आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। यह दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। आज के दिन महिलाओं के आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष में उत्सव की तरह मनाया जाता है। चूँकि एक बुक जर्नल में हम साहित्य की बात करते हैं और मेरी विशेष रूचि अपराध साहित्य में है तो आज महिला दिवस के उपलक्ष में हम आपके सामने ऐसी विशेष भारतीय महिला कथाकारों को लेकर आ रहे हैं जो कि साहित्य के इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
वैसे तो कई अंतरराष्ट्रीय लेखिकाएं जैसे कि अगाथा क्रिस्टी, रूथ रेंडेल, पैट्रीशिया कॉर्नवेल, पी डी जेम्स इत्यादि इस क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं परन्तु भारत में अभी भी इस क्षेत्र में पुरुषो के मुकाबले काफी कम माहिलायें ही सक्रिय हैं। ऐसे में इन महिलाओं का योगदान न केवल प्रशंसनीय है बल्कि प्रेरक भी है। उम्मीद है आगे जाकर और अधिक लेखिकाओं द्वारा इस शैली के उपन्यास लिखे जायेंगे और हम पाठकों को और अधिक मात्रा में रोमांचक अपराध साहित्य पढ़ने को मिलेगा।
तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसी महिला साहित्यकारों को कि अपराध साहित्य रच रही है। चूँकि मैं अक्सर हिन्दी और अंग्रेजी का साहित्य पढता है तो इस सूची में इन्हीं भाषा में लिखने वाले या अनूदित होने वाले भारतीय साहित्यकारों के विषय में लिखूँगा। आशा करता हूँ यह सूची आपको पसंद आएगी और आपको कुछ नया पढ़ने को मिलेगा।
गजाला करीम
गजाला करीम |
गज़ाला करीम हिन्दी में लिखने वाली ऐसी लेखिका हैं जिन्होंने 2005 से 2010 के बीच प्रचुर मात्रा में अपराध साहित्य लिखा था। वह शायद हिन्दी की पहली अपराध साहित्यकार थीं जो कि अपने नाम से लिखा करती थीं। वह मूलतः मेरठ की है और वेद प्रकाश शर्मा की शिष्या रही हैं। तुरुप का इक्का, ख्वाबों की शहजादी, कट्टो, गोल्डन बुलेट, लेडी हंटर उनके कुछ उपन्यासों के नाम हैं। हाल ही में उनका नया उपन्यास वंस अगेन रवि पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ था।
सबा खान मूलतः मुंबई की रहने वाली हैं। वह पेशे से शिक्षिका हैं। उनके लेखन की शुरुआत अनुवाद से हुई थी। उन्होंने रुनझुन सक्सेना(चालीसा का रहस्य), ली चाइल्ड(वन शॉट) और जेम्स हेडली चेस(आखिरी दाँव) के उपन्यासों का हिन्दी अनुवाद किया है। उन्होंने महासमर श्रृंखला के उपन्यासों ( महासमर:: परित्राणाय साधुनाम, महासमर: सत्यमेव जयते नानृतम) को रमाकांत मिश्र के साथ मिलकर लिखा है। महासमर के विषय में मुझे लगता है कि यह हिन्दी में लिखी पहली इकोलॉजिकल थ्रिलर है। भारत में अंग्रेजी में भी शायद कोई इकोलॉजिकल थ्रिलर नहीं लिखी गयी है। अगर ऐसा है और आपको पता है तो टिप्पणी बक्से में उस थ्रिलर का नाम जरूर बताइयेगा।
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रुनझुन सक्सेना
रुनझुन सक्सेना |
रुनझुन सक्सेना मुंबई से हैं और पेशे से दंत चिकित्सक है। रुनझुन सक्सेना मूलतः अंग्रेजी में लिखती हैं। उन्होंने द सीक्रेट ऑफ़ चालीसा नाम की थ्रिलर लिखी है जो कि हनुमान चालीसा पर आधारित है। वहीं उन्होंने शुभानन्द के साथ मिलकर ड्राप डेड नामक लघु उपन्यास लिखा है। ड्राप डेड क्राइम एमडी श्रृंखला का उपन्यास है जिसके तहत रुनझन सक्सेना और शुभानन्द फ्रोंसिक विज्ञान पर केन्द्रित अपराध साहित्य पाठको के समक्ष ला रहे हैं।
मंजरी प्रभु
मंजरी प्रभु |
मंजरी प्रभु का जन्म पुणे में 30 सितम्बर 1954 में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा सैंट जोसफ हाई स्कूल से की है। फर्ग्युसन कॉलेज से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई और पुणे विश्विद्यालय से फ्रेंच भाषा में मास्टर्स किया है। इसके पश्चात उन्होंने मुंबई के सोफिया कॉलेज से सोशल कम्युनिकेशन मीडिया में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया और फिर पुणे विश्वविद्यालय से कम्युनिकेशन साइंस में पी एच डी की डिग्री हासिल की।
मंजीरी राज्य शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (बालचित्रवाणी) में एक टीवी निर्माता के रूप में शामिल हुई, जहां उन्होंने बच्चों और युवा वयस्कों के उद्देश्य से 200 से अधिक इंफोकेशन कार्यक्रमों का निर्देशन किया।[ मंजिरी पुणे अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के संस्थापक-निदेशक भी हैं।`
उनकी अब तक दस से ऊपर किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह अंग्रेजी भाषा में लिखती हैं। उन्हें उनकी रहस्य कथाओं के लिए देसी अगाथा क्रिस्टी भी कहा जाता है। उन्होंने स्टेलर इन्वेस्टीगेशन डिटेक्टिव एजेंसी श्रृंखला में दो उपन्यास द कॉस्मिक क्लूस और स्टेलर साइनस लिखे हैं। इसके अलावा उन्होंने किशोरों के लिए द जिप्सीस ऐट नोएल स्ट्रीट नाम की रहस्य कथा लिखी है जो कि रीवा पारकर श्रृंखला की पहली किताब है। उन्होंने मिस्ट्री एट मालाबार कॉटेज नाम का बाल उपन्यास भी लिखा है। द केवनसाईट कांस्पीरेसी, इन द शैडो ऑफ़ इन्हेरीटेन्स,द ट्रेल ऑफ़ फोर, वोईस ऑफ़ द रून्स इत्यादि उनके कुछ अन्य उपन्यास हैं।
शर्मिष्ठा शेनॉय
कलकत्ता में जन्मी शर्मिष्ठा शेनॉय एक आई टी प्रोफेशनल थीं जिन्होंने टीसीएस,सत्यम, इनफ़ोसिस और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कम्पनियों में कार्य किया था। वह अब हैदराबाद में रह रही हैं। शर्मिष्ठा शेनॉय अपने विक्रम राणा श्रृंखला के उपन्यासों के लिए जानी जाती हैं। वह मूलतः अंग्रेजी में ही लिखती हैं। विक्रम राणा कभी पुलिस अफसर हुआ करता था लेकिन फिर जब उसने अपने कमीश्नर की इच्छा के खिलाफ जाकर एक ऐसे राजनीतिज्ञ पर हाथ डालने की जुर्रत की तो उसे मामले से हटाकर उसका ट्रान्सफर हैदराबाद से विजाग करा दिया गया। विक्रम राणा को यह स्थानान्तरण रास न आया और उसने अपनी पुलिस की नौकरी त्याग कर हैदराबाद जाकर अपनी डिटेक्टिव एजेंसी खोल ली। विक्रम राणा श्रृंखला के उपन्यास उसके केसेस पर ही आधारित रहते हैं। इस श्रृंखला के तहत लेखिका ने अब तक पाँच किताबें (विक्रम राणा इन्वेस्टिगेट्स, अ सीसन फॉर डाईंग, बिहाइंड का सीन्स , फेटल फॉलआउट, साइलेंट विटनेस) लिखी हैं। विक्रम राणा श्रृंखला के अलावा उन्होंने मर्डर इन चौधरी पैलेस नाम की रोमांचकथा(थ्रिलर) भी लिखी है।
मधुलिका लिडड्ल
मधुलिका लिडड्ल का जन्म आसाम में हुआ था। उन्होंने दिल्ली से अपनी शिक्षा दीक्षा की है। 1994 से 2008 के बीच उन्होंने कई जगह नौकरियाँ की लेकिन अब वह पूरी तरह लेखन कार्य ही करती हैं। मधुलिका लिडड्ल मूलतः अंग्रेजी भाषा में ही लिखती हैं। वह मुज्जफर जंग श्रृंखला की रहस्यकथाओं के लिए जानी जाती हैं। मुज्जफर जंग शाह जहाँ के दरबार के एक दरबारी है जो कि दिल्ली में रहता है। इस ऐतिहासिक गल्प में वह उस वक्त के रहस्यों को दर्शाते हुए दिखाया गया है। मुजफ्फर जंग श्रृंखला के अंतर्गत मधुलिका ने अब तक चार पुस्तकें(द इंग्लिश मैनस कैमियो, द एटथ गेस्ट एंड अदर मुजफ्फर जंग मिस्ट्रीज, एन्ग्रेवड इन स्टोन, क्रिमसन सिटी) लिखी हैं जिनमें से तीन उपन्यास और एक कहानी संग्रह हैं।
सुपर्णा चटर्जी
सुपर्णा चटर्जी |
सुपर्णा चटर्जी कलकत्ता में पली बढ़ी हैं। वह फिलहाल बेंगलुरु में रहती हैं। वह आल बंगाली क्राइम डिटेक्टिवस श्रृंखला के उपन्यास लिखती हैं। अखिल बैनर्जी एक रिटायर्ड जज हैं जो कि सेवानिवृत्त होने के बाद यह सोच रहे हैं कि अब वह क्या करेंगे। उन्हें अपनी जिंदगी निरुद्देश्य लगने लगती है। ऐसे जब जब उनके पड़ोस में एक अपराध होता है तो वह अपने तीन और सेवा निवृत्त साधियों बिभूति बोस, चन्दन मुखर्जी, और देबनाथ गुहा रॉय के साथ इस अपराध को सुलझाने का मन बना लेते हैं। इस श्रृंखला में सुपर्णा अब तक दो किताबें (द आल बंगाली क्राइम डिटेक्टिवस, द मिस्टीरियस डेथ ऑफ़ प्रोभोत सान्याल ) लिख चुकी हैं।
अनीता नायर
अनीता नायर |
अनीता नायर का जन्म केरल के पल्लकड जिले में हुआ। उनकी शुरूआती शिक्षा दीक्षा चेन्नई में हुई और वह स्नातक करने के लिए वापस केरल आई। केरल में आकर उन्होंने अंग्रेजी भाषा में बी ए किया। वह बेंगलुरु में एक विज्ञापन कम्पनी में क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर कार्य कर रही थी जब उनकी पहला कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ। अनीता नायर अंग्रेजी में लिखती हैं।
अनीता नायर एक जानी मानी लेखिका हैं अलग अलग शैली में लिखे अपने उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हैं। गम्भीर साहित्य, ऐतिसाहिक गल्प और अपराध साहित्य जैसी विधाओं में उन्होंने लिखा है और नाम कमाया है। अपराध साहित्य में वे इंस्पेक्टर गौड़ा श्रृंखला के उपन्यास (कट लाइक वूंड, चेन ऑफ़ कस्टडी) लिखती हैं।
अम्बई
अम्बई |
अम्बई सी एस लक्ष्मी का उपनाम है। तमिल नाडू के कोमिम्बटूर में 1944 में जन्मी सी एस लक्ष्मी एक महिला वादी लेखिका और शोधार्थी हैं। वह मुंबई और बेंगलुरु में पली बढ़ी थी। उन्होंने अपना बीए मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज, एम ए बेंगलुरु और पी एच डी जवाहर लाल यूनिवेर्सिटी नयी दिल्ली से किया था। वह मूलतः तमिल भाषा में लिखती हैं। सुधा गुप्ता नाम की प्राइवेट डिटेक्टिव को लेकर उन्होंने कुछ जासूसी रचनाएँ हैं जिनका हिन्दी (अँधेरी ओवरब्रिज पर एक मुलाकात, कागज की कश्तियाँ, अँधेरा घिरने पर) और अंग्रेजी(अ मीटिंग एट अँधेरी ओवरब्रिज, द पेपरबोट मेकर, एस द डे डार्केन्स) में अनुवाद जगरनोट नामक ऑनलाइन प्लेटफार्म द्वारा किया गया है।
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तो यह थीं कुछ भारतीय लेखिकाएं जो कि अपराध साहित्य लेखन में सक्रिय हैं। आपने इनमें से किन साहित्यकारों को पढ़ा है? हमें बताना नहीं भूलियेगा। क्या आप भी किसी भारतीय महिला अपराध साहित्यकार को जानते हैं जिनकी रचनाएँ हिन्दी या अंग्रेजी में उपलब्ध हों? अगर हाँ, तो हमे जरूर बताइयेगा।
बेहतरीन जानकारी, शुक्रिया
जी आभार….
उम्दा जानकारी…..
जी आभार….
अत्यंत उपयोगी एवं नवीन जानकारियां दीं आपने विकास जी । मधूलिका लिड्डल के विषय में जानकर तो मैं चौंक गया हूँ कि उन्होंने रहस्यकथाएं लिखी हैं । मैं तो उन्हें मूलत: उनके (पुरानी) फ़िल्मों संबंधी ब्लॉग dustedoff के संदर्भ में ही जानता हूँ एवं उनका बहुत बडा प्रशंसक हूँ । आपके द्वारा दी गई सूचना से ही आज पता चला कि वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं ।
जी आभार….जी वह काफी विषयों पर लिखती हैं…जानकारी आपको पसन्द आई यह जानकर अच्छा लगा….आभार…
विकास नैनवाल जी….. इसमें आप चंदर को भी जोड़ लिजीए…… वैसे मैंने इसमें से रुनझुन सक्सेना और सबा खान तथा अगाथा क्रिस्टी को ही पढ़ा है….. जरूरत है कि आपके ब्लाग में उपरोक्त वर्णित अंग्रेजी भाषा में लिखने वाली लेखिकाओं के बेहतर हिन्दी अनूदित उपन्यास बाजार में आयें….. विभिन्न लेखिकाओं से परिचित कराने का आभार…… आपका… सनी मिश्र
जी चंदर के उपन्यासों में उनका नाम नहीं था। फिर उनके पति भी उपन्यास साथ में लिखते थे इसीलिए उनका नाम नहीं लिखा। अगर उन्होंने अपने नाम से कुछ लिखा है तो बताईयेगा।आपने सही कहा कि अंग्रेजी उपन्यासों के हिन्दी अनुवाद आने चाहिए। ब्लॉग पर टिप्पणी करने के लिए आभार।
बहुत अच्छा और रोचक प्रयोग किया है।
कुसुम अग्रवाल का नाम रह गया। फिर भी अच्छी जानकारी दी है।।
धन्यवाद ।।
जी आभार…. कुसुम अग्रवाल के विषय में जानकारी नहीं थी.. उन्होंने कौन सी पुस्तकें लिखी हैं यह भी बताइयेगा… इसी बहाने मेरी जानकारी में कुछ इजाफा हो जायेगा..
गजाला करीम का नाम 'वन्स अगेन' था। 'I am back' नाम की घोषणा हुयी थी बाद में नाम 'वन्स अगेन' कर दिया था।
– गुरप्रीत सिंह
http://www.sahityadesh.blogspot.com
शुक्रिया….
अपडेट कर दिया है.. इस जानकारी के लिए शुक्रिया….
Nice and informative article Vikas Ji
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा…वेबसाइट पर आते रहिएगा…
काफी रोचक जानकारी
जी आभार…
बहुत अच्छी जानकारी ।रोचक लेख ।साधुवाद।
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा… आभार….