यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-2 - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-2 – महावीर प्रसाद द्विवेदी

सन् 1905 में रॉबर्ट ई. पीरी ने उत्तरी ध्रुव की यात्रा शुरु की थी। 1909 में पूरी की। इसके बाद रॉबर्ट ई पीरी और डॉक्टर कुक के बीच यह विवाद शुरु हुआ कि किसने उत्तरी ध्रुव तक की पूरी यात्रा की है। इसी को लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी ने यह लेख लिखा था। इसमें पीरी की यात्रा का संक्षिप्त विवरण वो देते हैं। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-1- महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: उत्तरी ध्रुव की यात्रा-1- महावीर प्रसाद द्विवेदी

सन् 1905 में रॉबर्ट ई. पीरी ने उत्तरी ध्रुव की यात्रा शुरु की थी। इसी को लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी ने यह लेख लिखा था जो कि सरस्वती पत्रिका में 1907 को प्रकाशित हुआ था। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-दो – महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-दो – महावीर प्रसाद द्विवेदी

कप्तान स्कॉट ने दक्षिणी ध्रुव की यात्रा की थी। जब उनकी दक्षिणी ध्रुव में हुई मृत्यु की खबर आयी तो उनकी यात्रा का विवरण देता यह आलेख महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया था। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-एक - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: दक्षिणी ध्रुव की यात्रा-एक – महावीर प्रसाद द्विवेदी

लेफ़्टिनेंट शैकलटन अपने साथियों के साथ दक्षिणी ध्रुव की दूसरी यात्रा करने गए थे। वहाँ से लौट आने पर जो उन्होंने वहाँ की यात्रा के सम्बन्ध में प्रकाशित किया उसका ही संक्षिप्त विवरण महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा इस लेख में किया गया है। आप भी पढ़ें:

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कहानी: तीन देवता - महवीर प्रसाद द्विवेदी

कहानी: तीन देवता – महावीर प्रसाद द्विवेदी

वररुचि एक ब्राह्मण था जिसकी पत्नी उपकोशा अद्वितीय सुंदरी थी। जब वररुचि को तप के लिए हिमालय पर जाना पड़ा तो उसके वहाँ न होने पर उपकोशा के साथ जो घटना घटी वही वह यहाँ पाठकों को सुना रहा है। पढ़ें महावीर प्रसाद द्विवेदी की यह कहानी ‘तीन देवता’।

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लेख: सम्पादकों के लिए स्कूल - महावीर प्रसाद द्विवेदी

लेख: सम्पादकों के लिए स्कूल – महावीर प्रसाद द्विवेदी

‘सम्पादकों के लिए स्कूल’ महावीर प्रसाद द्विवेदी का लेख है जो 1904 में तब प्रकाशित हुआ था जब अमेरिका में सम्पादकों के लिए पहला स्कूल खुलने की खबर आयी थी। इसमें वह बता रहे हैं इस स्कूल में क्या क्या होने वाला था और एक कुशल सम्पादक को क्या क्या पता होना चाहिए। आप भी पढ़ें:

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यात्रा वृत्तांत: यमलोक का जीवन - महावीर प्रसाद द्विवेदी

यात्रा वृत्तांत: यमलोक का जीवन – महावीर प्रसाद द्विवेदी

डॉ शैकलटन दक्षिणी ध्रुव की यात्रा पर जाकर लौट आये थे। बीमारी ने उन्हें आने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने अपनी यात्रा का वृत्तांत लिखा जिसे आधार बनाकर महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा यह लेख लिखा गया। आप भी पढ़ें:

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निबंध: सरस्वती का प्रकाशन - राहुल सांकृत्यायन

निबंध: सरस्वती का प्रकाशन – राहुल सांकृत्यायन

‘सरस्वती’ महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्पादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका थी। यह हिंदी की पहली मासिक पत्रिका थी। हिंदी के प्रचार प्रसार में इस पत्रिका और महावीर प्रसाद द्विवेदी का क्या योगदान था और कैसे इस पत्रिका ने राहुल सांकृत्यायन को प्रभावित किया यह वह इस निबंध में बताते हैं। आप भी पढ़िए:

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निबंध: साहित्य की महत्ता - महावीर प्रसाद द्विवेदी

निबंध: साहित्य की महत्ता – महावीर प्रसाद द्विवेदी

साहित्य का जीवन और समाज के लिए क्या महत्व है? क्यों साहित्य पढ़ना जरूरी है और किस तरह का साहित्य पढ़ा जाना चाहिए? यह महावीर प्रसाद द्विवेदी ‘साहित्य की महत्ता’ में बताते हैं। आप भी पढ़ें।

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