लघु-कथा: गालियाँ – चंद्रधर शर्मा गुलेरी
‘गालियाँ’ लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी लघु-कथा है। लेखक इस लघु-कथा के माध्यम से समाज में फैल रहे व्यभिचार के ऊपर टिप्पणी करते हैं। आप भी पढ़ें:
लघु-कथा: गालियाँ – चंद्रधर शर्मा गुलेरी Read Moreसाहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
‘गालियाँ’ लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लिखी लघु-कथा है। लेखक इस लघु-कथा के माध्यम से समाज में फैल रहे व्यभिचार के ऊपर टिप्पणी करते हैं। आप भी पढ़ें:
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कथावाचक को जब पता लगा कि उसका दोस्त उसे साँप का मणि दिलवा सकता है तो उसका हैरान होना लाज़मी था। आखिर क्या था ये मणि? क्या असल में ये साँप का मणि था? पढ़ें कथा सम्राट प्रेमचंद की यह लघु-कथा ‘साँप का मणि’।
लघु-कथा: साँप का मणि – प्रेमचंद Read More
‘दरिंदे’ लेखक योगेश मित्तल की लिखी लघु-कथा है। यह रचना ‘अपराध कथाएँ’ नामक पत्रिका के विशेषांक में प्रकाशित हुई थी। आप भी पढ़ें।
लघु-कथा: दरिंदे – योगेश मित्तल Read More
आज की दुनिया एआईमय हो चुकी है। एक दौड़ सी लगी है जिसमें मनुष्य ए आई के साथ साथ दौड़ रहा है। इस दौड़ का क्या नतीजा निकलेगा ये तो भविष्य ही तय करेगा। लेकिन ये बात भी सच है कि तकनीक कोई बुरी नहीं होती लेकिन उसका प्रयोग किस तरह किया जा रहा है वह उसे बुरा या अच्छा बनाता है। इसी प्रसांगिक विषय को शोभित गुप्ता ने अपनी इस लघु-कथा में बुना है। आशा है ये लघु-कथा आपको पसंद आएगी।
लघुकथा: जीपीटी – शोभित गुप्ता Read More
‘बाबा जी का भोग’ प्रेमचंद की लिखी लघुकथा है। मेहनतकश छोटे किसानों की हालत यह लघु-कथा ब्यान करती है और सोचने को काफी कुछ दे जाती है। आप भी पढ़ें:
लघु-कथा: बाबा जी का भोग – प्रेमचंद Read More
कमल का सब कुछ लुट चुका था। अब उसके पास बचा था तो केवल एक रुपया। उसने इस एक रूपये का क्या किया? पढ़ें जयशंकर प्रसाद की लिखी यह लघु-कथा ‘विजया’।
लघु-कथा: विजया – जयशंकर प्रसाद Read More
‘हाथी के दाँत’ विकास नैनवाल ‘अंजान’ की लिखी लघु-कथा है। अक्सर हमारी कथनी और करनी में फर्क होता है। कहानी इसी बात को रेखांकित करती है। यह प्रथम बार उत्तरांचल पत्रिका के अगस्त 2019 अंक में प्रकाशित हुई थी।
लघु-कथा: हाथी के दाँत – विकास नैनवाल ‘अंजान’ Read More
‘मगर का शिकार’ प्रेमचंद की लिखी एक रचना है। कथावाचक को जब कुछ मछुआरे एक बकरी के बच्चे को नदी के पास लेकर आते मिले तो उनके मन में कोतूहल जागा। आखिर वो बकरी के बच्चे का क्या करना चाहते थे? जानने के लिए पढ़ें ये रचना:
मगर का शिकार – प्रेमचंद Read More
राधे की बूढ़ी माँ मंदिर के बाहर ही अपनी दुकान लगाती थी और राधे ताड़ी पीने में ही अपना समय बिता देता था। वृद्धा ने सोचा भी नहीं था मंदिर में राधे के कारण कुछ होगा। फिर कुछ हुआ। क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ें जयशंकर प्रसाद की लघु-कथा ‘विराम चिन्ह’।
लघु-कथा: विराम चिन्ह – जयशंकर प्रसाद Read More
पाठशाला का वार्षिकोत्सव था। मैं भी वहाँ बुलाया गया था। वहाँ के प्रधान अध्यापक का एकमात्र पुत्र, जिसकी अवस्था आठ वर्ष की थी, बड़े लाड़ से नुमाइश में मिस्टर हादी …
लघु-कथा: पाठशाला – चंद्रधर शर्मा गुलेरी Read More
‘स्वप्न’ विकास नैनवाल की लिखी एक लघु-कथा है। यह लघु-कथा लेखक के रचना संग्रह ‘एक शाम तथा अन्य रचनाएँ’ से ली गयी है।
लघु-कथा: स्वप्न – विकास नैनवाल ‘अंजान’ Read More