कॉमिक 5 अगस्त 2020 को पढ़ी गयी
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 46 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स |आईएसबीएन: 9789332416710
कहानी: कमलेश्वर | कॉमिक रूपान्तर: हनीफ अजहर | चित्र: कदम स्टुडियो | सम्पादक: मनीष गुप्ता | शृंखला: विराट
विराट |
कहानी:
सुंदरगढ़ राज्य का दक्षिणी क्षेत्र राज्य के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक था। वहाँ बहुमूल्य रत्नों की इतनी खदाने थी कि उस क्षेत्र पर न केवल बाहरी दुश्मनों बल्कि भीतरी लुटेरों की भी नजरें टिकी रहती थी। यही कारण था कि इस प्रांत के लोगों पर इस क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी थी। इसी दक्षिणी प्रांत के पूर्व-सरपंच वीरबाहू, जिन्होंने देश के लिए लड़ते हुए अपनी जान दी थी, का सबसे छोटा पुत्र था विराट।
विराट अब बढ़ा हो चुका था और अस्त्र शस्त्र की विद्या में पूर्णतः पारंगत था। अपने प्रांत के सभी लोगों के प्यारे विराट को अब अपनी आखिरी परीक्षा से गुजरना था। इस परीक्षा को पार करके ही यह समझा जाता कि विराट अपने स्वर्गवासी पिता और बड़े भाई के पदचिन्हों पर चलते हुए देश के लिए लड़ने को तैयार था।
क्या विराट परीक्षा में सफल हो सका?
परीक्षा के पश्चात विराट की जिंदगी में क्या बदलाव आये?
मुख्य किरदार:
विराट- सुंदरगढ़ राज्य के दक्षिण प्रांत के एक कबीले का लड़का
सुनायक – विराट का बड़ा भाई
वीरबाहू – विराट के पिता जो कि दक्षिण प्रान्त के सरपंच थे
नटवर – विराट का मित्र
शब्बी – सुनायक की पत्नी
सुनयना – विराट की मंगेतर, पुजारी जी की बेटी
पुजारी जी – दक्षिण प्रांत के देवी चण्डिका के मन्दिर के पुजारी
काल भैरव – सुंदरगढ़ का सेनापति
दुर्जन सिंह – सुंदरगढ़ का उप-सेनापति
महाराज विजय सिंह – सुंदरगढ़ का राजा
दत्तात्रेय – सुंदरगढ़ के राजगुरु
चतुरा – कालभैरव की दासी
मीनाक्षी – सुंदरगढ़ के राजगुरु की बेटी
मेरे विचार:
बहुत दिनों से मैंने कोई कॉमिक नहीं थी। इससे पहले मई के महीने में ही एक कॉमिक आधिरा मोही: विचित्र पुर का शैतान पढ़ी थी। इसके बाद काफी कुछ हुआ, एक आध कॉमिक पढ़ने की कोशिश भी की लेकिन फिर वह कॉमिक पढ़ना भी रह ही गया। ऐसे में जब कुछ दिन पहले मुझे अपने शेल्फ पर विराट श्रृंखला की कॉमिक्स दिखीं तो मैंने इन्हें पढ़ने का मन बना लिया।
विराट अगर आप नहीं जानते हैं तो बहुत पहले दूरदर्शन में प्रसारित होने वाला धारावाहिक था। उस वक्त यह श्रृंखला काफी प्रसिद्ध हुई थी। मैंने भी उस वक्त इसके काफी एपिसोड देखे थे लेकिन सच बताऊँ तो अब न मुझे इसकी कहानी याद है और न इसके अन्य मुख्य किरदार। बस ये याद है कि विराट के रूप में मुकेश खन्ना था और इस श्रृंखला में राजघरानों में होते छल कपट और षड्यंत्रों को दर्शाया गया था जिससे विराट को जूझना पड़ता है। हाँ, विराट के विषय में सोचता हूँ तो मन में इसकी यह स्मृति है की मुझे यह पसंद आया था। ऐसे में राज कॉमिक्स की साईट में जब मैंने इस श्रृंखला को देखा तो खुद को खरीदने से रोक नहीं पाया। श्रृंखला की जितनी कॉमिक उस वक्त साईट पर मौजूद थीं वो खरीद ली और फिर इन्हें यहाँ उत्तराखंड ले आया। जब इन्हें लाया तो उस वक्त तो इन्हें पढ़ने का मौक़ा नहीं लगा लेकिन अब लॉकडाउन के चलते इधर हूँ तो आखिरकार मौका लग गया है।
विराट धारावाहिक की कहानी कमलेश्वर जी ने लिखी थी और इसे कॉमिक बुक फॉर्म में हनीफ अजहर साहब ने रूपांतरित किया है। कमलेश्वर जी की कुछ रचनाएँ मैं पढ़ चुका हूँ और हनीफ अजहर साहब की फ्रेंडी श्रृंखला के कॉमिक इसी साल पढ़े थे तो इस श्रृंखला से भी उम्मीद काफी है।
इस कॉमिक बुक के बात करूँ तो यह श्रृंखला की पहली कॉमिक है। ऐसे में यह एक तरह से कहानी के मुख्य किरदारों और वह किरदार कहाँ बसें हैं उससे आपका पहला परिचय कराती है। इसी कॉमिक बुक में आप कहानी के नायक और खलनायक दोनों से मिलते हैं। आप उनकी इच्छाओं और आकाँक्षाओं से परिचित होते हैं।
कहानी जैसे शीर्षक से ही ज्ञात होता है विराट की है। विराट सुंदरगढ़ राज्य के दक्षिण क्षेत्र के वीरबाहू का छोटा लड़का है। सुंदरगढ़ का दक्षिणी प्रांत इस राज्य के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं और यहाँ का कबीला और उसका सरपंच इसी कारण से बहुत महत्व रखता है। वीरबाहू कभी दक्षिण क्षेत्र का सरपंच हुआ करता था लेकिन अपने देश के लिए लड़ते हुए उसने अपनी जान दे दी थी। अब वीर बाहू के दोनों लड़के-सुनायक और विराट यह जिम्मेदारी निभाने को तत्पर हैं। सुनायक विराट से बढ़ा है और देश के सबसे योग्य योध्याओं में उसका नाम लिया जाता है। वहीं विराट ने अभी अपनी शिक्षा पूरी की है और अभी से अपने प्रांत के सबसे कुशल योद्धाओं में वह जाना जाता है। कॉमिक बुक में हमे विराट की वीरता के कारनामे पल पल दिखाई देते हैं। हमे यह पता चलता है कि विराट अस्त्र शस्त्र की विद्या में माहिर है और शायद इस प्रांत या देश में उसके टक्कर का कोई नहीं है। यह सब विराट की शिक्षा की आखिरी परीक्षा और उसकी एक यति के साथ हुई लड़ाई से दर्शाया गया है।
पर विराट की सबसे बड़ी खासियत उसका योद्धा होना नहीं है वरन यह है कि भले ही वह सबसे कुशल योद्धा है लेकिन उसके मन में दया और करुणा का विचार ही सर्वप्रथम आता है। वह हथियारों की जगह प्रेम और दया में विश्वास रखता है। तभी तो जब पुजारी जी उसे माँ चण्डिका का धनुष उपहारस्वरूप देते हैं तो पहले पहल वह उसे लेने को मना कर देता है:
क्षमा करें पुजारी जी! अस्त्र-शस्त्रों का अस्वीकार किसी का अपमान नहीं है। ये हथियार मेरी आत्मा को कचोटते हैं।
यही नहीं उसकी भाभी शब्बी भी अपने पति सुनायक से यह प्रश्न पूछती है:
जो किसी के दुःख को देखते ही दुखी हो जाए उसे चट्टान कैसे बनाओगे?
तो ऐसे कोमल मन के मालिक विराट की कहानी यह है जिसे अपनी वीरता के चलते सुंदरगढ़ राज्य में जाने का मौका मिलता है और उधर वह वहाँ की कुटिल चालों का शिकार बन जाता है। वह इन कुटिल चालों से कैसे बचता है और कैसे वह करता है जो कि न्याय संगत है यह देखने को आप उत्सुक रहते हैं।
इस कॉमिक में पाठक की मुलाकात सुंदरगढ़ राज्य के सेनापति कालभैरव से होती है। काल भैरव सुंदरगढ़ के राजा की पत्नी का भाई है। वह एक कुटिल और मक्कार व्यक्ति है। उसकी अपनी कुछ इच्छाएं हैं जिनको पूरा करने के लिए वह कुछ भी कर सकता है। उसकी इन इच्छाओं से पाठक का परिचय होता है और वह जान जाता है कि कालभैरव ही कहानी का मुख्य खलनायक बनकर उभरेगा। विराट और काल भैरव की इस कॉमिक में ही मुलाक़ात होती है और वहीं पर उसकी कुटिलता का अहसास पाठक को हो जाता है।
इन किरदारों के अलावा कई और किरदारों से पाठक मिलता है और सुंदरगढ़ राज्य में होने वाली कई अन्य चीजों के विषय में वह जानता है। मसलन सुंदरगढ़ के राजा इन दिनों परेशान चल रहे हैं। सुंदरगढ़ के राजगुरु और उनकी पुत्री मीनाक्षी गायब हैं। विराट के पिता की हत्या किसी युद्ध में नहीं बल्कि एक धोखे के चलते हुई थी। राजा परेशान क्यों है? राजगुरु और उनकी पुत्री क्यों गायब है? विराट के पिता की हत्या किसने और क्यों की और क्या विराट कभी इस बात को जान पायेगा? अगर जानेगा तो यह बात जाकर वह आगे क्या करेगा? ऐसे है कई प्रश्न हैं जिनके उत्तर आपको या तो इस कॉमिक में मिल जाते हैं या जिनके उत्तर जानने के लिए आप श्रृंखला एक अगले कॉमिक जरूर पढ़ना चाहेंगे।
इस कॉमिक में विराट केवल सुंदरगढ़ राज्य की सीमा पर पहुँच पाया है और आते ही उसका सामना वहाँ चल रहे षड्यंत्र और लोगों में मौजूद कुटिलता से हो गया है। ऐसे में पाठक जब इस कॉमिक को खत्म करता है तो उसका मन खुद ही श्रृंखला के अगले कॉमिक को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता है।
कॉमिक का आर्टवर्क मुझे पसंद आया। मूल धारावाहिक में जिस जिस अभिनेता ने जो जो किरदार निभाया था उस किरदार को उन्हीं के जैसे बनाया गया है। महिला किरदारों को तो मैं इतना नहीं पहचान पाया लेकिन अगर आपने 90’s के टेलीविज़न प्रोग्राम देखें हैं तो सुनायक, कालभैरव, विराट को देखकर तो उन्हें पहचान ही जायेंगे। मैं इन्हें तो पहचान ही गया था।
अंत, में यो मैं यही कहूँगा कि यह कॉमिक मुझे पसंद आया। कॉमिक का कथानक रोचक है और पाठक की उत्सुकता अंत तक बनी रहती है। विराट और काल भैरव का किरदार मुझे पसंद आया। उनके आपसी टकराव और इस टकराव में होने वाले दाव पेंचों को देखने की इच्छा अब जागृत हो गयी है। मुझे अब देखना है आगे जाकर कहानी में क्या मोड़ आता है। कॉमिक ने श्रृंखला के दूसरे कॉमिक पढ़ने के लिए उत्सुक कर दिया है।
रेटिंग: 4/5
अगर आपने इस कॉमिक तो पढ़ा है तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
किताब निम्न लिंक पर जाकर मँगवा सकते हैं:
राज कॉमिक्स के अन्य कॉमिक्स जो मैंने पढ़े हैं:
प्रिय अब पाठकों आपसे कुछ प्रश्न:
प्रश्न: बांकेलाल, विराट और भोकाल को छोड़कर क्या कोई ऐसी कॉमिक बुक श्रृंखला है जो राजा महाराजाओं के वक्त की हो?
प्रश्न: विराट एक टीवी धारावाहिक का कॉमिक बुक रूपान्तर है। ऐसे कौन से पाँच धारावाहिक हैं जिनका आप कॉमिक बुक रूपान्तर पढ़ना चाहेंगे?
आपके उत्तरों का इन्तजार रहेगा। कमेन्ट बॉक्स में लिखकर अपने उत्तरों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
विराट के जिन एपिसोड्स पर यह कॉमिक बुक आधारित है वह एपिसोड आप निम्न लिंक पर जाकर देख सकते हैं:
पहला एपिसोड:
दूसरा एपिसोड:
तीसरा एपिसोड
चौथा एपिसोड
उम्मीद है धारावाहिक की यह कड़ियाँ आपको पसंद आयेंगी।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
बहुत सुन्दर।
जानकारी के लिए धन्यवाद।
जी आभार, सर…