतना मजा नहीं आता है। इधर भी ऐसा ही कुछ होता है। बेहतर होता अगर स्टील और परमाणु मिलकर क्यों का पता लगाते। 

इसके अतिरिक्त कैंसर के पास जो उपकरण (हथियार, बाइक, सूट) दिखाए गए उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वो कई वर्षों की मेहनत का फल हों। ऐसे में जितनी समय सीमा में वह कॉमिक्स में बनाए गए दिखाए गए हैं वह विश्वास के काबिल नहीं लगता है। वह उपकरण इतनी जल्दी उस व्यक्ति ने कैसे बनाए इसका कोई मजबूत कारण लेखक को दर्शाना चाहिए था। अभी तो बस ऐसा लगता है जैसे लेखक ने अपनी सहूलियत के लिए यह काम कर दिया था। 

फिर भी कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है। 

कहानी का आर्ट वर्क धीरज वर्मा का है और ठीक ठाक है। 

अंत में यही कहूंगा कि कहानी एक बार पढ़ी जा सकती है। एक्शन से भरपूर है तो बोर नहीं होने देती है। कैंसर परमाणु और स्टील के लिए मजबूत प्रतिद्वंदी साबित होता है जो कि कहानी को रोमांचक बना देता है। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न 


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *