विराट 6

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: विराट #6
कॉमिक रूपान्तर: हनीफ अज़हर | सम्पादक: मनीष गुप्ता | चित्रांकन: कदम स्टुडियो 

कॉमिक बुक समीक्षा: विराट 6



कहानी:

विराट ने प्रचण्डदेव की मायावी ताकतों अंगला और मंगला पर विजय तो पा ली थी लेकिन वो अभी तक यशोधरा के पास नहीं पहुँच पाया था। 

वहीं अंगला मंगला की मृत्यु से रुष्ट होकर प्रचण्डदेव ने एक मायावी आँधी पैदा की जिसकी चपेट में आकर विराट समुद्र में जा गिरा। वह समुद्र जहाँ एक और मुसीबत उसकी राह देख रही थी। 

समुद्र के भीतर बसी जलनगरी में जलपरियों का वास था। जलनगरी की यह जलपरियाँ इन दिनों आतंक के साये में जी रही थीं। ऐसा आतंक जिससे वह चाहकर भी खुद को मुक्त नहीं कर पा रही थीं। 

आखिर कौन था जिसने जल परियों को आतंकित कर रखा था?
क्या विराट उनकी मदद कर पाया?
 क्या विराट इस समुद्र से निकल पाया?

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मेरे विचार:

विराट 6 विराट श्रृंखला का छँटवा कॉमिक बुक है। वैसे तो इससे पहले मैंने विराट श्रृंखला का चौथा कॉमिक पढ़ा था और उसके बाद पाँचवा पढ़ना चाहिए था लेकिन चूँकि मेरे पास पाँचवा पार्ट उपलब्ध नहीं था और कहीं से मिलने की जुगत भी नहीं लग पाई थी तो सोचा बाकी पार्ट्स तो निपटा ही दूँ। 

विराट 4 की कहानी के अंत में विराट ने यह फैसला कर लिया था कि उसके ऊपर जो न्याय प्रमुख की बेटी   यशोधरा के अपहरण करने का झूठा आरोप लगा था वह उससे खुद को मुक्त करा देगा। चौथे कॉमिक में वो इसी प्रण को पूरा करने के लिए निकल पड़ा था जहाँ उसका रास्ता अंगला मंगला ने रोक दिया था।  विराट श्रृंखला के इस छ्टे कॉमिक बुक में भी विराट यशोधरा का पता नहीं लगा पाया है। श्रृंखला के पाँचवे भाग में उसने अंगला मंगला तो मार तो दिया था लेकिन इससे प्रचण्ड देव के कोप का भाजन उसे बनना पड़ा था। प्रचण्ड देव का कोप किस तरह विराट पर गिरता है और इससे विराट और उसके दोस्त नटवर के साथ क्या होता है यह इस कॉमिक बुक में पता चलता है।

कॉमिक का शुरूआती हिस्सा अब तक घटित कहानी को संक्षिप्त रूप से बतलाता है और इससे मेरे जैसे पाठक जिनके पास बीच का कॉमिक गायब है वो भी इस कहानी का अंदाजा लगा सकता है। 

अगर इस कॉमिक की बात करूँ तो इस कॉमिक में विराट अपने मूल लक्ष्य से अलग जाकर एक अलग तरह के खलनायक से भिड़ता दिखाई देता है। यही नहीं वह अलग दुनिया में अपनी लड़ाई लड़ता दिखता है। 

कॉमिक बुक रोचक है और आपका मनोरंजन करती है। खलनायक खतरनाक हैं और विराट के समक्ष अच्छी चुनौती प्रस्तुत करते हैं। मुख्य खलनायक त्रिकाल नाम का जलदैत्य है जिसकी एंट्री जिस तरह से होती है वह मुझे पसंद आई। हाँ, जब उसकी एंट्री हुई थी तो काफी ताकतवर लगा था लेकिन जब वह विराट से लड़ते हुए दिखता है तो उससे कम ताकतवर लगता है। विराट को उससे लड़ते वक्त थोड़ा और परेशानी उठानी पड़ती तो मुझे लगता है कि कथानक अधिक रोमांचक हो जाता। 

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इसके अलावा कॉमिक पढ़ते हुए दो तीन बातें थी जो कि मेरे दिमाग में घूम रही थी। 

पहली यह कि जलनगरी में केवल जलपरियाँ ही थी। उधर कोई भी आदमी (परे) दिखलाई नहीं पड़ रहा था। आदमी किधर थे इस बात की कोई जानकारी कॉमिक में नहीं दी गयी है। न ही विराट के मन में इस बात को लेकर शंका आती है। इस विषय में बतलाना चाहिए था।

दूसरी बात यह थी कि कहानी का ज्यादातर हिस्सा पानी के अन्दर ही घटित होता है। वहीं विराट जो लड़ाई लड़ता है वह काफी हद तक पानी में ही लड़ता है लेकिन फिर भी उसे साँस लेने में तकलीफ नहीं होती है। यह बात थोड़ा मुझे अचरज में डालने वाली लगी। विराट बिना दिक्कत के ऐसे कैसे कर पाया इसके पीछे कोई कारण दिया होता तो शायद बेहतर होता। 

इन दोनों बातों को छोड़कर कहानी अच्छी है और विराट की ज़िन्दगी का एक रोमांचक अध्याय पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है। यहाँ ये बात नोट करने वाली है इस कॉमिक की शुरुआत में विराट और नटवर बिछड़ जाते हैं। विराट के साथ क्या हो रहा है वह तो इस कॉमिक में दर्शाया गया है लेकिन नटवर के साथ क्या हुआ इस बात पर कोई रौशनी नहीं डाली गयी है। उम्मीद है अगले भाग में  नटवर के साथ क्या हुआ यह बतलाया जायेगा। 

कॉमिक के आर्टवर्क की बात करूँ तो आर्टवर्क मुझे अच्छा लगा। कहानी को सूट करता है। 

अंत में यही कहूँगा कि एक यह कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। कॉमिक के अंत में विराट को कुछ ऐसी चीज मिलती है जो कि अगले कॉमिक बुक की तरफ उत्सुकता जगा देती है। चूँकि श्रृंखला का सातवाँ भाग मेरे पास उपलब्ध है तो जल्द ही मैं उसको भी पढूँगा। 

अगर आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? मुझे इस विषय में जरूर बताइयेगा। 

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© विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “विराट 6”

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक।

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