समीक्षा: विराट 8

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | चित्रांकन : कदम स्टूडियो | कॉमिक रूपांतर: हनीफ अज़हर | कहानी: कमलेश्वर 

समीक्षा: विराट 8 | Comic book Review: Virat 8

कहानी

विराट ने आखिरकार दुर्जन सिंह और नटवर को प्रचण्डदेव की कैद से छुड़वा लिया था।  अब उनका लक्ष्य प्रचण्डदेव के तिलस्म को खत्म कर न्याय प्रमुख की बेटी यशोधरा और राजनर्तकी को छुड़वाना था। 

पर यह सब करना इतना आसान नहीं था। 

प्रचण्डदेव और कालभैरव विराट और उसके साथियों की हर गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। प्रचण्डदेव के शैतानी दिमाग में उन्हें रोकने की लिए ऐसी ऐसी शैतानी चालें थी जिसके चलते उसे यकीन था कि वह विराट और उसके साथियों के इरादों के न केवल निस्तेनाबूद कर देगा बल्कि उन्हें मौत के घाट भी उतार देगा। 

क्या विराट और उसके साथी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाए? 

प्रचण्डदेव ने उन्हें अपनी किन तिलस्मी चालों से घेरा? 

क्या  विराट और उसके साथी इन चालों का सामना कर पाए?

मेरे विचार

विराट 8 जैसा की नाम से ही जाहिर है  विराट कॉमिक बुक शृंखला का आठवाँ कॉमिक बुक है। विराट की कहानी जो सुंदरगढ़ आने से शुरू हुई थी वह अब अपने पहले पड़ाव की तरफ बढ़ती जा रही है। सुंदरगढ़ में उसका पहला दुश्मन कालभैरव था जो अपने गुरु प्रचण्डदेव की क्षत्रछाया में रह कर ही अपने षड्यन्त्र बुन रहा था। इस मायावी प्रचंडदेव के तिलस्म में विराट घुस चुका है और अब उसकी गर्दन की तरफ बढ़ता जा रहा है। 
प्रस्तुत कॉमिक बुक में पाठक विराट का शौर्य तो देखते ही हैं साथ में प्रचण्डदेव की कुटिलता भी उन्हें देखने को मिलती है। व्यक्ति पूरी दुनिया से तो लड़ सकता है लेकिन अपनों से लड़ते हुए कमजोर पड़ जाता है। यह बात प्रचण्डदेव जानता है और इसका इस्तेमाल विराट के खिलाफ़ बाखूबी करता है। विराट पर इसका असर भी होता है लेकिन फिर एक पुराना साथी आकर उसे वो बात समझाता है जो अक्सर भावनात्मक क्षणों में हम भूल जाते हैं। भावना के अतिरेक में किया गया काम बहुत बार हमें नुकसान ही करता है और इसलिए योद्धाओं को चाहिए कि वह सोच समझकर ठंडे दिमाग से  कार्य करें। वहीं यह प्रसंग दर्शाता है कि जीवन में दोस्त होना कितना जरूरी है। 
कथानक शुरू से ही अपनी पकड़ आप पर बना लेता है। कहानी में एक्शन की कमी नहीं है। फिर कथानक जैसे  आगे बढ़ता है तो प्रचंडदेव की ज़िंदगी के विषय में विराट के साथ साथ पाठकों को भी नई जानकारी मिलती है और विराट उस जानकारी को इस्तेमाल कॉमिक बुक के अंत में करते हुए भी दिखता है। 
यह बात तो तय है कि अगले भाग में विराट के समक्ष अब मुसीबतों के पहाड़ आने वाले हैं। वह इन्हे पार कर अपने लक्ष्य तक कैसे पहुँचता है यह देखने के लिए पाठक इस कॉमिक को पढ़ने के बाद जरूर उत्सुक रहेगा। 
कथानक की कमी की बात करूँ तो एक दो ही चीजें ऐसी थी जो मुझे थोड़ी सी खटकी। 
कॉमिक बुक में जलनगरी की रानी जलराश्मि आती है। वह विराट को एक बात बताती है जो अगले भाग की कहानी का नींव रखती है। जो बात वह विराट से साझा करती है वह उसे कैसे पता चली यह प्रश्न मेरे दिमाग में खटकता रहा था। जलरश्मि की बात चली है तो कॉमिक में जलरश्मि के मन में विराट के लिए कुछ विशेष भाव दिखाई देते हैं। वैसे तो शृंखला का आखिरी भाग ही बचा है जो कि मुझे लगता है इन दोनों के रिश्ते पर कोई रोशनी नहीं डालेगा लेकिन अगर कहानी आगे बढ़ाई जाती तो इस रिश्ते का क्या हुआ यह मैं जरूर जानना चाहता। 
कॉमिक में अभी विराट को एक इंसान ही दिखाया गया है जिसमें कोई दैविक शक्ति नहीं थी। कहानी में भी अब तक वह इसी अनुरूप कार्य करता आया है। अतिशयोक्ति का इस्तेमाल नहीं किया गया है लेकिन इस कॉमिक में जिस तरह से वह पहले तिलस्म की सुरक्षा के लिए तैनात मूर्ति पर काबू पाता है वह काफी अतिशयोक्ति पूर्ण था। उसकी जगह कोई दूसरा रास्ता उसे अखितयार करते दिखाया जा सकता था क्योंकि ये करने का विकल्प उधर मौजूद था। 
कॉमिक बुक का आर्टवर्क इस बार कदम स्टूडियो ने किया है और यह आर्टवर्क निराश करता है। काफी पैनल्स, विशेषर जिसमे विराट का साइड पोस है, में किरदार को ढंग से नहीं बनाया गया है। कॉमिक बुक में विराट का भाई सुनायक भी मौजूद है। इस किरदार को धारावाहिक में गजेन्द्र चौहान ने निभाया था। शुरुआती कॉमिक में किरदार उनकी शक्ल पर ही आधारित था। इस कॉमिक बुक में भी साइड पोस में कई जगह वह वैसा ही दिखता है लेकिन ज्यादातर जगह चलती चाल में उसे बनाया गया है। कॉमिक में सुनायक बैंगनी रंग की पोशाक में रहता है और विराट आसमानी नीले रंग की पोशाक में लेकिन कई जगह दोनों के पोशाक का रंग भी एक जैसे ही आसमानी नीला कर दिये गए हैं। बाकी किरदार भी ऐसे ही चलती चाल में बनाए गए लगते हैं। यहाँ ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर पहले से ही किरदारों के चेहरे मोहरे धरावहिक में किरदार निभाने वाले कलाकारों के जैसे न बनाए होते तो यह चीजें इतनी खलती नहीं लेकिन चूँकि कुछ जगह पर वो उनके जैसे दिखते हैं और कुछ जगह बिल्कुल अलग तो यह बात अभी खटकती है। 
अंत में यही कहूँगा कि यह कॉमिक बुक मुझे पसंद आया है और मैं अगले भाग को पढ़ने के लिए आतुर हूँ। यहाँ पर मैं अगर कहूँ कि इस शृंखला के कॉमिक बुक राज राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक्स में मेरी पसंदीदा कॉमिक बुक्स में से एक बन चुके हैं तो मैं गलत नहीं होऊँगा। अगर आपने इन्हें नहीं पढ़ा है तो एक बार आपको इन्हें पढ़कर देखना चाहिए।

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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