‘छूने दो आकाश’ में लेखिका सुधा आदेश की चार लम्बी कहानियाँ संकलित हैं। संग्रह साहित्य विमर्श प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। एक बुक जर्नल पर पढ़ें लेखक संजीव जायसवाल ‘संजय’ की पुस्तक पर लिखी टिप्पणी।

सुधा आदेश हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिका हैं, जिन्होंने 80 और 90 के दशक में अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से पाठकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया। उनके लेखन में समाज की गहरी समझ, संवेदनशीलता और यथार्थ का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान बहुमूल्य है, और अब तक उनके 14 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 2 यात्रा-वृत्तांत, 1 बाल उपन्यास, 1 बाल कहानी संग्रह तथा 2 जीवनवृत्त प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी कहानियाँ समाज की सच्चाइयों को उजागर करने के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं को गहराई से व्यक्त करती हैं।

‘छूने दो आकाश’ सुधा आदेश जी का नवीनतम कहानी संग्रह है, जिसमें चार लंबी कहानियाँ शामिल हैं— छूने दो आकाश, जिजीविषा, नई लकीरों के दायरे और दिल के रिश्ते। यह कहानियाँ अपने विस्तार और गहराई के कारण लघु उपन्यासों जैसी प्रतीत होती हैं, जो पाठकों को एक विस्तृत कथानक का अनुभव कराती हैं। लेखिका का यह प्रयोग सराहनीय है क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में उपन्यास पढ़ने का समय कम होता जा रहा है, वहीं कहानियाँ कभी-कभी अपनी शब्दसीमा के कारण अधूरी सी लगती हैं। इन परिस्थितियों में सुधा आदेश जी की यह रचनाएँ साहित्य के नए प्रारूप को जन्म देती हैं, जहाँ कहानियों का संक्षिप्त स्वरूप बनाए रखते हुए उपन्यास जैसी गहराई भी मिलती है। इससे पाठकों को एक संतुलित और संतोषजनक अनुभव प्राप्त होता है।
सुधा आदेश जी की भाषा शैली सहज, प्रवाहमयी और संवादात्मक है, जिससे पाठक सीधे कहानी से जुड़ जाते हैं। उनकी कहानियाँ केवल कहानियाँ नहीं बल्कि जीवन के कटु और मधुर अनुभवों की जीवंत अभिव्यक्ति हैं। इस संग्रह की विशेषता यह है कि इसमें नारी मनोविज्ञान, संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन की स्पष्ट झलक मिलती है। लेखिका ने अपने पात्रों को इतनी कुशलता से गढ़ा है कि वे यथार्थ के बेहद करीब लगते हैं।
इसके अतिरिक्त यह कहानी संग्रह नारी सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण पक्ष को भी उजागर करता है। इसमें शामिल सभी नायिकाएँ अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की कठिनाइयों से जूझती हैं, लेकिन वे परिस्थितियों से हार नहीं मानतीं। चाहे विपरीत परिस्थितियों में आई.ए.एस बनने की कहानी हो या जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता की ऊँचाइयों को छूने की यात्रा, इन पात्रों में साहस, आत्मनिर्भरता और दृढ़ निश्चय की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है।
वर्तमान समय में नारी विमर्श और शशी सशक्तिकरण का साहित्य में महत्त्व बढ़ा है और सुधा आदेश जी का यह संग्रह इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह केवल कहानियों का संकलन नहीं, बल्कि समाज में नारी की बदलती स्थिति और उसकी अनवरत संघर्षशीलता की प्रेरणादायक प्रस्तुति है। लेखिका की नायिकाएँ शक्ति का प्रतीक बनकर उभरती हैं, जो किसी भी अन्याय और अत्याचार का डटकर सामना करती हैं।
इस संग्रह में न केवल स्त्री जीवन की विविध परिस्थितियों को दर्शाया गया है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी गहराई से उकेरा गया है। कहानी ‘छूने दो आकाश’ एक ऐसी युवती की संघर्ष गाथा है जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए अथक प्रयास करती है। सामाजिक रूढ़ियों और परिवारिक बाधाओं के बावजूद वह आईएएस बनने का सपना साकार करती है। यह कहानी आत्मनिर्भरता और संकल्पशक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है।
कहानी ‘जिजीविषा’ में जीवन के कठिन दौर से गुजर रही एक स्त्री के अटूट साहस और जीवटता को दर्शाया गया है। आर्थिक, मानसिक और सामाजिक संघर्षों के बावजूद वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती है और स्वयं को साबित करती है। यह कहानी पाठकों को संघर्ष और हिम्मत की नई परिभाषा से परिचित कराती है।
कहानी ‘नई लकीरों के दायरे‘ परिवार और समाज में महिलाओं की बदलती स्थिति को दर्शाती है। आधुनिक समय में महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके आत्मसम्मान को केंद्र में रखकर बुनी गई इस कहानी में पुराने सामाजिक ढाँचों और नई सोच के टकराव को दर्शाया गया है। यह कहानी पाठकों को गहरी सोच और आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करती है।
कहानी ‘दिल के रिश्ते’ मानवीय संवेदनाओं और आपसी संबंधों की गहराई को दर्शाने वाली यह कहानी रिश्तों के बदलते रूपों को उजागर करती है। परिवार, प्रेम और समर्पण की यह कथा पाठकों को भावनात्मक रूप से झकझोरने के साथ-साथ उन्हें अपने व्यक्तिगत संबंधों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ‘छूने दो आकाश’ कहानी संग्रह एक प्रभावशाली कृति है, जो साहित्य में नवीन प्रयोगों के साथ-साथ पाठकों को सामाजिक यथार्थ और स्त्री संघर्ष से परिचित कराती है। इसकी कहानियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि प्रेरणा और विचारधारा को सशक्त बनाने वाली रचनाएँ हैं। सहज भाषा, प्रवाहमयी शैली और सशक्त नारी पात्रों के कारण यह संग्रह साहित्य प्रेमियों के लिए पठनीय और संग्रहणीय बन जाता है। सुधा आदेश जी की यह कृति निश्चित रूप से हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगी।
पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श
टिप्पणीकार परिचय

लेखक संजीव जायसवाल ‘संजय’ बाल साहित्य के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। बाल साहित्य के इतर वो प्रौढ़ साहित्य और व्यंग्य भी लिखते हैं।
उनके अब तक 16 कहानी संग्रह, 13 उपन्यास, 2 व्यंग्य संग्रह और 29 चित्र कथाएँ और प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में 1150 से अधिक कहानियाँ एवं व्यंग्य प्रकाशित हो चुके हैं।
लेखन के लिए असंख्य पुरस्कारों जैसे भारतेन्दु हरिशचन्द्र पुरस्कार (वर्ष 2005 एवं 2010), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सूर – पुरस्कार (वर्ष 2005). पं. सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार (वर्ष 2010) तथा अमृत लाल नागर कथा सम्मान-2013, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का दो लाख रूपये का ‘बाल साहित्य – भारती पुरस्कार-2018 इत्यादि से सम्मानित किया गया है।
उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।