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वेद प्रकाश कांबोज का जन्म 1 दिसंबर 1939 को दिल्ली के शाहदरा में हुआ था।
वेद प्रकाश कांबोज का पहला उपन्यास कँगूरा 1958 में प्रकाशित हुआ था जो कि पाठकों के बीच में आते ही छा गया था। यह उपन्यास रंगमहल कार्यालय खारी बावली दिल्ली से प्रकाशित हुआ था।
अपने पहले उपन्यास के प्रकाशन के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 60,70 और 80 के दशक में उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर थी।
वह पिछले साठ सालों से वह लेखन क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनके अब तक 400 से ज्यादा उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। लेखन के साथ उन्होंने कई रचनाओं का अनुवाद कार्य भी किया है।
वेद प्रकाश कांबोज विजय रघुनाथ शृंखला के लिए जाना जाते थे। इसके अलावा उनके द्वारा लिखी अलफाँसे शृंखला और सिंगही शृंखला भी पाठकों के बीच हिट हुई थी।
लोकप्रिय लेखन से लेखन की शुरुआत करने वाले वेद प्रकाश कांबोज ने जासूसी लेखन को त्याग कर अपने लेखकीय पारी के आखिरी दशकों में ऐतिहासिक विषयों और चरित्रों पर लेखन शुरू कर दिया था।
6 नवंबर 2024 को 84 वर्ष की उम्र में उनका देहावसान हुआ।
मुख्य कृतियाँ
शृंखलाएँ
एकल उपन्यास
अपराध साहित्य
- खतरे की खोपड़ी
- इंसाफ का जनाजा (अमेज़न)
- चंद्रहार के चोर (अमेज़न)
- रेलगाड़ी का भूत (अमेज़न)
- चंद्रमहल का खजाना (अमेज़न)
- तबाही का देवता (अमेज़न)
सामाजिक उपन्यास
- पत्ती झरा गुलाब
- कॉलेज का रोमांस
- प्रतिष्ठा
- नीड़ का पंछी
- मेरा प्यार पुकारे
ऐतिहासिक उपन्यास
- युगपुरुष विष्णुगुप्त चाणक्य एवं चंद्रगुप्त (अमेज़न)
- जुपिटर का बेटा सिकंदर महान (अमेज़न)
- सम्राट अशोक: राज्याभिषेक (अमेज़न)
- फ़िरंगिया
- ग़ालिब बदनाम
अनुवाद
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