संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशन: प्रतिलिपि
लिंक: प्रतिलिपि
कहानी
देवऋषि वशिष्ठ एक नामचीन लेखक था जो अपनी अपराध कथाओ के लिए पूरे देश में मशहूर था। आज अनुकृति उसका इंटरव्यू लेने एक रेस्टोरेंट में उसके समक्ष बैठी हुई थी।
बातों बातों में देवऋषि ने उसे बताया था कि उसकी आनी वाली किताब का नाम ‘अनुकृति नेक्स्ट’ था। पहले से असहज अनुकृति यह बात सुनकर और असहज हो गई थी। उसे अब डर लगने लगा था।
क्या ये इत्तेफाक था या लेखक उसी के नाम पर अपनी आने वाली किताब का नाम रखा था?
अगर यह इत्तेफाक नहीं था तो किताब के नाम के पीछे क्या कारण था?
अनुकृति असहज क्यों थी? क्या उसका डर वाजिब था?
मेरे विचार
नितिन मिश्रा मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक रहे हैं। वह मुख्यतः कॉमिक बुक लेखन करते हैं लेकिन मुझे उनके कॉमिक्स से ज्यादा उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास पसंद आए थे। हॉरर के साथ सस्पेंस और थ्रिल उनके उन उपन्यासों के कथानकों की विशेषता थी जो कि पढ़ना मुझे पसंद है। लेकिन उनकी बस एक ही कमी है कि उनकी रचनाएँ काफी दिनों बाद प्रकाशित होती हैं। क्योंकि वह कॉमिक बुक लेखन करते हैं उनका ध्यान मुख्यतः उधर ज्यादा होता है। ऐसे में जब मेरे अंदर नितिन मिश्रा के लिखे को पढ़ने की इच्छा जागी तो मैंने प्रतिलिपि एप्प का सहारा लिया। मुझे पहले से मालूम था कि नितिन जी ने एक दो रचनाएँ इधर प्रकाशित की हैं जिन्हे मैंने जानबूझकर पढ़ा नहीं था। उन्हें ऐसे ही किसी मौके के लिए बचाकर रखा था और ऐसा करना मेरे लिए अच्छा भी रहा। क्योंकि उनकी लिखी अनुकृति नेक्स्ट मुझे पसंद आयी।
अनुकृति नेक्स्ट लेखक नितिन मिश्रा की एक लंबी कहानी है। कहानी का शीर्षक रोचक है और यह आपको इसके विषय में सोचने में मजबूर कर देता है कि अनुकृति की बारी किस चीज के लिए लगी हुई है। कहानी के केंद्र में लेखक और अनुकृति नाम की लड़की है। यह लेखक एक प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक है और अपने लेखन के बल पर ऐशों आराम की जिंदगी जीता है। वहीं अनुकृति एक सोशल मीडिया इन्फ़्लुएनकेर है जो कि लेखक का साक्षात्कार लेने आयी है। यह दोनों एक रेस्टोरेंट में मिल रहे हैं और इनकी इस मुलाकात के दौरान क्या होता है यही कथानक बनता है।
कथानक रोचक है और आपको शुरुआत से ही बांध कर रखता है। लेखक का व्यवहार ऐसा है कि आप उसके विषय में और जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं और इस कारण कहानी पढ़ते चले जाते हैं।
अगर आप हॉरर साहित्य पढ़ते हैं तो आप जानते होंगे कि शैतान के साथ सौदा करने और फिर उसके परिणाम भुगतने के विचार को लेकर कई लेखकों ने अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाये हैं। यह कहानी भी इसी विषय पर लिखी गयी है। हर जो चीज चाहते हैं उसकी एक कीमत होती है जो हमें चुकानी पड़ती है। लेकिन अक्सर लोग बिना कीमत चुकाये ही चीजें पाना चाहते हैं या फिर हम ऐसा सौदा कर लेते हैं जिसकी कीमत चुकाना हमारे बस में नहीं रहता है। ऐसी ही परिस्थिति को लेखक ने इधर दर्शाया है।
कहानी पढ़ते पढ़ते आपको लगने लगता है कि आप समझ रहे हैं कि लेखक कहाँ जाना चाह रहा है। आप मुस्कराते हैं क्योंकि आपने लेखक के बताने से पहले ही वह राज जान लिया है लेकिन फिर लेखक आपको झटका देते हैं और कहानी की दिशा ही बदल जाती है। आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या जो आपने सोचा था वो सही था या फिर इधर कुछ और ही चल रहा ह? ऐसा करके लेखक कहानी में सस्पेंस बरकरार रख पाते हैं और एक अच्छी कहानी पाठकों को मुहैया करवाते हैं। कहानी का अंत लेखक ने ऐसा रखा है कि पाठक अपने हिसाब से उसका अर्थ निकाल सकता है। वह किरदार क्या हैं यह लेखक नहीं बताता है, बस आपके ऊपर वह यह बात छोड़ देता है।
कहानी मुझे पसंद आयी और अगर आपने इसे नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़कर इसे देख सकते हैं। उम्मीद है यह आपका भी मनोरंजन करेगी।
कहानी के कुछ अंश जो मुझे पसंद आए:
हर एक शख्स जो हमारी जिंदगी में आता है, चाहे वो कितने ही कम पलों के लिए क्यूँ ना आया हो, उसके आने के पीछे कोई वजह, कोई कारण अवश्य होता है। यूँ ही ज़िंदगी में ना कोई आता है और ना ही जाता है।
इंसान के जीवन में उसके दो सबसे बड़े शिक्षक होते हैं समय और असफलता। इन दोनों शिक्षकों से जो इंसान ज़िंदगी जीने का सबक सीख लेता है वो ही कामयाबी का सच्चा हकदार होता है।
बट देयर आर नो फ्री लनचेस इन दिस वर्ल्ड। एव्रीथिंग कम्स विद अ प्राइस और इंसान को सबसे ज्यादा महंगे उसके सपने ही पड़ते हैं, अनुकृति।
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आज का प्रश्न
क्या आपको हॉरर साहित्य पढ़ना पसंद है? हॉरर में आपका पसंदीदा ट्रोप (थीम) क्या है? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाइएगा।