संस्करण विवरण
फॉर्मैट: ई-बुक | लेखक:तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: मुलीक स्टूडियो | संपादक: प्रमिला जैन | प्रकाशक: तुलसी कॉमिक्स | प्लेटफॉर्म: प्रतिलिपि
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
कहानी
क्रांति ने कालका से शिमला की अपनी यात्रा शुरू की तो उसे सपने में भी ये ख्याल न था कि कोई उसकी जान लेना चाहेगा। लेकिन बड़ोग पहुँचने से पहले उस पर सुरंग के अँधियारे में किसी ने हमला कर दिया।
क्रांति तो बच गया लेकिन एक मासूम उसके लिए चली इस गोली का शिकार हो गया।
क्रांति सीक्रिट सर्विस का एक जासूस था जिसे एक महत्वपूर्ण मिशन पर शिमला बुलाया गया था। अब उस पर हुआ यह हमला यह दर्शाने के लिए काफी था कि उसके दुश्मनों को उसके आने की खबर हो गयी थी। और इसलिए उन्होंने सुरंग को हत्यारी सुरंग में तब्दील करने की योजना बना दी थी।
आखिर क्रांति किस मिशन के चलते शिमला जा रहा था?
उसके किन दुश्मनों ने उस पर हमला करवाया था? इन दुश्मनों का अगला कदम क्या होने वाला था?
क्या क्रांति अपने मिशन में कामयाब हो पाया?
मुख्य किरदार
क्रांति – सीक्रेट सर्विस का जासूस
टोनी – सर्कल का आदमी
दिलावर – सर्कल का आदमी
अंशु – एक पहाड़ी युवती
जॉनी – अंशु का भाई
सर्कल – शिमला में चल रहे ड्रग के धंधे का बादशाह
मेरे विचार
हत्यारी सुरंग शीर्षक जब मैंने पहली बार पढ़ा तो मुझे लगा था कि यह कोई हॉरर कॉमिक होगा लेकिन पढ़ने पर ज्ञात हुआ कि तरुण कुमार वाही द्वारा लिखा गया यह कॉमिक बुक एक रोमांचकथा है।
कॉमिक का कथानक कालका से शिमला के सफर से शुरू होता है और फिर आपको बांध देता है। जैसे कि पाठक को पता चलता है कि क्रांति जासूस है तो वह यह जानने के लिए उत्सुक हो जाता है कि उस पर हमला करने वाले लोग कौन है और यह जासूस शिमला क्यों जाना चाहता है। शिमला पहुँचने पर उसके आने का कारण पता लगते ही पाठक ये जानना चाहेगा कि आखिर वह अपने मिशन को पूरा कैसे करेगा और इस दौरान किन किन मुसीबतों से दो चार हाथ करेगा।
नशा आज की जवान पीढ़ी के लिए एक घुन बन चुका है जो धीरे धीरे उन्हे अंदर से खोखला करता जा रहा है। जब भी नशे की बात हम करते हैं तो आजकल हमारे दिमाग में फिल्म उद्योग से जुड़ी हस्तियाँ आ जाती है लेकिन वह नशे के गिरफ्त में आने वाले मुट्ठी भर युवा मात्र हैं। नशे के गिरफ्त में अपनी जिंदगी बर्बाद करते ज़्यादतर युवा हर तरह के आर्थिक वर्ग में हैं और ये अपने साथ साथ अपने परिवार को भी विनाश के रास्ते पर ले चलते हैं।
इस कॉमिक के माध्यम से लेखक ने देश में फैल रहे नशे के कारोबार की तरफ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। कॉमिक बुक के अंदर सर्कल नाम का एक ऐसी ही संस्था है जो शिमला के युवकों को ड्रग्स का लती बना रही है। इस लत का उन युवाओं पर कैसा असर होता है यह एक किरदार के माध्यम से लेखक ने रेखांकित किया है। उसकी तकलीफ से आप ड्रग रूपी जहर के असर से वाकिफ़ हो जाते हैं लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि अगर कुछ और पैनल्स इस समस्या से जूझ रहे दूसरे लोगों की तकलीफों को दर्शाने के लिए खर्च किये होते तो अच्छा रहता। अभी कहानी का फोकस एक्शन पर ज्यादा महसूस होता है लेकिन तब समस्या और एक्शन दोनों पर बराबर फोकस दिखता।
उपन्यास के किरदारों की बात करूँ तो इसमें क्रांति और अंशु नाम के किरदार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। क्रांति एक जासूस है उसी अनुरूप उसका चित्रण किया गया है। अंशु एक पहाड़ी युवती है जो परिस्थितिवश क्रांति के संपर्क में आती है और उसके मिशन में उसका साथ देने लगती है। वह एक बहादुर युवती है जो कि न्याय के साथ खड़ी रहती है।
उपन्यास में खलनायक के तौर पर एक सर्कल नाम का व्यक्ति है जो इसी नाम की संस्था चलाता है। इस व्यक्ति के शिमला के कई ताकतवर लोगों से रिश्ते हैं, जिसे कि एक पैनल के माध्यम से ही दर्शाया गया है, जिसके बलबूते पर वह अपना कार्य चला रहा है। अभी यह किरदार एक फंतासी की उपज लगता है इसलिए कम प्रभावशाली हो गया है। अगर इसे यथार्थवादी तरीके से दर्शाया जाता तो मुझे लगता है यह किरदार ज्यादा प्रभाव छोड़ सकता था।
आर्टवर्क की बात करूँ तो मुलीक स्टूडियो द्वारा किया गया आर्टवर्क अच्छा है। मुझे ऐसे आर्टवर्क पसंद आते हैं तो संतुष्ट करता है। पाठक के तौर पर जबतक आर्टवर्क अत्यधिक बुरा न हो तब तक मुझे इतना ज्यादा असर मेरे ऊपर पढ़ता नहीं है।
कॉमिक बुक में कुछ दूसरी ऐसी बातें भी थी जो मुझे थोड़ी अटपटी लगी थी। कॉमिक में मुख्य खलनायक के पास एक विशेष वाहन रहता है जिससे वह तबाही मचाए चलता है। इस वाहन की मौजूदगी कॉमिक, जो कि पहले तक यथार्थ के काफी करीब लगती है, को एक फंतासी का रूप दे देती है। अगर लेखक इस चीज से बचे होते तो शायद कॉमिक बुक ज्यादा प्रभावी हो जाती।
कॉमिक बुक में अंशु के भाई का नाम जॉनी होना नजर में अटपटा लगता है। ऐसा नहीं है कि अंशु नाम की लड़की का नाम जॉनी नहीं हो सकता है लेकिन चूँकि ऐसा आम तौर पर होता नहीं है इसलिए आप सोचने पर मजबूर हो जाते हो कि किसी के माँ बाप ने अपने दो बच्चों के नाम इतने अलग अलग तरह के कैसे रख दिये होंगे।
चूँकि यह कॉमिक बुक है तो यहाँ पैनल और पृष्ठ संख्या का भी ध्यान रखना होता है तो कहानी में कुछ ऐसी चीजें, जिन्हे ज्यादा उलझाकर या क्रांति के लिए कठिन बनाकर कहानी को और रोमांचक बनाया जा सकता था, को लेखक ने काफी सरल कर दिया गया है जो कॉमिक के असर को थोड़ा कम कर सकता है। मसलन क्रांति अंशु से टकराता है और उसके बाद सर्कल तक पहुँचने का उसका कार्य काफी सरल हो जाता है। यहाँ पर उसके इस कार्य को और जटिल बनाया जा सकता था। वहीं सर्कल, जिसका साम्राज्य पूरे शिमला में स्थापित था, का इतनी जल्दी ताश के पत्तों की तरह ढह जाना भी थोड़ा खल सकता है। लेकिन फिर शायद चूँकि एक निश्चित पृष्ठ संख्या में कहानी को समेटना पड़ता है तो इसलिए एक दो घटनाएँ ही दिखाकर लेखक ने इसकी इतिश्री कर दी है।
कॉमिक बुक का शीर्षक भी थोड़ा भ्रामक है। हत्यारी सुरंग पढ़ने से इसके किसी हॉरर कॉमिक होने का भान होता है। मुझे भी यह मुगालता होता है। इसका और बेहतर नाम रखा जा सकता था। मुझे लगता है चूँकि कॉमिक बुक में सर्कल संस्था और सर्कल नाम का व्यक्ति काफी महतपूर्ण है तो सर्कल नाम भी हत्यारी सुरंग से बेहतर होता। हत्यारी सुरंग रोचक किरदार जरूर है लेकिन वह एक तरह की अपेक्षा मन में पैदा कर देता है जो कि कॉमिक पढ़ते हुए जब पूरी नहीं होती है तो कई पाठको को निराश भी कर सकती है।
अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक बुक हत्यारी सुरंग एक बार पढ़ा जा सकता है। अगर आप उपन्यास पढ़ने के आदि हैं तो यह कॉमिक बुक की कहानी आपको अत्यधिक सरल लग सकती है। पर अगर आप कॉमिक बुक को उनके सरल कथानकों के लिए पढ़ते हैं तो आप इसका लुत्फ ले पाएंगे।
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि