संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | पृष्ठ संख्या: 139 | एएसआईएन: B08FBDWNSS | शृंखला: अविनाश भारद्वाज #2
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
मुख्य किरदार
दिनेश रावत – सब-इंस्पैक्टर
वी के खुराना – पुलिस का डॉक्टर
डॉ अनिरुद्ध मेहता – एक मनोचिकित्सक
अविनाश भारद्वाज – एक प्राइवेट डिटेक्टिव
रिमझिम गरेवाल – एक युवती
संदीप गरेवाल – रिमझिम के पिता
आनंद राव – एक वकील
एसीपी हर्षवर्द्धन – पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर
रोशनी – अविनाश की सेक्रेटरी
रॉबर्ट डिसूजा – राज का दोस्त
सोमानी – ब्लैक स्क्वाड का मेम्बर
राज प्रताप शाण्डिल्य – जयपुर का डॉन
बृजभान – शाण्डिल्य का खास आदमी
प्रकाश नारंग – सिंडीकेट का एक सदस्य जो नैनिताल का था
अंजली – रिमझिम की दोस्त
विक्रांत सिंह – होटल जश्न का सिक्योरिटी इंचार्ज
रामस्वरूप – जश्न का बेलबॉय
मोहित वर्मा – अविनाश की दोस्त
संजय – अविनाश का साथी
मेरे विचार
अजिंक्य शर्मा के नाम से लिखने वाले ब्रजेश शर्मा एक उभरते हुए युवा उपन्यासकार हैं। वह आज के जमाने के कथाकार हैं जो अपने उपन्यासों के लिए भी नवीन विषय चुनते रहते हैं। अब तक चली आ रही अपराध साहित्य की परिपाठी से बाहर निकल कर वह नवीन प्रयोग करते रहे हैं।
दूसरा चेहरा लेखक अजिंक्य शर्मा का चौथा उपन्यास है। यह अविनाश भारद्वाज शृंखला का दूसरा उपन्यास है। वैसे तो लेखक ने इस उपन्यास के कथानक को इस तरह से रखा है कि अगर कोई इस उपन्यास को पहले पढ़ता है तो उसके मनोरंजन में इतना फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन लेखक इस तरह अविनाश के पहले उपन्यास का जिक्र इधर किया है कि वह पाठक के मन में उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगा ही देता है। मैं भी अब जल्द ही काला साया को पढ़ने की कोशिश करूँगा।
प्रस्तुत उपन्यास के कथानक पर आएँ तो भले ही दूसरा चेहरा एक मर्डर मिस्ट्री है लेकिन लेखक ने इस कथानक को इस तरह से रचा कि उपन्यास पढ़ते हुए रहस्य के साथ रोमांच भी बना रहता है। एक होटल के कमरे में एक मृत युवक और बेहोश युवती के मिलने से शुरू हुये उपन्यास में जल्द ही हुआ अंडरवर्ल्ड और प्राइवेट डिटेक्टिव का आगमन कथानक में रोमांच की कमी नहीं आने देता है। आप एक बार उपन्यास शुरू करते हैं तो ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं कि उपन्यास के पृष्ठ पलटते जाने के लिए आप मजबूर हो जाते हैं। कहानी में ट्विस्टस भी मौजूद हैं जिससे कथानक पाठक पर अपनी पकड़ बनाए रखता है। वहीं कहानी का अंत ऐसे मौके पर हुआ जो कि अगले भाग पढ़ने की उत्सुकता जगा देता है। क्या अविनाश भारद्वाज का अगला मामला लॉकडाउन के भीतर होगा? अगर होगा तो वह मौजूद जगह से कैसे निकल पाएगा? यह सवाल भी अंत मन में छोड़ देता है।
कथानक में जहाँ एक तरफ रोमांच प्रचुर मात्रा में वहीं हास्य का तड़का भी लेखक ने लगवाया है। उपन्यास में बीच बीच में ऐसे कई प्रसंग आते हैं जिससे बरबस ही हँसी छूट जाती है।
उपन्यास में लेखक ने अंडरवर्ल्ड का जिक्र ही नहीं किया है बल्कि अपने हिसाब से एक नई दुनिया भी बनाई है। उन्होंने सिंडीकेट नामक संस्था और ब्लेक कैट नामक दल के विषय में विस्तार से इधर लिखा है। इस संस्था के विषये में पढ़ते हुए मुझे अनिल मोहन का गुण्डागर्दी उपन्यास ध्यान आ रहा था जहाँ अनिल मोहन जी ने भी एक पैन इंडिया आपराधिक संगठन की रचना की थी। उन्होंने शायद उस संस्था को केंद्र मे रखकर आगे कोई उपन्यास नहीं लिखा था लेकिन उम्मीद है लेखक ऐसा नहीं करेंगे। वह सिंडीकेट और ब्लैक स्क्वाड को लेकर आगे भी रचनाएँ लाते रहेंगे। फिर भले ही उन उपन्यासों का अविनाश भारद्वाज से कोई लेना देना न हो।
कथानक का शीर्षक दूसरा चेहरा है और यह शीर्षक कथानक पर फिट बैठता है। इस उपन्यास में कई ऐसे किरदार हैं जिनके दो चेहरे मौजूद हैं।
किरदारों की बात करूँ तो उपन्यासों के किरदार कथानक के अनुरूप हैं।
राज प्रताप शाण्डलिय एक क्राइम बॉस है और उसका तगड़ा खाका लेखक ने खींचा है। वह एक क्राइम बॉस होने के साथ साथ एक भाई है और उसके इस पहलू को लेखक ने काफी खूबसूरती से दिखाया है।
उपन्यास के केंद्र में रिमझिम और बियांका है। बियांका एक बेहतरीन किरदार है जो पाठकों पर प्रभाव डालने में सफल होती है। इसके उलट रिमझिम है जिसे लेकर मुझे लगा कि उसके किरदार को उघाड़ने के लिए लेखक थोड़ी अतिरिक्त मेहनत कर सकते थे। रिमझिम खूबसूरत और मासूम है लेकिन उपन्यास में उसकी खूबसूरती के अलावा उसके व्यक्तित्व के बाकी गुण दृष्टिगोचर नहीं हो पाते हैं। यह माना जा सकता है कि जिस परिस्थिति में वह थी उसमें ऐसा होना कठिन था लेकिन अगर बाकी गुणों को दर्शाया जाता तो बेहतर रहता।
अविनाश भारद्वाज एक प्राइवेट डिटेक्टिव है और कहानी का नायक है। वह अपने पेशे के प्रति ईमानदार व्यक्ति है। वह एक हँसी मजाक करने वाला व्यक्ति है जो कि बिंदास रहना पसंद करता है। हाँ, पढ़ते हुए मैं सोच रहा था कि क्या रिमझिम खूबसूरत न होती तो क्या वह इस मामले में आगे बढ़ता? यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर अभी तो मैं दे नहीं सकता हूँ। शायद काला साया पढ़कर इस पर कोई पक्की बात कह सकूँ। अविनाश की बात चली है तो उसके मातहत संजय की बात करनी बनती है। वह एक अच्छा मातहत है जिसे पता है उसे क्या करना है। उसके और अविनाश के बीच की बातें रोचक रहती हैं और कथानक को मनोरंजक बनाती है।
उपन्यास में सोमानी का किरदार भी रोचक है। वह एक खूँखार किरदार है। मुझे उसके इस खूँखार रूप को उपन्यास में थोड़ा और उभारा जा सकता था। अभी इसके विषय में केवल बात की जाती है लेकिन कुछ विशेष देखने को नहीं मिलता है। इस किरदार को थोड़ा लार्जर दैन लाइफ बनाना चाहिए था जैसा राज प्रताप शाण्डिल्य को बनाया गया है।
कथानक में कुछ बातें ऐसी भी हैं जिन पर मुझे लगता है थोड़ा काम किया जा सकता था। उपन्यास में पुलिस के किरदार मौजूद हैं जिनके साथ मुझे लगता है न्याय नहीं हुआ है। जिस तरह की थ्योरी पर वह काम करते हैं उसे देखकर लगता है कि वह पुलिस वाले न होकर मजाक हों। अगर व्यक्ति किसी की गर्दन पर वार करता है तो खून के छीटे उस पर या जहाँ पर वार किया है उधर होना लाजमी है। यह एक ऐसा बिन्दु है जो आम व्यक्ति भी समझ लेगा। लेकिन एक इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और एक पुलिस के डॉक्टर का इस बात पर ध्यान न देना खलता है। इस बिन्दु को जासूस की पैनी नजर दर्शाने के लिए लेखक ने चुना है लेकिन मुझे लगता है लेखक जासूस की पैनी नजर दर्शाने के लिए कोई बेहतर तरीका दर्शा सकते थे। अभी उन्होंने नायक से पुलिस की तारीफ करता हुआ एक अनुच्छेद कहलवाया जरूर है लेकिन उससे बेहतर ये होता कि पुलिस को थोड़ा समझदार दर्शा सकते थे
उपन्यास एक जासूसी उपन्यास है तो व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसे उपन्यास पसंद है जिनमें जासूस रहस्य का पर्दा खोलते हैं। यहाँ पर लेखक ने ट्विस्ट लाने के चक्कर में दूसरा रास्ता अपनाया है। वह ट्विस्ट चौंकाया तो लेकिन लेखक से जासूसी का मौका छुड़वा देता है। शायद पृष्ठ संख्या कम करने के चलते लेखक ने ऐसा किया है। मुझे लगता थोड़ा सा सोचने पर लेखक ट्विस्ट तो ला सकते थे साथ ही जासूसी द्वारा असल कातिल तक अविनाश को पहुँचा सकते थे। बस इससे थोड़े पृष्ठ बढ़ जाते लेकिन मुझे लगता है ऐसा करना कथानक को बेहतर बना देता।
अंत में यही कहूँगा कि दूसरा चेहरा मुझे बहुत पसंद आया। अविनाश ही नहीं बियांका से भी मैं दोबारा मिलना चाहूँगा। अगर आपने इस नहीं पढ़ा तो एक बार अवश्य पढ़िए। मुझे उम्मीद है जितना इसने मेरा मनोरंजन किया है उतना ही यह आपका मनोरंजन करने में सफल होगा।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
थैंक्स विकास भाई 🙏 उपन्यास आपको पसंद आया, ये जानकर अच्छा लगा। इस सीरीज के उपन्यास जल्द लाने की कोशिश रहेगी।
जी शुक्रिया। इंतजार रहेगा।
आपने जो तारीफ़ की है इस उपन्यास की, उसके मद्देनज़र इसे पढ़ना बनता तो है विकास जी। अच्छी समीक्षा के लिए आपका शुक्रिया।
जी आभार। अजिंक्य शर्मा उभरते हुए युवा कथाकार हैं। आप इनकी रचनाओं पर अगर लिखेंगे तो वह भी उनका मार्गदर्शन करेगा। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
मेरी रिकॉमेंड नॉवेल पढ़ने के लिए शुक्रिया विकास जी…….. ब्रजेश जी से आग्रह है कि अविनाश और रिमझिम/बियाँका की जोड़ी आगे भी जारी रहनी चाहिए…..मैं तो दोनों को एक साथ देखना चाहूंगा…….. 🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩
जी अंत तो इसी तरह से किया गया है कि वो साथ में रहेगा। बाकि तो लेखक पर निर्भर है।