संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ईबुक | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | पृष्ठ संख्या: 64 | पूर्व भाग: ऑल्टर ईगो | शृंखला: सुपर कमांडो ध्रुव
आर्ट टीम
परिकल्पना: अभिषेक सागर | लेखक: अभिषेक सागर, मंदार गंगेले | चित्रांकन: हेमंत | इंकिंग: जगदीश | इफेक्ट्स: अब्दुल रशीद | संपादक: मनीष गुप्ता
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
कहानी
जब लोगों का उसकी कार्यप्रणाली से विश्वास उठ गया तो उसकी बरसों पुरानी मान्यताएँ डगमगाने लगी। उसके कुछ निर्णयों का परिणाम ऐसा हुआ था कि ध्रुव का खुद से विश्वास उठ गया।
और फिर राजनगर में अपराधियों की हत्याएँ होने लगी। चश्मदीद गवाहों के अनुसार यह हत्याएं वही ध्रुव कर रहा था जिसने कानून की रक्षा करने का प्रण लिया था। लोगों को लगने लगा कि हालिया घटनाओं के चलते ध्रुव का दिमाग फिर गया है और वह पागल हो गया है।
पर ध्रुव का कहना था कि वह हत्याएँ एक्स नामक व्यक्ति ने की थी जो कि उसका हमशक्ल था। लेकिन कोई भी ध्रुव की यह बात मानने को तैयार नहीं था। आखिर मानता भी कैसे उन्होंने ध्रुव को खुद अपनी आँखों से पागलों जैसी हरकतें करते जो देखा था।
क्या सचमुच ध्रुव का दिमागी संतुलन बिगड़ गया था?
क्या एक्स केवल ध्रुव की कल्पना ही थी? या ध्रुव असल में कोई व्यक्ति था?
क्या ये सब एक षड्यंत्र था जिसका शिकार ध्रुव हो गया था?
मेरे विचार
‘एक्स’ ध्रुव की कॉमिक बुक ‘ऑल्टर ईगो’ का दूसरा भाग है। जहाँ पहले भाग की कहानी अभिषेक सागर ने लिखी थी वहीं इसमें लेखन का कार्य मंदार गंगेले ने भी किया है।
कॉमिक बुक की कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पहले भाग ‘ऑल्टर ईगो’ की खत्म होती है। जब पहले भाग की कहानी खत्म हुई तो हम पाते हैं कि आखिरकार ध्रुव को अपने हमशक्ल के विषय में पता चल गया है और वह उससे सच्चाई जानने के लिए उससे भिड़ता है। यह भिड़ंत एक दो बार होती है और आखिरकार एक बार ध्रुव उसे थाम ही लेता है कि वहाँ कुछ और किरदार इस लड़ाई में शामिल हो जाते है। इन किरदारों के आने के बाद से प्रस्तुत कॉमिक बुक ‘एक्स’ की कहानी शुरू होती है।
कॉमिक बुक में एक्शन भरपूर है। इसकी शुरुआत ही लड़ाई से होती है जहाँ ध्रुव अपने दुश्मन एक्स के लिए भी लड़ता रहता है। यह क्यों होता है यह तो आप कॉमिक पढ़कर ही जानिएगा।
वहीं कॉमिक में चीजें ऐसे घटित होती हैं कि आखिर चल क्या रहा है यह जानने के लिये भी आप कॉमिक्स के पृष्ठ पलटते जाते हो। आपको ध्रुव पर विश्वास भी रहता है लेकिन लोगों को जो दिख रहा है वह क्यों दिख रहा है यह भी आप जानना चाहते हो।
एक्स की पहचान और उसके ध्रुव से नफरत करने के कारण को जानने की इच्छा भी आपको पृष्ठ पलटने पर मजबूर कर देती है। वहीं एक के बाद एक चीजें ऐसी घटित होती है कि ध्रुव इस परेशानी से कैसे पार पाएगा यह भी आप देखना चाहते हैं। जहाँ एक तरफ ध्रुव यहाँ एक्स और उससे जुड़े लोगों से जूझता हुआ दिखता है वहीं एक खूँखार आतंकवादी शाकिर, जिसके कारण पूरा राजनगर तबाह कोने के कागार पर पहुँच जाता है, से भी जूझता हुआ भी दिखता है। इसके साथ-साथ उसे अपने लोगों से भी जूझना पड़ता है जो कि सबकी तरह यह मानने लगे हैं ध्रुव का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है। कॉमिक में एक चीज भी चरितार्थ होती है। कई बार धूल अपने चेहरे पर लगी होती है और हम शीशा साफ करने में लगे रहते हैं। एक्स के साथ यह बात होती है जो कि दर्शाता है कि दूसरों को कई बार अपनी विपत्तियों का कारण मानने के बजाए खुद के भीतर भी आत्मावलोकन करना चाहिए ताकि असल कारण का पता लग सके।
कहानी में एक साथ काफी कुछ आ जाता है लेकिन लेखक द्वय ने आखिर में सब कुछ समेटने की कोशिश की है। वैसे तो सभी प्रश्नों के उत्तर आपको मिल जाते हैं फिर भी क्योंकि चीजें इतनी सारी चलती रहती हैं कि कई बार कहानी जरूरत से ज्यादा तेज चलती दिखती है। ऐसा लगता है जैसे साँस लेने की फुरसत न हो।
कहानी में कई बार चूँकि समय रेखा भी बदलती है तो कई बार कन्फ्यूजन भी होता है। मसलन कॉमिक की शुरुआत (पृष्ठ 2) में शाकिर के चेहरे पर बिल्ली के पंजे के निशान नहीं दिखते हैं। आगे जाकर आपको मालूम चलता है कि ये शुरुआती पेज भविष्य के थे। वहीं पृष्ठ 40 आप ये भी देखते हो कि ब्लैककैट की बिल्लियों ने उसके चेहरे पर निशान बनाए थे जो आगे दिखते हैं। यहाँ अब संशय इस बात का उठता है कि आगे के पृष्ठों में बताई घटना अगर अलग समय रेखा की थी तो वह कहाँ से बदला। क्या उसमें ब्लैककैट की बिल्लियों ने हमला नहीं किया था? अगर किया था तो निशान का गायब होना क्या सम्पादन की गलती है?
कॉमिक बुक का एक हिस्सा एक्स के पैदा होने का भी है। यह चीज मुझे थोड़ा कमजोर सी लगी। मुझे यह बात पचाने में थोड़ा दिक्कत हुई कि गर्भधारण करने के बाद उस अजन्में बच्चे का डीएनए बदला जा सकता है। मुझे लगता है कि जब एक बार गर्भ धारण हो गया है तो बच्चा बनना शुरू हो जाता है। उसका डीएनए उसके माता पिता का ही होगा। ऐसे में अगर आप बाहरी रूप से डीएनए लाया जाए तो क्या वो पिता के डीएनए को बदल कर बच्चे में बदलाव कर पाएगा? मुझे तो नहीं लगता।
आर्टवर्क की बात करें तो आर्टवर्क मुझे अच्छा लगा। एक दो चीजें जो नजरों के सामने से गुजरी थी जिनमें सुधार हो सकता था वो निम्न हैं।
पृष्ठ 39 में एक फ्रेम है जिसमें मेंटल असाइलम लिखा है। कॉमिक्स में कई जगह अंग्रेजी के डायलॉग रोमन में ही लिखे हैं। मुझे लगता है कि मेंटल असाइलम भी रोमन में ही होता तो बढ़िया होता। देवनागरी में ही लिखना तो हिंदी में लिखते। एक बात ये भी है कि आजकल शायद ही किसी मानसिक अस्पताल के लिए मेंटल असाइल्म या पागलखाना लिखा जाता हो।
पृष्ठ 59 में एक खुलासा होता है जिसका संबंध पीछे के पृष्ठ में होता है। वहाँ बताया जाता है कि ध्रुव एक किरदार से मिलता है उसके शरीर में एक बात नोट करता है। मुझे लगता है वैसा एक पैनल पीछे दर्शाया होता तो बेहतर रहता। जैसे पृष्ठ 60 में ध्रुव और ऋचा एक चीज के बारे में बात करते हैं और जब आप पृष्ठ पलटकर पीछे जाते हैं तो पाते हैं कि उस वक्त ऐसा कुछ असल में हुआ था। रहस्यकथाओं में पाठक जब ऐसे ही साधारण सी लगने वाली चीज को छोड़कर आगे बढ़ जाये और फिर आगे जाकर उसे पता चले कि वह तो कथानक का महत्वपूर्ण हिस्सा था तो वो अहसास मुझे तो पाठक के तौर पर अच्छा लगता है। यह एक सशक्त रहस्यकथा पढ़ने का अहसास आपको कराता है।
अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक बुक मुझे रोचक लगा। लेखक अंत में सब कुछ समेटने मे सफल हुए हैं। थोड़ा पृष्ठ अधिक होता तो शायद वह थोड़ा खुलकर लिखते और इस कारण कहानी थोड़ा और निखर सकती थी। हाँ, इस कॉमिक के अंत में प्रोजेक्ट एक्स की बात चल रही होती है। ये प्रोजेक्ट एक्स क्या है ये मैं तो जरूर जानना चाहूँगा।
कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
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