राजकमल के सहयात्रा उत्सव में 28 को होगा ‘भविष्य के स्वर’ कार्यक्रम का आयोजन

राजकमल के सहयात्रा उत्सव में 28 को होगा ‘भविष्य के स्वर’ कार्यक्रम का आयोजन
  • प्रकाशन की दुनिया में राजकमल ने पूरे किए 80 वर्ष
  • राजकमल स्थापना दिवस पर मनाया जाता है सहयात्रा-उत्सव
  • 2019 में हुई थी विचार-पर्व ‘भविष्य के स्वर’ की शुरुआत
  • चार कड़ियों में 25 युवा प्रतिभाएँ दे चुकीं हैं व्याख्यान

26 फरवरी, 2025 (बुधवार)

नई दिल्ली। राजकमल प्रकाशन के 80वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को ‘भविष्य के स्वर’ विचार-पर्व का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में कला और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाली तीन युवा प्रतिभाओं के व्याख्यान होंगे। यह जानकारी राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने बुधवार को दी।

उन्होंने बताया, विचार और पुनर्विचार की निरंतरता से ही समाज आगे बढ़ता है। ऐसा सोचते हुए राजकमल प्रकाशन ने 2019 में अपने स्थापना दिवस के अवसर पर ‘भविष्य के स्वर’ नाम से एक विचार-पर्व के आयोजन का सिलसिला शुरू किया था। इसमें ज्ञान-विज्ञान, विचार, लोकाचार, लेखन, पुस्तकों के परिकल्पन-प्रकाशन से लेकर प्रसार तक, हर पहलू पर चर्चा होती है। अब तक चार विचार-पर्वों में 25 भविष्य के स्वरों के व्याख्यान हो चुके हैं।

28 फरवरी 2025 की शाम इस शृंखला का पाँचवाँ अध्याय प्रस्तुत होगा जिसमें तीन अनूठी युवा प्रतिभाएँ अपने व्याख्यान देंगीं। यह तीन युवा है―रंगकर्मी और कहानीकार फहीम अहमद, ज़ीन मेकिंग और फ़ाइबर आर्ट की आर्टिस्ट कोशी ब्रह्मात्मज और लेखक-सम्पादक तसनीफ़ हैदर।

प्रकाशन की दुनिया में राजकमल ने पूरे किए 80 वर्ष

अभी तक राजकमल प्रकाशन का स्थापना-वर्ष 1947 माना जाता रहा है। लेकिन हाल में हमें राजकमल से प्रकाशित कुछ ऐसी दुर्लभ किताबें मिली हैं जिनका प्रकाशन इससे भी पहले हुआ था। ऐसी ही एक किताब पर प्रकाशन वर्ष 1944 अंकित है। इस तथ्य से यह स्पष्ट हो गया है कि राजकमल 1947 के कई वर्ष पहले से ही प्रकाशन की दुनिया में सक्रिय था। लेखक-पाठक समाज के साथ हमारी सहयात्रा के अब 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इन आठ दशकों से राजकमल हिंदी साहित्य को अखिल भारतीय स्तर पर और भारतीय साहित्य को हिंदी प्रदेशों के सुदूर गाँव-कस्बों तक फैलाने-पहुँचाने की भूमिका तत्परता से निभा रहा है। इसका अपना एक संघर्ष है, इसकी अपनी एक कहानी है, अपना एक इतिहास है जो एक तरह से हिंदी के लोकवृत्त का इतिहास है। यह हिंदी पाठक-लेखक समाज की, हम सबकी सहयात्रा का गौरवशाली क्षण है।

‘भविष्य के स्वर’ विचार-पर्व में 25 प्रतिभाएँ दे चुकीं हैं व्याख्यान

राजकमल स्थापना दिवस पर आयोजित हो रहे ‘भविष्य के स्वर’ विचार पर्व में अब तक 25 युवा प्रतिभाएँ अपने व्याख्यान दे चुकी हैं। जिन्हें बाद में अन्य मंचों ने भी विशिष्ट प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया। ‘भविष्य के स्वर’ के वक्ताओं के तौर पर 40 वर्ष तक की उम्र की विभिन्न पृष्ठभूमियों से आनेवाली उन प्रतिभाओं को चुना जाता है जिन्होंने साहित्य समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपने नवाचारों से सबका ध्यान खींचा है।

वर्ष 2019 में ‘भविष्य के स्वर’ विचार पर्व का पहला आयोजन हुआ जिसमें घुमंतू लेखक-पत्रकार अनिल यादव; कवि-शोधकर्ता अनुज लुगुन; कवि-कथाकार गौरव सोलंकी; कलाकार डिजाइनर अनिल आहूजा; मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार; आरजे सायमा और पत्रकार अंकिता आनंद ने वक्तव्य दिया। वर्ष 2020 में इसके दूसरे अध्याय के वक्ताओं में कवि सुधांशु फिरदौस; कवि जंसिता केरकेट्टा; किस्सागो हिमांशु वाजपेयी; सिने आलोचक मिहिर पांड्या; कथाकार चंदन पांडेय; वंचित बच्चों में कलात्मक कौशल के विकास के लिए सक्रिय जिज्ञासा लाबरु और कवि-आलोचक मृत्युंजय शामिल थे। वर्ष 2021 में कोरोना महामारी के चलते यह आयोजन करना सम्भव नहीं हो सका।

2022 में ‘भविष्य के स्वर’ कार्यक्रम के तीसरे अध्याय में यायावर लेखक अनुराधा बेनीवाल; अनुवादक-यायावर लेखक अभिषेक श्रीवास्तव; लोकनाट्य अध्येता एवं रंग आलोचक अमितेश कुमार; अध्येता-आलोचक चारु सिंह; लोक साहित्य अध्येता एवं कथाकार जोराम यालाम नाबाम; गीतकार-लेखक नीलोत्पल मृणाल; चित्रकार एवं फैशन डिजाइनर मालविका राज ने अपना वक्तव्य दिया। चौथे अध्याय में इसका आयोजन बीते वर्ष हुआ जिसमें इतिहास अध्येता ईशान शर्मा, कथाकार कैफ़ी हाशमी, आदिवासी कवि पार्वती तिर्की, और कवि-अध्येता विहाग वैभव को सुना गया।

‘भविष्य के स्वर’ 2025 में व्याख्यान देंगी ये प्रतिभाएँ

  • फहीम अहमद: इकतीस वर्षीय फहीम अहमद रंगकर्मी और कहानीकार हैं। पिछले 13 वर्षों से रंगमंच की दुनिया में बतौर लेखक, अभिनेता व निर्देशक सक्रिय हैं। फ़िलहाल ‘लोबान’ नाम का थिएटर प्लेटफ़ॉर्म चला रहे हैं, जिसके अंतर्गत कहानी कहने की कला, शिक्षा में रंगमंच के महत्व और कैपेसिटी बिल्डिंग की कार्यशालाएँ की जाती हैं। पहली कहानी ‘गंध तलाशते दरवेश का बयान’ ‘हंस’ में प्रकाशित होने के बाद चर्चा में रही।
  • कोशी ब्रह्मात्मज: ज़ीन मेकिंग और फ़ाइबर आर्ट की आर्टिस्ट कोशी ब्रह्मात्मज बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। अपने अस्थिर स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने एंब्रॉयडरी, बुक मेकिंग, टेक्सटाइल्स और ड्राइंग में अपनी पहचान बनाई है। उनके ये सभी काम उनकी क्रॉनिक स्वास्थ्य समस्याओं से रू-ब-रू होते हुए आगे बढ़ते हैं। कोशी के काम मुम्बई अर्बन आर्ट फ़ेस्टिवल (मुम्बई), क्वियर सर्कल (लंदन) और ब्लैंक गैलरी (टोक्यो) में प्रदर्शित हो चुके हैं।
  • तसनीफ़ हैदर: उनतालीस वर्षीय तसनीफ़ हैदर पहले ‘अदबी दुनिया’ नाम से उर्दू अदब का ब्लॉग चलाते रहे, 2016 में इसी नाम से उर्दू का पहला ऑडियो-बुक चैनल यू-ट्यूब पर शुरू किया। ‘नए तमाशों का शहर’ (शायरी), ‘नया नगर’ (उपन्यास) उर्दू में छप चुके हैं। ‘नया नगर’ हाल ही में राजकमल से हिन्दी में भी प्रकाशित हुआ है। अपनी पत्रिका ‘और’ के ज़रिये वे समकालीन हिन्दी साहित्य को उर्दू पाठकों तक पहुँचा रहे हैं।


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