साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा हाल ही में कुछ पुस्तकों को रिलीज किया गया है। इन पुस्तकों में बाल साहित्य, आदिवासी समाज से जुड़े संस्मरण और अपराध कथाएँ शामिल हैं। यह पुस्तकें निम्न हैं:
हजारा और पिटारा के मजेदार किस्से
‘हजारा पिटारा के मजेदार किस्से’ (Hajara Pitara Ke Mazedar Kisse) लेखक डॉ मोहम्मद अरशद खान (Dr Mohammad Arshad Khan) का कहानी संग्रह है। जैसे कि नाम से जाहिर है इसमें हजारा और पिटारा नाम के दो दोस्तों के किस्से मौजूद हैं। गाँव वालों की मुसीबत सुलझाते हुए कैसे हजारा और पिटारा हास्यजनक परिस्थितियो में फँस जाते हैं और कैसे उससे उभरते हैं यह इन किस्सों को पढ़कर जाना जा सकता है।
किताब के बारे में
खजानपुर में ऐसा कौन है जो हजारा पिटारा को नहीं जानता। दोनों जिगरी दोस्त हैं और सबकी मदद को हमेशा तैयार रहते हैं। इनके पास हर मुसीबत को सुलझाने का तरीका है। किसी को कोई समस्या आयी तो उसे सुलझाने में पूरी जान लगा देते हैं। इस दौरान कई मजेदार हादसे भी इनके साथ हो जाते हैं।
‘हजारा पिटारा के मजेदार किस्से’ में लेखक डॉक्टर मोहम्मद अरशद खान (Dr. Mohammad Arshad Khan) इनके ऐसे ही पंद्रह किस्से लेकर प्रस्तुत हुए हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान ले आएँगे।
पुस्तक विवरण:
लेखक: डॉ मोहम्मद अरशद खान | पृष्ठ संख्या: 125 | एम आर पी: 205 | ऑफर प्राइस: 149 | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श
कोरोया फूल: जन, जंगल, जीवन
‘कोरोया फूल: जन जंगल जीवन’ (Koroya Phool) अथनास किसपोट्टा (Athnas Kispotta) के जीवन से उभरे संस्मरण हैं। अथनास किसपोट्टा आदिवासी समाज से आते हैं और उन्होंने इस समाज में होते बदलावों को नजदीक से देखा है। अपने इन्हीं अनुभवों को उन्होंने इन संस्मरणों के रूप में पाठक से साझा किया है। आदिवासी संस्कृति, उनका भोलापन, उनका शोषण और समय के साथ होते उनके समाज में अच्छे बुरे बदलावों को उन्होंने यहाँ दर्शाया है।
किताब के बारे में
आज आदिवासी संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है। मुरिया जनजाति की घोटुल संस्कृति से लेकर उराँव जनजाति की अखड़ा संस्कृति तक सब विलुप्त हो रही है लिये मुख्य रूप से हम कथित सभ्य समाज के लोग ही जिम्मेदार हैं। इस पुस्तक में एक संस्मरण संस्मरण ‘गोंगो’ के नाम से है। वास्तव में कथित समाज ही वह लुटेरा गोंगो है, जो कभी नमक के व्यापारी के रूप में आदिवासियों से उनकी बेशकीमती चिरोंजी ले लेता है तो कभी आदिवासी क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुके छोटे व्यवसायी के रूप में बसे लुटेरे। ये तो जोंक की भाँति लगातार खून चूस रहे हैं। आदिवासियों को सबसे अधिक खतरा तो उन उद्योगपतियों से है, जो कि उनके जल, जंगल और जमीन को हड़पने की नीयत से घुस जाते हैं। वे मुआवजे का लालच देकर आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का प्रयास करते हैं। इस वजह से आदिवासी रूपी कोरोया फूल को अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
पुस्तक विवरण:
लेखक: अथनास किसपोट्टा | पृष्ठ संख्या: 219 | एम आर पी: 249 | ऑफर प्राइस: 219 | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श
महाभारत त्रयी
लेखक संतोष पाठक (Santosh Pathak) ने काफी कम समय में अपने लिए एक निष्ठावान पाठकवर्ग खड़ा किया है। अपनी अपराध कथाओं से उन्होंने पाठकों का मनोरंजन किया है और वह द्रुत गति से अपराध कथाएँ लिखते चले जा रहे हैं। साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा इस बार उनकी महाभारत त्रयी (Mahabharat Trilogy) को प्रकाशित किया जा रहा है। इसकी खास बात यह भी है कि इस त्रयी का उपन्यास मृगतृष्णा संतोष पाठक का पचासवाँ उपन्यास भी है।
इस त्रयी की पुस्तकें निम्न हैं:
मृगतृष्णा : महाभारत त्रयी 01
किताब के बारे में
देश पर आतंकी हमले का खतरा मंडरा रहा था। अलकायदा कमांडर सैफ अल अदल ने खुलेआम ये धमकी जारी की थी कि वह हिंदुस्तान की सड़कों को लाशों से पाट देगा। उसके निशाने पर देश की आम जनता तो थी ही, साथ ही वह कई दिग्गज नेताओं, पीएम और यहाँ तक कि प्रेसिडेंट को खत्म करने के मंसूबे बांधे बैठा था। मगर क्या वह सब उतना ही आसान था जितना कि किसी न्यूज चैनल को एक धमकी भरी वीडियो भेज देना?
यह एक ऐसा मामला था, जिसका लोकल पुलिस से कोई लेना-देना नहीं था, क्योंकि एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियाँ दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए कमर कस के मैदान में उतर चुकी थीं, बावजूद इसके पनौती की टाँग उसमें जा फँसी तो उसकी वजह बस इतनी थी कि वह और संजना सतपाल के बुलावे पर एक ऐसे समारोह में शिरकत करने पहुँच गये, जहाँ हमलावर पहले से अपना जाल बिछाये बैठे थे।
पुस्तक विवरण:
लेखक: संतोष पाठक | पृष्ठ संख्या: 256 | एम आर पी: 299 | ऑफर प्राइस: 219 | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श
चक्रव्यूह: महाभारत त्रयी 02
किताब के बारे में
हालात बद से बद्तर होते जा रहे थे। अपराधियों का हर कदम कामयाबी की नई गाथा लिख रहा था, तो वहीं सुरक्षा एजेंसियाँ निरंतर हार का मुँह देख रही थीं। पनौती और सतपाल उन दो पाटों के बीच पिस रहे थे। षड़्यंत्रकारी उनकी लाश गिराने को दृढ़संकल्पित थे तो एनआईए उनपर यकीन करने को तैयार नहीं थी। पनौती मामले की तह तक पहुँचने की जिद पकड़े बैठा था तो सतपाल किसी भी हाल में उसका साथ नहीं छोड़ना चाहता था। मगर उनकी राह आसान तो बिल्कुल भी नहीं थी, क्योंकि इस बार उन्हें किसी कातिल को नहीं खोजना था, बल्कि मुकाबला ऐसे लोगों से था जो देश के पीएम और प्रेसिडेंट को खत्म करने की धमकी जारी कर चुके थे। बात वहाँ तक भी सीमित रह जाती तो शायद दोनों के लिए कुछ कर गुजरना आसान हो जाता, मगर दुश्मन के चक्रव्यूह को बेध पाना उस वक्त मुश्किल हो उठा जब उसने संजना को अपना मोहरा बना लिया। फिर हालात ने कुछ ऐसी करवट बदली कि उन तीनों के साथ-साथ अवनी को भी उस दावानल में कूद जाना पड़ा, जो सबकुछ जलाकर भस्म कर देने वाली थी। अब या तो चारों मिलकर दुश्मन के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब हो जाते, या उसमें फँसकर अपनी जान गवाँ बैठते, क्योंकि मरो या मारो के अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था।
पुस्तक विवरण:
लेखक: संतोष पाठक | पृष्ठ संख्या: 249 | एम आर पी: 299 | ऑफर प्राइस: 219 | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श
कुरुक्षेत्र: महाभारत त्रयी 03
किताब के बारे में
युद्ध आरंभ हो चुका था, घात-प्रतिघात का खेल जोरों पर था। कुछ चेहरों से नकाब उतर चुके थे, तो कुछ के मुखौटे हटने अभी बाकी थे। एक तरफ एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियाँ दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की कवायद में जुटी हुई थीं, तो दूसरी तरफ विशाल, सतपाल, संजना और अवनी कमर कस के मैदान में कूद पड़े थे। बस किसी को ये नहीं मालूम था कि उनका मुकाबला किसके साथ चल रहा था। ऐसे में दुश्मन पर जीत हासिल कर पाना असंभव की हद तक कठिन काम बनकर रह गया….
महाभारत शृंखला की तीसरी और अंतिम कड़ी ‘कुरुक्षेत्र’
पुस्तक विवरण:
लेखक: संतोष पाठक | पृष्ठ संख्या: 309 | एम आर पी: 349 | ऑफर प्राइस: 249 | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श
बताते चलें क्योंकि महाभारत त्रयी में संतोष पाठक का पचासवाँ उपन्यास भी है तो प्रकाशन द्वारा इस त्रयी को एक आकर्षक बॉक्स सेट में लाया जा रहा है। इस बॉक्स को आप निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं
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तो आप कौन सी पुस्तकें पढ़ने वाले हैं?
संतोष पाठक जी के उपन्यासों की चर्चा सुनी है, उनको पढने की इच्छा है।
जानकारी के लिए धन्यवाद ।
अगर अपराध कथाएँ पसंद हैं तो उनके उपन्यास आपको पसंद आएँगे। हाँ, पनौती एक ओवर द टॉप किरदार है तो अगर ओवर द टॉप किरदार आपको पसंद नहीं आते हैं तो हो सकता है यह किरदार आपको उतना भाये लेकिन दूसरे किरदारों पर लिखे उनके उपन्यासों को आप देख सकते हैं।