उपन्यास ३ अक्टूबर २०१५ से ८ अक्टूबर के बीच पढ़ा गया
संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन
पृष्ठ संख्या : १६०
बनारसी बाई में बिमल मित्र की तीन लम्बी कहानियों को संकलित किया गया है। ये तीनों कहानियाँ निम्न हैं :
१) बनारसी बाई ४/५
पहला वाक्य :
संध्या उतर रही थी, मैं विडन स्क्वायर की बगल से जा रहा था।
२) नायक – नायिका ३/५
पहला वाक्य :
चौड़ी सड़क थी, जिसके एक ओर टीन की छत का एक कच्चा मकान था।
डॉक्टर तिनकड़ीभंज कभी होमियोपैथी के डॉक्टर हुआ करते थे और देवघर में रहते थे । लेकिन उससे भी पहले वो एक दुकान में बैठकर हिसाब किताब देखते थे और भवानीपुर में रहते थे । फिर एक गद्दी में बैठने वाला आदमी कैसे होमियोपैथी का डॉक्टर बन गया?
उनके अनुसार उन्होंने अपने जीवन में केवल एक ही मरीज को ठीक किया और उनके अनुसार फिर उन्हें किसी और को ठीक करने की ज़रुरत ही नहीं पड़ी और उन्होंने कोशिश की भी तो वो सफल नहीं हुए।
क्या ऐसा संभव है कि एक मरीज को ठीक करने से आदमी के ऐसे ठाट बाट आ जायें जैसे तिनकड़ीभंज जी के थे ?और अगर है तो ऐसा कैसे हुआ? क्या थी तिनकड़ीभंज की कहानी ?
उत्सुक हैं आप जानने के लिए। तो आपको जाना पड़ेगा उस जगह जहाँ कुछ लोग मिलकर गप्पे बजी कर रहे थे। इनमे निर्मल लाहिड़ी, समीर डे, चित्त सरकार और इस कहानी को बयान करने वाले भी मौजूद थे। जब निर्मल लाहिड़ी, समीर डे और चित्त सरकार के बीच बहस बढ़नी शुरू हो गयी तो इस कहानी को सुनाया गया क्योंकि वाचक के अनुसार ‘कहानी बहस की मृत्यु होती है ‘।आप भी उन्ही की जबानी सुनियेगा।
कहानी भाग्य और उसकी महिमा के ऊपर है। और कैसे भाग्य ने तिनकड़ीभंज को डॉक्टर तिनकड़ीभंज और फिर गरीबी से अमीरी की चौखट तक पहुँचाया।
कहानी काफी रोचक है। तिनकड़ीभंज जी की कहानी के मेरे भीतर उत्त्सुकता को बनाये रखा और कहानी पढने में मज़ा भी आया।
३)एक और तरह ३/५
पहला वाक्य :
कुछ वर्ष सरकारी नौकरी की थी मैंने।
‘एक और तरह’ कहानी में बयान करने वाले सज्जन एक सरकारी मुलाजिम थे। उन्हें रिश्वतखोरी में लिप्त लोगों को पकड़ने के लिए रखा गया था। अपने उसी वक़्त के दौरान हुए अनुभवों में से एक अनुभव को वो पाठक से साझा करते हैं। वो जो कहानी बयान करते हैं वो है समर विश्वास की जो की ऐसे घराने से ताल्लुक रखता था जो कभी बहुत अमीर हुआ करता था लेकिन अब उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।
समर ने भी रिश्वत ली थी। क्यों ली थी उसने रिश्वत? इस बात को तो इस कहानी को वर्णन करने वाले ही सही तरीके से बता पायेंगे।
कहानी मुझे अच्छी लगी। कहानी पठनीय है और पात्र जीवंत हैं।
संग्रह की तीनो कहानियाँ पठनीय है और पाठक को बोर नहीं करती हैं। मैं अपनी बात करूँ तो इस संग्रह में बनारसी बाई मुझे काफी पसंद आई। कहानियों को एक बार पढ़ा जा सकता है।
किताब का लिंक :
बनारसी बाई