संस्करण विवरण
फॉर्मैट: ई बुक | प्रकाशक: तुलसी कॉमिक्स | प्लैटफॉर्म: प्रतिलिपि | कथानक: विजय कुमार वत्स | चित्रांकन: शारदा प्रसाद अहीर | सम्पादन: प्रमिला जैन
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
कहानी
विशालनगर एक बड़ा राज्य था जहाँ के लोग सुख और चैन से रहते आ रहे थे। लेकिन फिर उनके साथ ऐसी घटनाएँ घटने लगी कि वहाँ खौफ का माहौल बन गया।
हर रात राज्य में एक हवा का झोंका आता था और वह अपने साथ विशालनगर के एक व्यक्ति को ले जाता था।
लोगों के खोजने पर भी उस व्यक्ति का कुछ पता नहीं चलता था। धीरे धीरे जब लोगो के गायब होने की संख्या बढ़ती चली गई तो विशालनगर के राजा विशालसैन भी परेशान रहने लगे। लोग उनके पास मदद की गुहार लेकर आए थे लेकिन राजा को पता नहीं था कि वह किस तरह से अपने लोगों को इस विपत्ति से निजाद दिला सकते थे।
आखिर इस मायावी हवा के झोंके का राज क्या था?
यह हवा का झोंका लोगों को गायब कर उनका क्या करता था?
क्या विशाल सैन अपनी प्रजा को इस विपत्ति से मुक्त करा पाए?
उन्होंने इस काम को करने के लिए क्या उपाय किए?
किरदार
विशाल सैन – विशालगढ़ का राजा
तुंगभद्र ऋषि – निधिवन में रहने वाले ऋषि
जयंत – विशालगढ़ का नागरिक और विशालगढ़ के भूतपूर्व सेना पति का बेटा
कुलवन्त – जयंत के पिता जो कि विशालगढ़ के सेनापति थे
पदमा – विशालगढ़ की महारानी
त्रिलोचन – महारानी का प्रेमी
मूसा – तुंगभद्र ऋषि का तांत्रिक मित्र
मेरे विचार
मध्ययुगीन काल में बसाई गयी कहानियाँ मुझे पसंद आती हैं। राजाओ के आपसी विवाद, महलों में होने वाली साजिशें, गुप्तचर इत्यादि कई ऐसे बिन्दु होते हैं जिन पर यह कहानी लिखी जाती हैं और पढ़ते हुए आपको रहस्य और रोमांच मुहैया करवा देती हैं। ऐसे में जब आजकल मैं प्रतिलिपि पर कॉमिक्स पढ़ रहा हूँ तो मेरी कोशिश ये भी है मध्ययुगीन कालखण्ड में बसाई गयी कॉमिक बुक भी मैं पढ़ूँ।
मौत की रात भी एक ऐसे ही कहानी है। कहानी विशाल नगर नामक राज्य की है जहाँ पर इन दिनों एक मौत की हवा का आंतक छाया हुआ है। यह मौत की हवा विशालगढ़ के एक पुरुष नागरिक का अपहरण करती है और इसके पश्चात उसे गायब कर देती है। विशालगढ़ के राजा भी इस हवा के कारण परेशान है। यह हवा क्या चीज है? विशालगढ़ इस मुसीबत से छुटकारा पा पाता है या नहीं? और विशाल गढ़ को कौन इस मुसीबत से निजाद दिलाता है? यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसका उत्तर देते हुए यह कथानक आगे बढ़ता है।
कॉमिक बुक के कथानक के विषय में मैंने जितना अब तक लिखा है उससे यह काफी अच्छा कथानक लग सकता है पर ऐसा नहीं है। कई बार कुछ विचार अच्छे तो होते हैं लेकिन लेखक उन्हे ढंग से क्रियान्वित नहीं कर पाता है। यह कॉमिक इसका ही उदाहरण है।
कॉमिक के कथानक एक रहस्य से शुरू होता है। एक अच्छा लेखक होता तो वह कॉमिक के नायक से इस रहस्य को सुलझवाता जिससे कथानक में रोमांच बना रहता लेकिन लेखक ऐसा नहीं करता है। लेखक कथानक में नायक को उसके गुरु के माध्यम से हवा के झोंके के रहस्य के विषय में पता लगवा देता है जो कि कथानक से रोमाँच का तत्व छीन लेता है।
कहानी में एक ऐसा राजा है जो कि इतना भोला है कोई भी उसे बेवकूफ बना देता है। एक अंजान व्यक्ति उसके सेनापति को मार देता है और वह केवल एक चिट्ठी की बदौलत यह मान लेता है कि सेनापति गद्दार था। यही नहीं वह राजा एक अंजान आदमी को बिना कुछ सोचे समझे अपना सेनापति भी बना देता है। अगर उस राजा के जगह कोई बच्चा भी होता तो शायद ऐसा नहीं करता। एक बार तो यह बात भी मान ली जाए कि सेनापति के गद्दार होने पर राजा का विश्वास हो गया लेकिन ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जो कि एक आदमी को जाने बिना उसके हाथ में अपने राज्य की कमान दे देगा? यह काम वह दो बार करता है। पहले बार गलत साबित होने पर भी सचेत नहीं होता है। ऐसा लगता है विशाल नगर का राजा केवल सेनापति बनाना जानता है क्योंकि जब इस राजा के पास लोग अपनी मुसीबत लेकर आते हैं तो यह उस मुसीबत से निपटने के लिए कुछ करता नहीं दिखता है। बस अपने मंत्री से मंत्रणा कर खानापूर्ति कर देता है। इस तरह से लेखक ने राजा को बिल्कुल नाकारा तो दर्शाया ही है साथ ही कॉमिक बुक से एक रोमांचक अंश भी छीन लिया है। इसकी जगह अगर लेखक को इस हवा के झोंके के खिलाफ कुछ करते दिखाते और फिर राजा को उस कार्य में असफल होते दर्शाते तो कथानक में रोमांच तो आता है साथ ही नायक का मूल्य भी बढ़ जाता लेकिन यह कमजोर लेखन का उदाहरण ही कि लेखक ऐसे मौके को जाने देते हैं।
वहीं कहानी में एक व्यक्ति है जो कि तंत्र विद्या से राज्य हथियाना चाहता है। लेकिन वो एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास राज्य में इतनी ताकत है और उसके साथ ऐसी शख्सियत है जिसके होने से वह आसानी से बिना तंत्र विद्या के अपने इरादे में कामयाब हो सकता है। ऐसे में उसका ऐसा रास्ता अपनाना तर्कसंगत नहीं लगता है। चूँकि लेखक को ऐसा दिखलाना था तो उन्होंने दिखला दिया है। वहीं उस व्यक्ति के तंत्रविद्या के तरफ उन्मुख होने के पीछे का कोई ठोस कारण लेखक दर्शाते तो शायद अच्छा होता।
कहानी पढ़ते हुए यही लगता है कि लेखक को विचार तो अच्छा आया लेकिन वह इस पर शायद मेहनत करने के मूड में नहीं थे और उस विचार को लेकर उन्होंने कुछ भी लिख दिया जो कि संपादक ने बिना देखे पास करके प्रकाशित कर दिया। मुझे लगता है कि अगर लेखक इस पर थोड़ी मेहनत करते और संपादक भी ढंग से इसका सम्पादन करते तो यह एक बहुत अच्छा कॉमिक बुक बन सकता था। जयंत मौत की हवा का पता लगाता और इस दौरान उसे अपने अभिभावकों के साथ हुई घटनाओं के बारे में पता लगता तो शायद पाठकों के लिए यह बेहतर होता। अभी तो यह सीधी सपाट कहानी बन कर रह जाती है। नायक और खलनायक के बीच की लड़ाई जहाँ रोमांचक बनाई जा सकती थी वहाँ भी इसे सीधा सरल बनाकर कथानक के रोमांच को कम कर दिया गया है।
कॉमिक बुक में चित्रांकन शारदा प्रसाद अहीर का है जो कि अच्छा है। मुझे ऐसा चित्रांकन पसंद आता है। अक्सर नंदन जैसी पत्रिकाओं में ऐसा चित्रांकन देखने को मिलता था।
अंत में यही कहूँगा कि मौत की रात एक अधपकी कमजोर कहानी पर बनाया गया कॉमिक बुक है जिस पर अगर मेहनत की जाती तो यह एक बेहतरीन रोमांच से भरपूर कॉमिक बन सकता था। अभी वह एक सपाट औसत से कमजोर कॉमिक बन कर रह गया है। एक अच्छे आइडिया का इस तरह जाया होना खलता है।
आप पढ़ने के लिए एक बार पढ़ सकते हैं क्योंकि प्रतिलिपि पर मुफ़्त में मौजूद हैं लेकिन नहीं भी पढ़ेंगे तो कुछ गवाएंगे नहीं।
क्या आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है? आपकी इसके प्रति क्या राय थी? मुझसे कमेंट्स के माध्यम से साझा करना नहीं भूलिएगा।
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