कहानी: घिसटता कम्बल - रांगेय राघव

कहानी: घिसटता कम्बल – रांगेय राघव

रागनी और विनय के माध्यम से रंगेय राघव ने शहरों में रहने वाले ऐसे नवयुगलों के जीवन को दर्शा रहे हैं जो कम आय में गुजर बसर करने को मजबूर हैं। विवाह को उन्होंने एक ऐसा कम्बल बताया है जो यात्री के कंधे पर पड़ा रहता है और जैसे जैसे यात्री चलता जाता है वह घिसटते हुए मेला होता जाता है। कहानी पढ़ें:

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एक टोकरी भर मिट्टी - माधवराव सप्रे

कहानी: एक टोकरी भर मिट्टी – माधवराव सप्रे

ज़मींदार साहब की इच्छा थी कि उनके महल के पास मौजूद झोपड़ी तक अपने महल को बढ़ा लें। उन्होंने अपनी इच्छा भी पूरी कर ली। आगे क्या हुआ? पढ़ें माधवराव सप्रे की कहानी ‘एक टोकरी भर मिट्टी’:

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गुरुकुल में तीन दिन - प्रेमचंद

गुरुकुल में तीन दिन – प्रेमचंद

1927 के आषाढ़ में प्रेमचंद गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय गये थे। वह तीन दिनों तक उधर रुके रहे। वहाँ उनके जो अनुभव थे उसे उन्होंने इस वृत्तांत में लिखा है। यह वृत्तांत माधुरी पत्रिका के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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कहानी: हेर-फेर - आचार्य चतुरसेन शास्त्री

कहानी: हेर-फेर – आचार्य चतुरसेन शास्त्री

बसंतलाल और हेमलता एक दूसरे को प्रेम करते थे लेकिन फिर उनकी शादी न हो सकी। अब बारह साल बाद वह दोबारा मिल रहे थे। इस मुलाकात का क्या परिणाम निकला। पढ़ें आचार्य चतुरसेन शास्त्री की कहानी ‘हेर-फेर’:

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कहानी: सुखमय जीवन - चंद्रधर शर्मा गुलेरी

कहानी: सुखमय जीवन – चंद्रधर शर्मा गुलेरी

कहानी का कथावाचक एल एल बी की परीक्षा के परिणाम के देर से आने से परेशान था। अपने को तरो ताज़ा करने के लिए उसने अपनी साइकल से बाहर का चक्कर लगाने की ठानी। आगे क्या हुआ, ये जानने के लिए पढ़ें चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘सुखमय जीवन’।

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दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा - प्रेमचंद

दक्षिण भारत में हमारी हिंदी प्रचार यात्रा – प्रेमचंद

सन् 1934 में हिंदी प्रचार सभा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेमचंद मद्रास गये थे। मद्रास से वह मैसूर गये और वहाँ से बेंगलुरू गये। अपनी यात्रा के दौरान उनके जो अनुभव थे उन्होंने इस लेख में उन अनुभवों के विषय में लिखा है। आप भी पढ़ें:

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आ चुका है लेखक आकाश पाठक का नवीन उपन्यास

आ चुका है लेखक आकाश पाठक का नवीन उपन्यास

लेखक आकाश पाठक का नवीन उपन्यास रिलीज़ हो चुका है। उनका यह नवीन उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह एक जासूसी उपन्यास है। पढ़ें विस्तृत खबर:

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कहानी: ग्राम - जयशंकर प्रसाद

कहानी: ग्राम – जयशंकर प्रसाद

‘ग्राम’ जयशंकर प्रसाद की वह पहली कहानी है जो कि प्रकाशित हुई थी। यह कहानी ‘इंदु’ पत्रिका में सन् 1912 में प्रकाशित हुई थी। आप भी पढ़ें:

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साहित्य का आधार - प्रेमचंद

साहित्य का आधार – प्रेमचंद

साहित्य क्या है? साहित्य और प्रोपागैंडा में क्या फर्क है? वह क्या है जो साहित्य से प्रोपोगैंडा को जुदा करता है? इन्हीं सब बातों को साफ करते हुए प्रेमचंद ने 1932 में ये लेख लिखा था। आप भी पढ़ें:

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कहानी: दुलाईवाली - राजेंद्र बाला घोष (बंग महिला)

कहानी: दुलाईवाली – राजेंद्र बाला घोष (बंग महिला)

नवलकिशोर और वंशीधर गहरे मित्र थे। जब नवलकिशोर अपनी नयी नवेली दुल्हन को लेकर आ रहे थे तो उन्होंने वंशीधर को भी अपने साथ चलने को कहा। आगे क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ें राजेंद्रबाला घोष (बंग महिला) द्वारा लिखी कहानी दुलाईवाली:

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कहानी: मौसी - भुवनेश्वर

कहानी: मौसी – भुवनेश्वर

लोग समझते थे कि बिब्बो हमेशा से ही अकेली रहती आयी है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। पर अब बिब्बो ने अपने एकाकीपन से समझोता कर लिया था। इतने समय बाद फिर एक बार उसका एकाकीपन टूटने को था। आखिर ऐसा क्या हुआ था? जानने के लिए पढ़ें भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव की कहानी ‘मौसी’।

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कहानी: राजकुमारी हिमांगिनी - महावीर प्रसाद द्विवेदी

कहानी: राजकुमारी हिमांगिनी – महावीर प्रसाद द्विवेदी

राजकुमारी हिमांगिनी बहुत सुंदर थीं और उन्हें लगता था कि इतनी सुंदर होने के नाते उन्हें सामान्य जीवों के साथ नही रहना चाहिए। यही कारण था उन्होंने पर्वत के सबसे ऊँचे शिखर पर अपना घर बनाया। पर काफी समय गुजरने के बाद वो साथ के लिए तरसने लगीं। वह विवाह करना चाहती थीं। क्या उनकी यह चाहत पूरी हुई? पढ़ें महावीर प्रसाद द्विवेदी की कहानी ‘राजकुमारी हिमांगिनी’।

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