सुरेन्द्र मोहन पाठक, स्रोत: smpathak.com |
परिचय
जन्म: 19.02.1940, लाहौर
शिक्षा: विज्ञान में स्नातक और मास्टर्स
संप्रति: भारतीय टेलीफोन इंडस्ट्री में 1964-98 तक कार्यरत। सेवानिवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन
सुरेन्द्र मोहन पाठक (Surender Mohan Pathak) हिन्दी अपराध साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके लेखन सफर की शुरुआत 50 के दशक के आखिरी वर्षों में हुई थी। उनकी पहली कहानी ‘सत्तावन साल पुराना आदमी’ (57 Saal Purana Aadmi) मनोहर कहानियाँ (Manohar Kahaniyan) में 1957 को प्रकाशित हुई थी। वहीं उनका पहला उपन्यास ‘पुराने गुनाह नये गुनाहगार’ (Purane Gunah Naye Gunahgaar) 1963 में नीलम जासूस पत्रिका में 1963 में प्रकाशित हुआ था।
उनकी अब तक 300 से ऊपर किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन किताबों में उनके द्वारा रचित विभिन्न शृंखलाएँ, जोक बुक्स, एकल उपन्यास, कहानी संग्रह और आत्मकथा के तीन खण्ड भी शामिल हैं।
मुख्य कृतियाँ
शृंखलाएँ
- सुनील सीरीज
- विमल सीरीज
- सुधीर कोहली सीरीज
- जीत सिंह सीरीज
- मुकेश माथुर सीरीज
- विवेक आगाशे सीरीज
- विकास गुप्ता सीरीज
- प्रमोद सीरीज
एकल उपन्यास
- चार अपराधी | अप्रेल 1968 | अमेज़न
- कार में लाश | दिसंबर 1974 | अमेज़न
- कत्ल की वारदात | मई 1976 | अमेज़न
- वर्ल्ड फेमस मर्डर स्टोरीस | मार्च 1977
- गैंगवार | दिसम्बर 1977 | अमेज़न
- आगे भी मौत पीछे भी मौत | नवंबर 1978 | अमेज़न
- आई विटनेस | जून 1979 | अमेज़न
- अनोखी रात | अगस्त 1980 | अमेज़न
- दफा 302 | अक्टूबर 1980 | अमेज़न
- खूनी हवेली | जनवरी 1981 | अमेज़न
- मेरी जान के दुश्मन | मार्च 1981 | अमेज़न | साहित्य विमर्श
- इंतकाम | अक्टूबर 1981 | अमेज़न
- लंबे हाथ | नवंबर 1982 | अमेज़न
- विश्वास की हत्या | फरवरी 1983 | अमेज़न
- खाली मकान | सितंबर 1983 | अमेज़न
- बीवी का हत्यारा | अगस्त 1984 | अमेज़न
- वो कौन थी | मई 1985 | अमेज़न
- एक करोड़ का जूता | जून 1985 | अमेज़न
- डायल 100 | जुलाई 1985 | अमेज़न
- तीन दिन | जनवरी 1986 | अमेज़न
- मौत का आतंक | अप्रेल 1986 |अमेज़न
- दस मिनट | दिसंबर 1986 | अमेज़न
- कागज की नाव | जून 1987 | अमेज़न
- जीने की सजा | जुलाई 1988 | अमेज़न
- बीस लाख का बकरा | अगस्त 1988 | अमेज़न
- तीसरा कौन | जनवरी 1989 | अमेज़न
- पाँच पापी | मई 1989 | अमेज़न
- गुनाह का कर्ज | मई 1991 | अमेज़न
- शक की सुई | अक्टूबर 1991 | अमेज़न
- एक ही अंजाम | अप्रेल 1993 | अमेज़न
- तड़ीपार | अप्रेल 1993 | अमेज़न
- आजाद पंछी | अगस्त 1993 |अमेज़न
- काँपता शहर/ मवाली | जून 95/02 | अमेज़न
- मौत आई दबे पाँव | जून 1997 | अमेज़न
- फिफ्टी-फिफ्टी | मई 1998 | अमेज़न
- साजिश | जनवरी 2000 | अमेज़न
- दहशतगर्दी | दिसंबर 2000 | अमेज़न
- एक ही रास्ता | अप्रेल 2003 | अमेज़न
- दो गज कफन | जनवरी 2005 | अमेज़न
- मकड़जाल | मई 2007 | अमेज़न
- ग्रैन्डमास्टर | अगस्त 2007 | अमेज़न
- गवाही | मार्च 2010 | अमेज़न
- सीक्रेट एजेंट | दिसम्बर 2012 | अमेज़न
- कातिल कौन | फरवरी 2016 | अमेज़न
- काला नाग | फरवरी 2020 | अमेज़न
- ब्लाइंड डील | जून 2021 | अमेज़न
सामाजिक उपन्यास
- कुबड़ी बुढ़िया की हवेली | जुलाई 1971 | अमेज़न, साहित्य विमर्श
- बेताल और शहजादी | जून 1972 | अमेज़न, साहित्य विमर्श
कहानी संग्रह
- सम्पूर्ण कथा साहित्य वॉल्यूम 1 | 2014
- सम्पूर्ण कथा साहित्य वॉल्यूम 2 | 2014
- तकदीर का तोहफा | 1 जनवरी 2020 | अमेज़न
- मौत का विलाप एवं अन्य कहानियाँ | 2022 | अमेज़न, साहित्य विमर्श
आत्मकथा
- ना कोई बैरी ना कोई बैगाना | फरवरी 2018 | अमेज़न
- हम नहीं चंगे बुरा ना कोय | सितंबर 2019 | अमेज़न
- निंदक नियरे राखिये | दिसंबर 2020 | अमेज़न
अन्य
जोक बुक्स
- फिल्मी पटाखे | अक्टूबर 1968
- दीवानी दुनिया | दिसंबर 1972
- सतरंगी दुनिया | जनवरी 1977
- Go Easy On Laugh | फरवरी 1978
- रंगीली दुनिया | सितंबर 1979
- अलबेली दुनिया | नवंबर 1997
- सजीली दुनिया | मार्च 1999
- छबीली दुनिया | जनवरी 2000
- अठरंगी दुनिया | नवंबर 2000
- कार्टून कार्निवाल | अगस्त 2001
- नवरंगी दुनिया | अक्टूबर 2002
- चमकीली दुनिया | फरवरी 2003
- Juicy Joke Book | फरवरी 2003
- फिल्मी दुनिया | अप्रैल 2004
- हठीली दुनिया | जून 2005
- Fun Fun Funda 1 | अगस्त 2005
- Fun Fun Funda 2 | अगस्त 2005
- सबरंगी दुनिया | अक्टूबर 2005
- मनचली दुनिया | अप्रेल 2007
- Fun Fun Funda 3 | मार्च 2008
- Fun Fun Funda 4 | मार्च 2008
- भड़कीली दुनिया | अक्टूबर 2009
- Laff Factory Vol -1 | नवंबर 2010
- Laff Factory Vol -2 | नवंबर 2010
- Laff Factory Vol -3 | नवंबर 2010
- Laff Factory Vol -4 | नवंबर 2010