जासूसी साहित्य पत्रिका तहकीकात और नितिश सिन्हा के जासूसी उपन्यास राक्षस का हुआ विमोचन

19 नवंबर 2021 को नीलम जासूस कार्यालय द्वारा फेसबुक लाइव के माध्यम से एक ऑनलाइन कार्यक्रम किया गया।

नीलम जासूस कार्यालय के स्थापना के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित इस कार्यक्रम में जहाँ एक तरफ प्रकाशन द्वारा  रचनाओं का विमोचन किया गया वहीं साथ में केक काटकर प्रकाशन की वर्षगांठ की खुशी भी पाठकों के साथ साझा की गई। 
कार्यक्रम का संचालन नीलम जासूस कार्यालय के सीईओ सुबोध भारतीय द्वारा किया गया। वहीं विमोचन का कार्यक्रम वरिष्ठ लेखक वेद प्रकाश काम्बोज और लेखक राम पुजारी के साथ से पूरा हुआ। 
कार्यक्रम की शुरुआत नीलम जासूस कार्यालय की पत्रिका तहकीकात के विमोचन से हुई। तहकीकात के विषय में बताते हुए सुबोध भारतीय ने कहा कि तहकीकात का अस्सी प्रतिशत हिस्सा जहाँ जासूसी या हॉरर रोमांचकथाओं के लिए रखा गया है वहीं इसके बीस प्रतिशत हिस्से में गंभीर साहित्य की कृतियाँ शामिल की जाएंगी। इस तरह से प्रकाशन द्वारा इस पत्रिका के माध्यम से एक पूरी साहित्यिक खुराक पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की गयी है। 150 पृष्ठों की इस पत्रिका की कीमत 150 रुपये रखा गया है। 
नीलम जासूस कार्यालय द्वारा किया गया पत्रिका तहकीकात का विमोचन
बाएँ से दायें: वेद प्रकाश काम्बोज, सुबोध भारतीय, राम पुजारी 

तहकीकात के विमोचन के पश्चात प्रकाशन के नवीन उपन्यास राक्षस का विमोचन भी किया गया। विमोचन अलफांसे शृंखला का उपन्यास है जिसे लेखक नितिश सिन्हा ने लिखा है। बताते चलते हिंदी लोकप्रिय साहित्य में अलफांसे एक प्रसिद्ध किरदार रहा है। वेद प्रकाश काम्बोज  के रचे इस किरदार को लेकर वेद प्रकाश काम्बोज के अलावा वेद प्रकाश शर्मा ने भी लिखा है। अब नितिश सिन्हा इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। 

उपन्यास के विषय में बताते हुए सुबोध भारतीय ने बताया कि यह 266 पृष्ठ का उपन्यास है जिसे लेखक नितिश सिन्हा, जो कि सरकारी विभाग में उच्च पद पर आधीन हैं, ने अपने व्यस्त जिंदगी से समय निकालकर लिखा है। इस उपन्यास को लिखने में उन्हे 2 साल का वक्त लगा है। लेखक  वेद प्रकाश काम्बोज ने भी नितिश सिन्हा की इस मेहनत की तारीफ करते हुए कहा – ‘यह अच्छा कार्य हो रहा है। मशाल हाथ में लेकर दौड़ना होता है तो दौड़ने वाले दौड़ रहे हैं। उम्मीद करता हूँ कि वह अच्छा नाम कमाएंगे। नए लड़के अच्छा बहुत अच्छे आ रहे हैं और उनमें एक और नाम भी जुड़ रहा है तो यह बहुत ही अच्छी खबर है  साहित्य के लिए और पढ़ने वालों के लिए।’
लेखक राम पुजारी द्वारा जासूसी कहानियों और जासूसी उपन्यासों के बीच का फर्क पूछने पर लेखक वेद प्रकाश काम्बोज ने कालखण्ड, चरित्रों, और परिस्थतियों के हिसाब से इन दो तरह की रचनाओं के बीच का फर्क भी बतलाया। 
नीलम जासूस कार्यालय द्वारा किया गया राक्षस का विमोचन
राक्षस का विमोचन करते वेद प्रकाश काम्बोज, सुबोध भारतीय और राम पुजारी 

समारोह के अंत में सुबोध भारतीय द्वारा बताया कि पाठकों के प्रेम के कारण ही नीलम जासूस कार्यालय एक वर्ष के भीतर ही 70 के करीब पुस्तकें प्रकाशित करने में सफल हुआ है। उन्होंने यह भी बतलाया कि जनवरी विश्व पुस्तक मेले के आने तक प्रकाशन 100 पुस्तकें प्रकाशित करने के अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करेगा। सुबोध भारतीय ने सभी पाठकों को विश्व पुस्तक मेले में शिरकत कर प्रकाशन के स्टॉल में आने का निमंत्रण भी दिया। 
कार्यक्रम की समाप्ति प्रकाशन के एक वर्ष पूरे होने पर केक काटकर की गयी। इस दौरान सुबोध भारतीय ने लेखक राम पुजारी द्वारा प्रकाशन को दिये सहयोग के विषय में भी बताया।  कार्यक्रम के अंत में मेशु काम्बोज, जो कि वेद प्रकाश काम्बोज के छोटे पुत्र हैं, भी लाइव कार्यक्रम में आए। मेशु काम्बोज के विषय में बताते हुए सुबोध भारतीय ने कहा कि नीलम जासूस कार्यालय की परिकल्पना के पीछे मेशु कामबोज की महती भूमिका रही है। वह परदे के पीछे का कार्य करते हैं और प्रकाशन से जुड़े लोगों का जोश बढ़ाते रहते हैं। 
नीलम जासूस कार्यालय द्वारा किया गया तहकीकात और राक्षस का विमोचन
प्रकाशन के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर केक काटते वरिष्ठ लेखक वेद प्रकाश काम्बोज 
 
नीलम जासूस कार्यालय द्वारा किया गया तहकीकात और राक्षस का विमोचन
वेद प्रकाश काम्बोज, सुबोध भारतीय और मेशु काम्बोज 

कार्यक्रम को समाप्त करते हुए सुबोध भारतीय ने अपने पाठकों का धन्यवाद देते हुए कहा कि वह आगे से कोशिश करेंगे कि फेसबुक लाइव के बजाय गूगल मीट हो ताकि पाठकों के साथ संवाद स्थापित हो सके। 

कार्यक्रम का पूरा विडिओ निम्न लिंक पर जाकर देखा जा सकता है:
(नोट: सभी तस्वीरें फेसबुक लाइव के विडियो से साभार ली गयी हैं)

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2 Comments on “जासूसी साहित्य पत्रिका तहकीकात और नितिश सिन्हा के जासूसी उपन्यास राक्षस का हुआ विमोचन”

  1. लम्बे समय पश्चात एक जासूसी पत्रिका का प्रकाशन सराहनीय कार्य हू।।

    1. जी सही कहा। बेहतरीन पहल है। जासूसी पत्रिका की कमी खल रही थी जो पूरी अब जाकर हुई है।

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