अब ज्यादा वक्त न जाया करते हुए कॉमिक्स के ऊपर आते हैं :
ड्रेकुला का हमला
रेटिंग : 3.5/5
संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 80
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
आईएसबीएन:9789332410237
श्रृंखला : ड्रेकुला #1
लेखक : जॉली सिन्हा, पेंसिल्लर : अनुपम सिन्हा,इंकिंग : विनोद कुमार, सुलेख व रंग: सुनील पाण्डेय , सम्पादक: मनीष गुप्ता
सदियों से ड्रेकुला अपनी कब्र में दफन पडा है। यूलोजियन नामक संत ने अपने जीवन का त्याग करने के बाद ड्रेकुला को इस स्थिति में पहुंचाया था। लेकिन अब नागपाशा और उसके गुरुदेव ने ड्रेकुला को जगाने का फैसला कर दिया है।
उनकी योजना ड्रेकुला को दोबारा जिंदा करने के पश्चात उसकी मदद से नागपाशा का साम्राज्य स्थापित करने की है।
क्या ड्रेकुला को जगा पाने में वो सफल हो पाएंगे? अगर हाँ तो दुनिया को ड्रेकुला के हमले से कौन बचाएगा।
कॉमिक्स में ड्रेकुला की कहानी को राज वालों ने अपने कॉमिक्स यूनिवर्स में जोड़कर काफी अच्छा काम किया है। वो एक बेहतरीन खलनायक है जो किसी भी सुपरहीरो को नाको चने चबवाने की कुव्वत रखता है। इसके इलावा नये तरीके के वैम्पायर्स के विषय में पढना भी अच्छा लगा। ये वैम्पायर्स कौन से थे ये तो आप कॉमिक्स पढ़कर ही जान पायेंगे। अभी तो इतना कहूँगा कॉमिक्स रोचक है और एक्शन और थ्रिल से भरपूर है जो पाठक का पूरा मनोरंजन करती है।
नागपाशा खलनायक कम और कॉमिक ज्यादा लगता है। उसके डायलॉग पढने में मुझे ज्यादा मज़ा आता है। कभी कभी सोचता हूँ कि गुरुदेव का ऐसा कौन सा स्वार्थ है जिसके कारण वो नालायक नागपाशा को विश्व विजेता बनाने पर तुले रहते हैं। कोई ढंग का व्यक्ति इस काम के लिए चुनते तो अभी तक उनका सपना पूरा हो चुका होता। बाकी के किरदार भी कहानी के अनुरूप सही हैं।
हाँ, कॉमिक्स में एक बात है तो जो मुझे खटकी थी।कॉमिक्स में लोरी ध्रुव को अपनी मदद के लिए राजनगर से सीधे रूमानिया खींच लाती है। और ये खींचना लगभग पल भर में होता है। ऐसे में ध्रुव को जब वापस आना होता है तो कॉमिक्स में दर्शाया गया है कि वो एक चार्टर्ड प्लेन से वापस आता है। ऐसे में मेरी समझ में ये नहीं आया कि लोरी ने ध्रुव को जिस प्रकार से मंगवाया था उसी प्रकार से वापस क्यों नहीं भेजा। फिर चार्टर्ड प्लेन के लिए दस्तावेज ध्रुव के पास कहाँ से आये। उसने वीसा वगेरह तो नहीं लिया था।
इस एक चीज को छोड़ दें तो मुझे कॉमिक्स पढने में बहुत मज़ा आया। मुझे ये पूरा पैसा वसूल कॉमिक्स लगी।
अगर अपने इस कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से जरूर दीजियेगा।
नागराज और ड्रेकुला
रेटिंग : 3.5/5
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 80
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स
आईएसबीएन:9789332410343
श्रृंखला :ड्रेकुला #2
लेखक : जॉली सिन्हा, पेंसिल्लर : अनुपम सिन्हा,इंकिंग : विनोद कुमार, सुलेख व रंग: सुनील पाण्डेय , सम्पादक: मनीष गुप्ता
भारती के साथ पिकनिक पे निकले राज को इस बात का इल्म भी नहीं था कि इस पिकनिक में कुछ ऐसा घटित हो जाएगा तो महानगर को विनाश के कागार पे ले जाएगा।
लेकिन फिर ऐसा कुछ हुआ। हालत ऐसे बने की राज को नागराज बनकर एक वैम्पायर से दो दो हाथ करने पड़े। ये वैम्पायर राजनगर से आया था। वैम्पायर को बड़ी मुश्किल से फेसलेस की मदद से नागराज ने हरा तो दिया लेकिन इस वैम्पायर ने उसे राजनगर की तरफ जाने के लिए विवश कर दिया। वो इस वैम्पायर का रहस्य जानना चाहता था।
क्या नागराज इस रहस्य को जान पाया?
क्या ये इकलौता वैम्पायर था जो नागराज के शहर की तरफ आया था?
नागपाशा और गुरुदेव राजनगर के बाद महानगर के लिए क्या जाल बुन रहे थे?
और क्या ड्रेकुला वापस आया? अगर आया तो नागराज ने उसका मुकाबला कैसे किया?
ऐसे ही कई सवालों का जवाब आपको इस कॉमिक्स में मिलेगा।
यह कॉमिक्स ड्रेकुला श्रृंखला का दूसरा भाग है। लेकिन फिर भी खुद में एकल कॉमिक्स कहा जा सकता है। पाठक पढ़ते हुए पहले की कहानी का अंदाजा लगा सकता है लेकिन फिर अगर उसने ड्रेकुला का हमला पढ़ा है तो इस कहानी का वो ज्यादा आनंद ले पायेगा। कहानी रोमांचकारी है। मैं पहली बार फेसलेस से इसमें मुखातिब हुआ। अब जानने को उत्सुक हूँ कि वो कब फेसलेस बना। फेसलेस कौन है ये भी कॉमिक में दिखाया तो उसकी पहचान को जानना मेरे लिए चौंका देने वाला था। इसके इलावा कॉमिक्स में अन्थोनी भी आता है और उसकी उपस्थिति भी मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य थी। कॉमिक्स में ही अन्थोनी से जुड़े एक किरदार किंग का जिक्र होता है। ये किंग भी मेरे लिए नया किरदार है। इसके विषय में भी और जानना चाहूँगा।
कॉमिक्स की कमियों की बात करें तो एक दो कमी मुझे इसमें लगी।
पहला कि कॉमिक्स में एक जगह राज से नागराज में तब्दील होता है। अब वो ऐसा खुले बीच(समुद्र तट ) में बच्चों के सामने करता है। चलो भारती को तो उसकी पहचान पता है लेकिन बीच में बच्चों के सिवा और भी लोग हो सकते थे और फिर बच्चे भी थे तो उसका ऐसा निर्णय लेना मुझे अटपटा लगा। जबकि वो नागराज के रूप में आने के बाद सीधे गुफा में जाता है। वो उधर भी ये काम कर सकता था।
दूसरा ये कि एक बार एक वैम्पायर एक ओक्टोपुस को काटता है तो वो छोटा सा ओक्टोपुस वैम्पायर बनने के बाद विशालकाय रूप धारण कर देता है। वो ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है। लेकिन जब वो ही वैम्पायर नागराज के शरीर में बसे सांपों को काटता है तो उनमे इतना फर्क नहीं दिखाया गया है। जब कि वो सांप तो पहले से ही असाधारण शक्तियों से युक्त है। ऐसे में वैम्पायर बनने के बाद तो उन्हें और ज्यादा शक्तिशाली हो जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये बात भी मुझे थोड़ी सी खटकी थी।
इन दो चीजों के इलावा मुझे तो कॉमिक्स में कोई बात नहीं खटकी। कॉमिक्स रोमांच थ्रिल और एक्शन से भरपूर है जो आपका मनोरंजन करने में सफल होगी ऐसा मेरा मनना है।
अगर आपने इन दो कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपको ये कैसी लगी? अपनी राय कमेंट करके जरूर दीजियेगा।
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