सुरेन्द्र मोहन पाठक का प्रसिद्ध थ्रिलर ‘मेरी जान के दुश्मन’ हुआ पुनः प्रकाशित

Surender Mohan Pathak's Meri Jaan Ke Dushaman reprinted
सुरेन्द्र मोहन पाठक

लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) अपने उपन्यासों के लिए अपने पाठकों के बीच खासे प्रसिद्ध हैं। उनके प्रशंसकों को उनके नये उपन्यासों की प्रतीक्षा तो रहती है।  लेकिन उनके कई ऐसे पुराने उपन्यास हैं जो समय के साथ आउट ऑफ प्रिन्ट चले गए थे। पाठकों को उनके इन्हीं बेहतरीन उपन्यासों को ई बुक के सहारे रहना पड़ रहा था या फिर पुराने संस्करणों को ऊँचे दाम देकर खरीदना पड़ रहा था। लेकिन अब धीरे-धीरे उनके ऐसे उपन्यास पुनः प्रकाशित हो रहे हैं। ऐसे में जिन लोगों ने इन उपन्यासों को लुगदी में पढ़ा था वो तो इन्हें व्हाइट पेपर में पढ़ पा रहे हैं लेकिन साथ में उनके नये पाठक उनके इन उपन्यासों का फिर से लुत्फ उठा पा रहे हैं।  

इसी क्रम में एक और खुशखबरी सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) के प्रशंसकों के लिए आयी है। 

मेरी जान के दुश्मन का नवीन संस्करण

अब सुरेन्द्र मोहन के सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘मेरी जान के दुश्मन’ (Meri Jaan Ke Dushman)को भी पुनः प्रकाशित किया जा रहा है। ‘मेरी जान के दुश्मन’ (Meri Jaan Ke Dushman) एक रोमांच कथा है जो सर्वप्रधम 1981 में प्रकाशित हुई थी। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने एक बैंक डकैती का गवाह बनकर अपनी जान साँसत में डाल दी थी। 

अब यह पुस्तक ओम साई टेक बुक्स (OmSai Tech Books) द्वारा प्रकाशित की जा रही है। सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) के प्रशंसक उनकी इस पुस्तक को अमेज़न से ऑर्डर कर सकते हैं। अमेज़न की माने तो यह पुस्तक 2 मार्च 2023 तक पाठकों के पास पहुँचने लगेगी। 

तो देर किस बात की है? आप भी अपने प्रिय लेखक की पुस्तक को ऑर्डर कर दीजिए। 

ऑर्डर लिंक ये रहा: मेरी जान के दुश्मन – अमेज़न

सुरेन्द्र मोहन पाठक के अन्य उपन्यास: सुरेन्द्र मोहन पाठक – अमेज़न

बताते चलें इससे पूर्व सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) का उपन्यास झूठी औरत (Jhooti Aurat) भी पुनः प्रकाशित होने की खबर आयी थी। इस उपन्यास की खास बात यह है कि लेखक ने इसे अपडेट किया है और इस कारण लगभग पचास सौ पृष्ठ इसमें अधिक जुड़ गए हैं। ऐसे में यह नवीन संस्करण अपने पुराने संस्करणों से काफी अलग है।  

सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) का यह उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन (Sahitya Vimarsh Prakashan) पर पेपरबैक और हार्डबाउन्ड दो संस्करणों में उपलब्ध है:

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