मून फ्रेंचाइज | राज कॉमिक्स | तरुण कुमार वाही

कॉमिक बुक 28 अक्टूबर 2020 में पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: फाइटर टोड्स | लेखक: तरुण कुमार वाही | सम्पादक: मनीष गुप्ता | पृष्ठ संख्या: 56

मून फ्रेंचाइज समीक्षा
मून फ्रेंचाइज

कहानी:
फाइटर टोड्स परेशान थे क्योंकि उन्हें कई दिनों से खाने को कुछ मिल नहीं रहा था। जिस गटर में वो रहते थे उधर से  मच्छर-मक्खियाँ, जो कि उनका भोजन था, गायब हो रहे थे। 

ऐसा क्यों हो रहा था यह बात उनकी समझ में नहीं आ रही थी और उन्होंने इस बात की तह तक पहुँचने का मन बना लिया था। 

क्या वो अपने भोजन में आ रही कमी के कारण का पता लगा पाए?

डॉक्टर  अपोलो और अल्बर्ट पिंटू ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने करोड़ों की एक स्कीम तैयार की थी जिसके बल पर वो अकूत सम्पदा के स्वामी बन सकते थे। पर इस स्कीम की सफलता के लिए उन्हें किसी विशेष चीज की जरूरत थी। वह इस वस्तु को पाने के लिए कुछ भी कर सकते थे।

आखिर डॉक्टर अपोलो और अल्बर्ट पिंटू की यह कौन सी स्कीम थी जिससे वह करोड़ों का मुनाफ़ा कमाना चाहते थे?

अपनी इस योजना की सफलता के लिए उन्हें किस चीज की आवश्यकता थी? क्या उन्हें वह चीज मिल पायी?

और सबसे बड़ा प्रश्न यह मून फ्रेंचाइज क्या बला थी और इसका हमारे फाइटर टोड्स से क्या नाता था?

मेरे विचार:
‘मून फ्रेंचाइज’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित फाइट टोड्स श्रृंखला का कॉमिक बुक है।  यह बहुत सालों बाद हुआ कि फाइटर टोड्स को लेकर लिखे गये किसी कथानक को पढ़ने का मुझे मौका लगा। इससे पहले मैंने फाइटर टोड्स को लेकर लिखा गया कॉमिक बुक कब पढ़ा था यह मुझे तो याद नहीं है। यहाँ तक कि ‘मून फ्रेंचाइज’, जिसे शायद मैंने पहले पढ़ चुका हूँ, की कहानी भी मैं भूल ही चुका था तो इतने वर्षों बाद फाइटर टोड्स से मिलना मुझे अच्छा लगा।

फाइटर टोड्स चार जेनेटिकली विकसित मेंढक हैं जो कि राजापुर नाम के शहर में रहते हैं और वहाँ मौजूद रहकर अपराध का सफाया करते हैं। यह लोग गटर में निवास करते हैं। फाइटर टोड्स का मुखिया कंप्यूटर्र है जो कि अपने शरीर पर फिट कम्प्यूटर के माध्यम से काफी जानकारियाँ इकट्ठा कर देता है और फिर अपने साथियों कटर्र, शूटर्र और मास्टर्र को इनसानी दुनिया की यह जानकारी देता है। लेकिन इस सबके बावजूद यह चारों ही इनसानी तौर तरीकों से काफी हद तक वाकिफ नहीं है जिसके कारण कई बार हास्यास्पद गलतफहमियाँ हो जाती हैं और यह लोग अपने को उसमें घिरा हुआ पाते हैं। फाइटर टोड्स के कॉमिक बुक की यही खासियत होती है कि इनमें ऐसी परिस्थितियाँ दर्शाई जाती हैं जो कि बरबस ही आपको हँसा देती हैं। 

प्रस्तुत कॉमिक बुक की अगर मैं बात करूँ तो यह कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। कॉमिक बुक की शुरुआत में फाइटर टोड्स अपने निवास में खाने की कमी से जूझते दिखते हैं और फिर जब वह इसको सुलझाने के लिए गटर से बाहर निकलते हैं तो कई हास्यात्मक परिस्थितियों से दो चार होते हैं। यह परिस्थितियाँ आपको हँसाती है तो आपको रोमांचित भी करती हैं।

वैसे तो फाइटर टोड्स को लेकर बुने गये कथानकों का उद्देश्य हास्य पैदा करना ही होता है और इनके प्लाट पॉइंट्स बचकाने भी लग सकते हैं लेकिन ऐसे ही हल्के फुल्के कथानकों के माध्यम से  कई बार  लेखक कई बड़ी बड़ी बातें भी कह जाते हैं। 

उदाहरण के लिए इस कॉमिक में चाँद पर जमीन बेचने की बात है और उसके लिए एक परग्रही का सहारा लेते हुए खलनायकों को दर्शाया गया है। वहीं राजापुर के लोग भी उनके झांसे में आते दिखते हैं। यह प्लाट सुनने और पढ़ने में ही बचकाना लगता है परन्तु इस कथानक के माध्यम से लेखक तरुण कुमार वाही ने कई गम्भीर मुद्दों पर एक साथ बात की है। 

उन्होंने पीने के पानी को लेकर जो संकट भविष्य में आ सकता है उसे दर्शाया है।  उन्होंने यह भी दर्शाया है कि कैसे धरती के संसाधनों पर कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का हक हो जाता है और ज्यादातर लोग घर जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हो जाते हैं। इसके अलावा कैसे इनसान अपने स्वार्थ के लिए दूसरे इनसानों से लड़ता झगड़ता है इस बात को भी लेखक इस कथानक द्वारा रेखांकित करते हैं। 

कम्प्यूटर्र जब रोते हुए निम्न बातें कहता है तो हो सकता है कि यह बातें आपको अतिसाधारण लगे लेकिन जब आप देखते हैं कि ये अतिसाधारण बात भी लोग नहीं समझते हैं तो यह बातें अतिसाधारण न होकर बेहद विचारोतेज्जक हो जाती हैं:

हम पशु होकर भी इनसानों के गुण सीख रहे हैं! लेकिन इनसान इनसानी जन्म प्राप्त होते ही अभिमानी हो गया! एक दूसरे का शत्रु हो गया!

इनसान से इनसान की यही शत्रुता आज पृथ्वी की सबसे बड़ी शत्रु बन गई हैं!

कॉमिक बुक चूँकि  हास्य कॉमिक है तो इसका बचकाना प्लाट खलता नहीं है। टोड्स की मासूमियत आपको गुदगुदाती है। वहीं खलनायक भी समय समय पर अपने डायलॉगस द्वारा हास्य पैदा करते हैं। कॉमिक बुक में एक्शन है जो कि रोमांच पैदा करने में सफल होता है। हाँ, कॉमिक बुक का शीर्षक मून फ्रेंचाइज जिस कारण है वह चीज आधा कॉमिक गुजरने के बाद आती है तो मुझे यह कॉमिक की कमी लगी। ऐसा लगा जैसे भूमिका लम्बी कर दी गयी और मुख्य कथानक को जल्दबाजी में खत्म कर दिया। मुझे लगता है कॉमिक बुक में अपने मौजूदा 50 पृष्ठ के अलावा 10-12 पृष्ठ और होते तो शायद शीर्षक के साथ न्याय होता और कथानक और ज्यादा रोमांचक बन जाता।

अंत में मैं तो यही कहूँगा कि यह कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। अगर आपने नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़िए। हँसी हँसी में यह कॉमिक बुक काफी बड़ी बातों को छू जाता है और एक तरफ जहाँ आपको गुदगुदाता है तो वहीं दूसरी तरफ आपको सोचने के लिए काफी कुछ दे भी जाता है। 

रेटिंग: 3.5/5

क्या आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है? अगर हाँ तो मुझे अपनी राय जरूर बताइयेगा। कॉमिक बुक के प्रति आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी। 

फाइटर टोड्स के कौन कौन से कॉमिक बुक आपको पसंद आये हैं? हो सके तो अपने पसंदीदा पाँच कॉमिक बुक्स के नाम भी मुझसे साझा कीजियेगा।

फाइटर टोड्स के कॉमिक बुक्स आप निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं:
फाइटर टोड्स

राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित अन्य कॉमिक बुक्स जो मैंने पढ़े हैं:
राज कॉमिक्स

©विकास नैनवाल ‘अंजान’


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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6 Comments on “मून फ्रेंचाइज | राज कॉमिक्स | तरुण कुमार वाही”

  1. अरे आपने कॉमिक्स को मेरी उपन्यास से ज्यादा रेटिंग दे दी पर कॉमिक्स मेरे प्रिय फाइटर टोड्स का है तो मुझे बुरा भी नहीं लगा. बल्कि बुरा ये लगा की आपने कॉमिक्स को 4 या 4.5 रेटिंग क्यों नहीं दी? फाइटर टोड्स को शुरुआती कॉमिक्स तो निश्चय ही 5 में 5 रेटिंग के हकदार हैं. चाहे वो उनका पहला कॉमिक्स 'फाइटर टोड्स' हो या 'चैम्पियन', 'जाली नोट', 'कबाड़नगर', 'करोड़पति' या 'रैपस्टार'. भोले-भाले लेकिन गजब के जांबाज ने कॉमिक्सों के स्वर्णकाल में सचमुच सभी का दिल जीत लिया था. बल्कि हास्य के मामले में राज कॉमिक्स के स्टार बांकेलाल को भी पीछे छोड़ दिया था. लोग बेसब्री के साथ फाइटर टोड्स की नई कॉमिक्सों की प्रतीक्षा करते थे. हास्य और एक्शन के धमाके से भरपूर फाइटर टोड्स के नये कारनामे का सभी को इंतजार रहता था. लेकिन बाद में आर्टवर्क चेंज होने पर लोगों का इंटरेस्ट कम होने लगा. पता नहीं क्यों आर्टवर्क चेंज किया गया. पुराने फाइटर टोड्स ही बहुत अच्छे लगते थे. लेकिन शायद 'नई दिल्ली' कॉमिक्स से फाइटर टोड्स फिर अपने पुराने रंग रूप में लौट आये. और ऐसा बाकायदा कॉमिक्स वालों द्वारा घोषणा करके किया गया. उसके बाद फिर फाइटर टोड्स के कई शानदार कॉमिक्स आये. लेकिन वो जम्बो साइज के कॉमिक्स 'फाइटर टोड्स', 'चैम्पियन' और 'जाली नोट' आज भी याद आते हैं, जिनकी कहानी भी बेहद शानदार थी और आर्टवर्क भी. फाइटर टोड्स में बहुत स्कोप है. जैसे अन्य मल्टीस्टारर कॉमिक्सों के 100 से ऊपर पृष्ठों वाले वृहद विशेषांक आते हैं, वैसे ही अच्छी कहानियों के साथ फाइटर टोड्स का भी सुपर-डुपर विशेषांक लाया जाना चाहिये. हम पहले ही हवलदार बहादुर को बहुत मिस कर रहे हैं. अब फाइटर टोड्स भी हमसे न छीने जाएँ.

    1. जी फाइटर टोड्स के ये पहले कॉमिक बुक पढ़ने की कोशिश रहेगी। वृहद कथानकों की बात से सहमत क्योंकि इतने किरदार है कि अच्छे खासे कथानक को इन्हें लेकर बुना जा सकता है। इस वृहद टिप्पणी के लिए आभार।

  2. वाही जी की कुछ एक छोटी-मोटी हॉरर कॉमिक पढ़ चुका हूँ, जिनसे तो वह मुझे औसत ही लगे।

    TMNT की याद आ गई इनको देख कर।

    1. हाँ, ये टीनेज म्यूटेंट निन्जा टर्टल से ही प्रेरित हैं। वाही जी का लेखन मुझे मिक्स्ड बैग लगता है। कुछ क्लिक कर जाते हैं और कुछ क्लिक नहीं कर पाते हैं।

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