ड्रेकुला का अंत : एक्शन और रोमांच से भरपूर एक चित्रकथा

(पहले मेरा विचार इस श्रृंखला के तीसरे चौथे कॉमिक्स के विषय में एक ही पोस्ट में लिखना था लेकिन चूंकि उसे पढने में अभी वक्त है और इस कॉमिक्स के विषय में लिखते हुए पोस्ट थोड़ा लम्बी थी तो अब कोलाहल के लिए नयी पोस्ट बनाऊंगा। )
रेटिंग : 4/5
संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 112
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
श्रृंखला : ड्रेकुला # 3

वेदाचार्य ड्रेकुला को आखिरकार अपने तिलिस्म में बंद करने में सफल हो गये थे। उन्हें मालूम नहीं था कि ड्रेकुला किधर गया है लेकिन एक बार को तो वो निश्चिंत थे कि ड्रेकुला से तो छुटकारा मिला। वो कितने गलत थे इसका पता उन्हें जल्दी ही मिल गया। ड्रेकुला के तिलिस्म में बंद होने से  राजनगर और महानगर की परेशानियाँ खत्म नहीं हुई थी बल्कि और बढ़ने वाली थीं।

ड्रेकुला को कैद करने से बाकी दुष्ट आत्माओं को अपना प्रभुत्व स्थापित करने का मौका मिल गया है। वो आत्मायें ये काम सबसे ज्यादा आतंक मचाकर करना चाहते हैं। क्या नागराज और ध्रुव उन आत्माओं का मुकाबला कर पायेंगे?

वही ड्रेकुला भी वैदाचार्य के तिलस्म से आज़ाद होने की कोशिश कर रहा है। क्या वो इन तिलस्मी बन्धनों से आज़ाद हो पायेगा?

और अगर ऐसा होता है तो हमारे हीरो अबकी बार कैसे ड्रेकुला का सामना करेंगे?


ड्रेकुला का अंत ड्रेकुला श्रृंखला की तीसरी कड़ी है। ‘ड्रेकुला का अंत’ की कहानी ‘नागराज और ड्रेकुला‘ के बाद से शुरू होती है। इस श्रृंखला की सबसे अच्छी बात मुझे ये लगी है कि इसमें ड्रेकुला बार बार जिंदा होता है और जब भी वो जिंदा होता है तब तब उसको मारने के लिए अलग अलग तरीका खोजना होता है। इससे लेखक को हर बार नये तरीके सोचने होते कि कैसे हमारे हीरो ड्रेकुला पर फतह पायेंगे और इस कारण चित्रकथा ज्यादा रोमांचक हो जाती है।

इस चित्रकथा में  सबसे अच्छी बात तो ये है कि ड्रेकुला पूरी तरह अमर बन चुका है। पिछली में नागपाशा का रक्त जो उसने पी लिया था। इस कॉमिक्स को पढ़ते हुए मैं यही सोच रहा था कि वो कैसे उस पर काबू पाएंगे और जो तरीका उन्होंने चुना वो मुझे बेहतरीन लगा।

कॉमिक्स की कहानी एक्शन और थ्रिल से भरपूर है। एक तरफ हम पाठक के तौर पर ड्रेकुला की तिलस्म से निकलने की जद्दोजहत देखते हैं वहीं दूसरी हमे अपने हीरोज को  कई और मुसीबतों से टकराते हुए भी देखते हैं। दोनों ही संघर्ष रोमांचक है। नये नये किरदार जैसे गुणसागर,बुरी घडी,सिर कटा  भी कॉमिक्स में आते हैं जो इस मज़े को और बड़ा देते हैं। पूरी  कॉमिक्स के दौरान हमारे हीरो एक खलनायक से लड़ते हैं तो दूसरा खलनायक सामने आ जाता है जिससे कॉमिक्स में एक्शन और रोमांच खत्म होता ही नहीं है और पढने का  मजा बरकरार रहता है।

हाँ, कॉमिक्स में एक प्रसंग है जिसमे दिल को जांघ में होना दिखाया है। वो मुझे अटपटा लगा। जांघ खोखली नहीं होती है तो उसमे दिल रखने का कोई तुक ही नहीं दिखाई देता। इस बिंदु पर काम करने की आवश्यकता थी। शरीर में कई जगह ऐसी हैं जहाँ इसका होना दिखा सकते थे।

अगर, मैं ये कहूँ कि इस श्रृंखला की तीनो कॉमिक्स में ये मुझे सबसे बेहतर लगी तो कुछ गलत नहीं होगा।
इसे आपको जरूर पढना चाहिए। अगर इस श्रृंखला को नहीं पढ़ा है तो भी इस कॉमिक्स को पढ़ा जा सकता है। ये अपने आप में एकल कॉमिक्स की तरह है। पर अगर पहले की दो पढ़ी होंगी तो पढने का मज़ा जरूर बढ़ जाएगा। इसलिए मेरी राय में तो वो पढ़कर ही इसकी तरफ आईयेगा।
मुझे तो ये कॉमिक्स बेहद पसंद आई। आपको कैसे लगी? बताइयेगा जरूर।

अगर आप चाहे तो कॉमिक्स को निम्न लिंक से मंगवा सकते हैं:


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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