रांगेय राघव की कहानी 'पेड़'

कहानी: पेड़ – रांगेय राघव

रांगेय राघव हिंदी के लेखक थे। उन्होंने अपने जीवन में उपन्यास, कहानियाँ, रिपोर्ताज, अनुवाद किया। वह अपने विपुल लेखन के लिए जाने जाते हैं। पढे उनकी कहानी ‘पेड़’।

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आसक्ति-निशांत मौर्य | कहानी

कहानी: आसक्ति – निशांत मौर्य

निशांत मौर्य कानपुर के रहने वाले हैं। साहित्य से उन्हें गहरा लगाव है। एक बुक जर्नल पर पढ़िए उनकी कहानी आसक्ति।

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शिवपूजन सहाय की कहानी 'कहानी का प्लॉट'

कहानी: कहानी का प्लॉट – शिवपूजन सहाय

शिवपूजन सहाय उपन्यासकार, संपादक और गद्यकार थे। उन्होंने हिंदी और भोजपुरी भाषा में लेखन किया। पढ़ें उनकी कहानी ‘कहानी का प्लॉट’।

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इंद्रजाल - जयशंकर प्रसाद | कहानी

कहानी: इंद्रजाल – जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘इंद्रजाल’ प्रथम बार इसी नाम से प्रकाशित उनके कहानी संग्रह में 1961 में प्रकाशित हुई थी। अब एक बुक जर्नल पर पढ़ें गोली और बेला की यह प्रेमकथा।

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आखिरी हीला - प्रेमचंद | कहानी

कहानी: आखिरी हीला – प्रेमचंद

‘आखिरी हीला’ प्रेमचंद की लिखी हास्यकथा है। कथावाचक को जब पता लगता है कि उसकी पत्नी गाँव से शहर उसके पास आकर रहना चाहती है तो वह उसका शहर आना टालने के लिए क्या क्या बहाने गढ़ता है। आप भी पढ़िए।

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गुंजन-विकास नैनवाल | कहानी

कहानी: गुंजन – विकास नैनवाल ‘अंजान’

सब कुछ कितना खूबसूरत था यहाँ। उनके घर के आगे का बरामदा था जहाँ बेंत की कुर्सी और मोढ़े को लगाकर बैठते हुए शाम गुजारना उसे पसंद था। यह जगह उसकी सबसे प्रिय जगहों में से थी। वो इधर बैठकर घंटों कल्पना के सागर में गोते लगा सकती थी या सामने दिखते दृश्यों को निहार सकती थी।

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पाठशाला - चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'

लघु-कथा: पाठशाला – चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

पाठशाला का वार्षिकोत्सव था। मैं भी वहाँ बुलाया गया था। वहाँ के प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र, जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी, बड़े लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी …

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कहानी: ग्यारह वर्ष का समय - रामचंद्र शुक्ल

कहानी: ग्यारह वर्ष का समय – रामचंद्र शुक्ल

दिन-भर बैठे-बैठे मेरे सिर में पीड़ा उत्पन्न हुई: मैं अपने स्थान से उठा और अपने एक नए एकांतवासी मित्र के यहाँ मैंने जाना विचारा। जाकर मैंने देखा तो वे ध्यान-मग्न …

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संदेह - जयशंकर प्रसाद

कहानी: संदेह – जयशंकर प्रसाद

रामनिहाल अपना बिखरा हुआ सामान बाँधने में लगा था। जँगले से धूप आकर उसके छोटे-से शीशे पर तड़प रही थी। अपना उज्ज्वल आलोक-खंड, वह छोटा-सा दर्पण बुद्ध की सुंदर प्रतिमा …

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कहानी: कफ़न - प्रेमचंद

कहानी: कफ़न – प्रेमचंद

1 झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा …

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